आयुष्मान योजना: निजी अस्पतालों को मिली बड़ी राहत, बकाया भुगतान के लिए केंद्र से 130 करोड़ जारी
निजी अस्पतालों की चिंता अब खत्म हो गई है। राज्य सरकार द्वारा 375 करोड़ रुपये जारी करने के बाद, केंद्र सरकार ने भी बकाया भुगतान के लिए 130 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है। इस भुगतान से उन निजी अस्पतालों को बड़ी राहत मिली है जो आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के लंबित दावों से परेशान थे और हड़ताल पर जाने पर विचार कर रहे थे।
खत्म हुई अस्पतालों की नाराजगी, टली हड़ताल
आयुष्मान योजना में शामिल निजी अस्पताल क्लेम की राशि न मिलने से नाराज थे और उन्होंने हितग्राहियों के इलाज का बहिष्कार करने की तैयारी कर ली थी। 31 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों की अगुवाई में हुई बैठक में राज्य सरकार द्वारा 375 करोड़ रुपये जारी करने और केंद्र से जल्द ही 130 करोड़ रुपये मिलने की जानकारी दी गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने अपना हड़ताल का फैसला वापस ले लिया, क्योंकि लंबित राशि का भुगतान शुरू हो गया था।
केंद्र से मिली अतिरिक्त राशि, पूरा होगा बकाया भुगतान
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार ने योजना के तहत अस्पतालों को भुगतान के लिए 130 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी कर दी है। इससे सभी अस्पतालों को उनकी पूरी बकाया राशि का भुगतान हो जाएगा। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया था कि आयुष्मान योजना के तहत राज्य में पंजीकृत निजी अस्पतालों द्वारा हितग्राहियों के उपचार के बाद प्रतिदिन 1600 से 1700 दावे भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिनकी कुल राशि 4 करोड़ रुपये से अधिक है।
इन्पैनल्ड होने के इंतजार में कई अस्पताल
आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत हितग्राहियों के उपचार के लिए पंजीकृत अस्पतालों की सूची में वृद्धि होने की संभावना है। योजना में इन्पैनल्ड (पंजीकृत) होने के लिए कई अस्पतालों ने आवेदन किया है, जिन पर विभागीय स्तर पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में, योजना के तहत सभी सरकारी अस्पतालों के अलावा लगभग दो हजार निजी अस्पताल पंजीकृत हैं, जहां मरीजों को मुफ्त उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है।
सख्त निगरानी और कार्रवाई भी जारी
योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नियमों का पालन न करने वाले अस्पतालों की कड़ी निगरानी की जा रही है। जांच के दौरान फर्जी क्लेम और मरीजों से अतिरिक्त शुल्क लेने जैसे मामलों में लगातार कार्रवाई भी की जा रही है। अब तक नियम तोड़ने के आरोप में 118 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिसमें 24 अस्पतालों का डी-इम्पैनलमेंट (पंजीकरण रद्द करना) और 11 अस्पतालों का निलंबन शामिल है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि योजना का लाभ सही हितग्राहियों तक पहुंचे और कोई भी अनियमितता न हो।