अभिषेक बच्चन की AI दुरुपयोग पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका: फर्जी वीडियो और तस्वीरों पर लगाम लगाने की मांग

बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन ने AI-जनरेटेड फर्जी वीडियो और तस्वीरों के दुरुपयोग के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है, अपनी प्रचार और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा की मांग की है। जानें इस हाई-प्रोफाइल मामले का पूरा विवरण और इसके निहितार्थ।

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अभिषेक बच्चन की AI दुरुपयोग पर निर्णायक लड़ाई: दिल्ली हाईकोर्ट से मांगा फर्जी वीडियो और तस्वीरों पर अंकुश

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नई दिल्ली: बॉलीवुड के गलियारों से लेकर देश की न्यायपालिक तक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता प्रभाव अब एक नए और चिंताजनक मोर्चे पर चुनौती पेश कर रहा है। हाल ही में, दिग्गज अभिनेता अभिषेक बच्चन ने AI-जनरेटेड फर्जी वीडियो और तस्वीरों के मनमाने उपयोग के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला सिर्फ एक सेलिब्रिटी के अधिकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उभरती हुई डिजिटल दुनिया में व्यक्तिगत पहचान, निजता और ऑनलाइन सुरक्षा की व्यापक बहस को जन्म देता है।

क्या है अभिषेक बच्चन की मांग?
बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में, अभिषेक बच्चन ने उन वेबसाइटों और प्लेटफार्मों पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है जो AI का उपयोग करके उनके फर्जी वीडियो, हस्ताक्षरित तस्वीरें और यहां तक कि यौन रूप से स्पष्ट सामग्री भी बना रहे हैं और प्रसारित कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अपने प्रचार अधिकारों और व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा करना है, जिन्हें इस अनियंत्रित डिजिटल छेड़छाड़ से खतरा है।

अभिषेक बच्चन के वकील, प्रवीण आनंद, ने अदालत को बताया कि प्रतिवादी (जिनके खिलाफ याचिका दायर की गई है) अभिनेता की AI-जनरेटेड सामग्री तैयार कर रहे हैं, जो न केवल उनकी छवि को धूमिल करती है, बल्कि उनके व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन पर भी गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यह याचिका एक ऐसे समय में आई है जब 'डीपफेक' तकनीक, जो AI का एक उपोत्पाद है, मनोरंजन उद्योग और सार्वजनिक हस्तियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुकी है।

अदालत में सुनवाई और आगे की राह
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस तेजस करिया ने अभिषेक बच्चन के वकील से याचिका में उठाए गए कुछ सवालों पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसके बाद दोपहर 2:30 बजे मामले की सुनवाई तय की गई। यह प्रारंभिक सुनवाई मामले की गंभीरता को दर्शाती है और संकेत देती है कि अदालत इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रही है।

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ऐश्वर्या राय बच्चन का पूर्ववर्ती मामला
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अभिषेक बच्चन की पत्नी, लोकप्रिय अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने भी हाल ही में इसी तरह की एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी। ऐश्वर्या ने अपनी तस्वीरों और नाम के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें साधारण तस्वीरों के साथ-साथ AI-जनरेटेड छवियां भी शामिल थीं। जस्टिस तेजस करिया ने उस मामले में प्रतिवादियों को चेतावनी देने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जो यह दर्शाता है कि अदालत इस तरह के डिजिटल दुरुपयोग के खिलाफ सख्त रुख अपना रही है।

AI का दोहरा तलवार: रचनात्मकता बनाम दुरुपयोग
AI तकनीक ने निश्चित रूप से कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, जिसमें कला, मनोरंजन और संचार शामिल हैं। यह रचनात्मकता और दक्षता के नए द्वार खोलता है। हालांकि, इसी सिक्के का दूसरा पहलू इसका दुरुपयोग है, जो व्यक्तियों की प्रतिष्ठा, निजता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। डीपफेक तकनीक, जो AI का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे और आवाज को किसी और की बॉडी या वॉयस पर आरोपित कर सकती है, अब इतनी परिष्कृत हो गई है कि असली और नकली के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है।

विशेष रूप से सार्वजनिक हस्तियों के लिए, जिनकी छवि उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे फर्जी वीडियो और तस्वीरें न केवल उनके ब्रांड को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत संबंधों पर भी भारी पड़ सकते हैं। इस तरह के दुरुपयोग से समाज में गलत सूचना और अविश्वास का माहौल भी बनता है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक बहस के लिए हानिकारक है।

कानूनी लड़ाई और डिजिटल युग की चुनौतियां
अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन जैसे प्रमुख हस्तियों द्वारा दायर की गई ये याचिकाएं भारतीय न्यायपालिका के लिए भी एक महत्वपूर्ण परीक्षा हैं। मौजूदा कानूनों को डिजिटल युग की इन नई चुनौतियों से कैसे निपटना है, यह एक जटिल प्रश्न है। क्या मौजूदा कॉपीराइट, मानहानि और निजता कानून डीपफेक और AI-जनरेटेड सामग्री के दुरुपयोग को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए पर्याप्त हैं? या क्या हमें नए कानूनों और नियमों की आवश्यकता है जो इस तेजी से विकसित हो रही तकनीक के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हों?

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यह मामला एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है कि कैसे भारत में व्यक्ति अपनी डिजिटल पहचान और अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। यह उन प्लेटफार्मों और वेबसाइटों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश होगा कि वे अपने उपयोगकर्ताओं द्वारा अपलोड की गई सामग्री के लिए जवाबदेह हैं और उन्हें इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे।

आगे क्या?
यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है। क्या अदालत AI-जनरेटेड सामग्री के दुरुपयोग को रोकने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करेगी? क्या यह ऐसे प्लेटफार्मों के लिए नई जिम्मेदारियां तय करेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में डिजिटल अधिकारों और ऑनलाइन सुरक्षा के भविष्य को आकार देंगे।

यह मामला बॉलीवुड के लिए भी एक वेक-अप कॉल है, क्योंकि उद्योग को अपने कलाकारों की सुरक्षा के लिए AI के संभावित खतरों से निपटने के लिए रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता है। यह सिर्फ सेलिब्रिटीज का मुद्दा नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसकी डिजिटल पहचान ऑनलाइन मौजूद है। अभिषेक बच्चन की यह लड़ाई व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और डिजिटल दुनिया में जिम्मेदारी और जवाबदेही स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


 

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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