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फरहान अख्तर की आगामी फिल्म '120 बहादुर' को लेकर गुरुग्राम में अहीर समाज का विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया है। रेजांग ला युद्ध के नायकों पर आधारित इस फिल्म के शीर्षक में 'अहीर' शब्द जोड़ने की मांग को लेकर खेड़की दौला टोल प्लाजा पर महापंचायत के बाद NH-48 जाम कर दिया गया। जानें क्या है पूरा विवाद।

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'120 बहादुर' पर बवाल: अहीर समाज ने गुरुग्राम में NH-48 किया जाम, नाम बदलने की मांग
'120 बहादुर' पर बवाल: अहीर समाज ने गुरुग्राम में NH-48 किया जाम, नाम बदलने की मांग

'120 बहादुर' पर छिड़ा महासंग्राम: गुरुग्राम में अहीर समाज का आर-पार का आंदोलन, नेशनल हाईवे-48 जाम

गुरुग्राम : बॉलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर की आगामी फिल्म '120 बहादुर' रिलीज़ से पहले ही एक बड़े विवाद में घिर गई है। 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांग ला के ऐतिहासिक शौर्य को पर्दे पर उतारने वाली इस फिल्म के शीर्षक को लेकर अहीर समाज ने तीखा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। रविवार को गुरुग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाजा पर बुलाई गई 200 गांवों की महापंचायत के बाद, आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे-48 (दिल्ली-जयपुर हाईवे) को घंटों तक जाम कर दिया, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। समाज की मांग है कि फिल्म का शीर्षक बदलकर '120 वीर अहीर' किया जाए ताकि रेजांग ला के असली नायकों की पहचान को उचित सम्मान मिल सके।

रेजांग ला की अमर गाथा और 'अहीर' पहचान का सवाल
फिल्म '120 बहादुर' 1962 के उस अविस्मरणीय युद्ध पर आधारित है, जहां विषम परिस्थितियों में भारतीय सेना के 13 कुमाऊं रेजिमेंट की एक कंपनी के 120 अहीर सैनिकों ने हजारों की संख्या में आए चीनी सैनिकों का बहादुरी से सामना किया था। इस लड़ाई में अहीर सैनिकों ने अद्वितीय पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए अपनी अंतिम सांस तक मोर्चा संभाला था और एक ऐसी शौर्य गाथा लिखी, जो भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।

अहीर समाज का तर्क है कि जब यह कहानी पूरी तरह से उनके समुदाय के सैनिकों की वीरता और बलिदान पर केंद्रित है, तो फिल्म के शीर्षक में 'अहीर' शब्द का उल्लेख अनिवार्य है। समाज के नेताओं का मानना है कि '120 बहादुर' जैसा सामान्य शीर्षक उन 120 वीरों की विशेष पहचान और उनके समुदाय के योगदान को धूमिल करता है। उनका आग्रह है कि शीर्षक में 'अहीर' शब्द जोड़ने से न केवल उनकी पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी इस ऐतिहासिक युद्ध में अहीर रेजिमेंट के अतुलनीय योगदान को जान पाएंगी।

नेताओं की चेतावनी और महापंचायत का बिगुल
यह विवाद नया नहीं है। अहीर समाज के नेताओं ने फिल्म निर्माताओं और फरहान अख्तर को फिल्म का शीर्षक बदलने के लिए पहले भी कई बार आगाह किया था। समुदाय ने अपनी आपत्ति और मांग को लेकर कई बार ज्ञापन भी सौंपे थे, लेकिन जब उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, तो समाज ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया।

इसी कड़ी में, रविवार को खेड़की दौला टोल टैक्स पर एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में गुरुग्राम और आसपास के 200 से अधिक गांवों के हजारों लोग जुटे। मंच से वक्ताओं ने अहीर रेजिमेंट के शौर्य का बखान किया और फिल्म निर्माताओं पर इतिहास को अनदेखा करने का आरोप लगाया। सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि यदि फिल्म का नाम नहीं बदला गया तो यह आंदोलन और भी तेज़ किया जाएगा।

नेशनल हाईवे-48 पर जाम और गूंजते 'वीर अहीर' के नारे
महापंचायत समाप्त होने के तुरंत बाद, सैकड़ों प्रदर्शनकारी नेशनल हाईवे-48 पर उतर आए और उसे पूरी तरह से जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं और '120 वीर अहीर', 'हमें न्याय चाहिए' जैसे नारे लगा रहे थे। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने और यातायात बहाल करने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। अहीर नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक फिल्म का नाम नहीं बदला जाता, उनका धरना और प्रदर्शन जारी रहेगा। यह आंदोलन अब केवल एक शीर्षक के विवाद से बढ़कर अहीर समुदाय की अस्मिता और पहचान का प्रश्न बन गया है।

फिल्म टीम की चुप्पी और बढ़ता गतिरोध
इस गंभीर विवाद पर अब तक फिल्म के अभिनेता फरहान अख्तर या एक्सेल एंटरटेनमेंट की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। फिल्म निर्माताओं की यह चुप्पी आग में घी का काम कर रही है और इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाले दिनों में यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है। महापंचायत में आगे भी धरने-प्रदर्शन और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है, जो फिल्म की रिलीज़ को प्रभावित कर सकता है।

'120 बहादुर': युद्ध की गाथा और निर्माण का सफर
फिल्म '120 बहादुर' में फरहान अख्तर मेजर शैतान सिंह भाटी की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्हें रेजांग ला युद्ध में उनके अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। फिल्म का टीज़र पहले ही जारी हो चुका है, जिसमें 1962 के युद्ध के दिल दहला देने वाले दृश्यों को दर्शाया गया है। टीज़र में भारतीय सैनिकों की बहादुरी और दुश्मनों का डटकर सामना करने की दृढ़ता साफ दिखती है। टीज़र की दमदार लाइन "यह वर्दी सिर्फ हिम्मत नहीं, बलिदान भी मांगती है" फिल्म की भावनात्मक गहराई को दर्शाती है।

फिल्म का निर्देशन रजनीश घई ने किया है और इसे एक्सेल एंटरटेनमेंट (फरहान अख्तर-रितेश सिधवानी) तथा ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज (अमित चंद्रा) ने मिलकर प्रोड्यूस किया है। फिल्म की शूटिंग लद्दाख, राजस्थान और मुंबई जैसे विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर की गई है। मेकर्स का दावा है कि उन्होंने करीब 14,000 फीट की ऊंचाई पर -5 से -10 डिग्री तापमान में शूटिंग की है, ताकि हर दृश्य में वास्तविकता का अनुभव हो सके। निर्माताओं का कहना है कि फिल्म में युद्धभूमि का हर दृश्य दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देगा।

रिलीज़ की तारीख और आगे की राह
यह बहुप्रतीक्षित फिल्म 21 नवंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। हालांकि, फिल्म के नाम को लेकर उठे विवाद ने अब एक सामाजिक और राजनीतिक रंग ले लिया है। अहीर समाज का आंदोलन सड़कों तक पहुंच चुका है और अगर फिल्म निर्माताओं ने समय रहते इस पर कोई ठोस रुख नहीं अपनाया तो यह विरोध प्रदर्शन और भी लंबा खिंच सकता है, जिससे फिल्म की रिलीज़ और उसके बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या फिल्म निर्माता समुदाय की मांगों को मानकर शीर्षक में बदलाव करते हैं, या यह विवाद भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक और बड़ा टकराव बनकर सामने आता है।

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