अहिराज सांप के बिल ने मचाया कहर? गेरसा बांध टूटने से 20 एकड़ फसल तबाह

बलरामपुर जिले में लगातार दूसरी बड़ी घटना सामने आई है, जहाँ लुत्ती बांध के बाद अब लुंड्रा विकासखंड का गेरसा बांध भी टूट गया है। शनिवार सुबह-सुबह, इस लघु सिंचाई परियोजना के बांध का एक बड़ा हिस्सा ढह गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि घटना दिन के उजाले में हुई और बांध के आसपास कोई आवासीय बस्ती नहीं थी, जिससे किसी बड़े जान-माल का नुकसान टल गया। हालांकि, इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 20 एकड़ में लगी धान की फसल पानी में पूरी तरह तबाह हो गई है।

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बलरामपुर में प्राकृतिक आपदा: लुत्ती के बाद गेरसा बांध भी टूटा!

अंबिकापुर : अहिराज सांप के बिल ने मचाया कहर? गेरसा बांध टूटने से 20 एकड़ फसल तबाह, बलरामपुर जिले में लगातार दूसरी बड़ी घटना सामने आई है, जहाँ लुत्ती बांध के बाद अब लुंड्रा विकासखंड का गेरसा बांध भी टूट गया है। शनिवार सुबह-सुबह, इस लघु सिंचाई परियोजना के बांध का एक बड़ा हिस्सा ढह गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि घटना दिन के उजाले में हुई और बांध के आसपास कोई आवासीय बस्ती नहीं थी, जिससे किसी बड़े जान-माल का नुकसान टल गया। हालांकि, इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 20 एकड़ में लगी धान की फसल पानी में पूरी तरह तबाह हो गई है।

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अधिकारियों की आपातकालीन टीम मौके पर, राहत कार्य शुरू

घटना की सूचना मिलते ही जिला कलेक्टर सहित आला अधिकारी और जल संसाधन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। कलेक्टर ने स्थिति का जायजा लिया और क्षतिग्रस्त बांध का निरीक्षण किया। ग्रामीणों और प्रभावित किसानों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है। जिला पंचायत सीईओ विनय अग्रवाल और एसएसपी राजेश अग्रवाल भी अधिकारियों के साथ मौजूद थे।

रिसाव की शुरुआत: एक छोटे बिल से बड़ा खतरा?

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जानकारी के अनुसार, सरगुजा के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत ग्राम गेरसा में स्थित जल संसाधन विभाग के इस लघु सिंचाई बांध में शुक्रवार शाम से ही रिसाव शुरू हो गया था। शनिवार सुबह करीब 10 बजे अचानक बांध के दाहिने तटबंध का 25-30 मीटर का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह रिसाव अहिराज सांप के बिल से शुरू हुआ था, जो धीरे-धीरे बढ़ा और अंततः बांध के टूटने का कारण बना। पानी तेजी से बाढ़ की शक्ल में बहने लगा, जिससे गांव में दहशत फैल गई।

जानें गेरसा बांध के बारे में: निर्माण से क्षति तक

गेरसा बांध का निर्माण कार्य 1988 में शुरू हुआ था और 1990 में यह लघु सिंचाई परियोजना के तहत बनकर तैयार हुआ। इस बांध से लगभग 142 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ और रबी दोनों फसलों की सिंचाई होती थी। बांध की अधिकतम ऊंचाई लगभग 24 मीटर और जलग्रहण क्षेत्र 1.95 वर्ग किलोमीटर है। जलभराव की क्षमता 0.96 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) है। घटना के समय बांध में लगभग 0.15 MCM पानी भरा हुआ था। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता अशोक निरंजन के अनुसार, क्षतिग्रस्त होने के बावजूद बांध में अभी भी 65 प्रतिशत पानी शेष है।

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फसलों का बड़ा नुकसान, किसानों को मुआवजा का आश्वासन

हालांकि लोगों की जान-माल सुरक्षित रही, लेकिन लगभग 20 एकड़ में लगी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। अधिकारियों ने प्रभावित गांवों में मुनादी कराकर ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। प्रभावित किसानों की फसल क्षति का त्वरित सर्वे कर मुआवजा भुगतान की कार्रवाई शीघ्र शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही, प्रभावित क्षेत्र में मछली पकड़ने की गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।

मरम्मत कार्य जारी, भविष्य की सुरक्षा पर मंथन

राज्य बांध सुरक्षा संगठन रायपुर से मुख्य अभियंता अरुण बाड़िये सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी मौके पर मौजूद हैं और मरम्मत कार्य शुरू कर दिया गया है। यह घटना बांधों के रखरखाव और उनकी सुरक्षा के महत्व पर एक बार फिर प्रकाश डालती है, खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ वन्यजीवों की आवाजाही सामान्य है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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