AICTE ने तकनीकी विषयों में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया बदली, इंटरव्यू हटाया
नई दिल्ली* — अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने तकनीकी विषयों में पीएचडी और डीएससी कार्यक्रमों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए। अब प्रवेश पूरी तरह लिखित परीक्षा के प्रदर्शन पर आधारित होगा, जिसमें संस्थान की प्रवेश परीक्षा के लिए 70 प्रतिशत और राष्ट्रीय योग्यता परीक्षाओं (GATE/NET) के लिए 30 प्रतिशत वेटेज होगा।
AICTE ने यह बदलाव पहली बार लागू किया है। फरवरी 2025 में गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार दिशानिर्देशों को जुलाई में AICTE की कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दी। वर्तमान में इन्हें केंद्र सरकार की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
AICTE ने कहा कि पुराने 70:30 अनुपात में साक्षात्कार को शामिल किया जाता था। नए नियमों के तहत साक्षात्कार पूरी तरह हटा दिया गया है। समिति ने इस बदलाव को पक्षपात कम करने और प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक बताया।
हालांकि, कुछ शिक्षाविदों ने कहा कि साक्षात्कार हटाने से कम्युनिकेशन स्किल और शोध क्षमता जैसे गुणात्मक पहलुओं का मूल्यांकन कठिन हो सकता है।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी डॉक्टरेट उम्मीदवारों के लिए शोध प्रकाशन अनिवार्य किया गया है। पात्र शोधार्थियों को कम से कम दो स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल पेपर और एक सहकर्मी-समीक्षित सम्मेलन पत्र प्रकाशित करना होगा। विशेष परिस्थितियों में कुछ स्कॉलर्स को न्यूनतम अवधि से छह महीने पहले थीसिस जमा करने की अनुमति दी जा सकती है।
एआईसीटीई ने रोलिंग एडमिशन की सुविधा और साल में दो प्रवेश विंडो की शुरुआत भी सुनिश्चित की है। चार वर्षीय स्नातक डिग्री और पांच साल के संबंधित उद्योग अनुभव वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पीएचडी की अवधि यूजीसी के अनुरूप रहेगी: फुल टाइम न्यूनतम तीन वर्ष, अधिकतम छह वर्ष; पार्ट टाइम न्यूनतम चार वर्ष, अधिकतम आठ वर्ष। पार्ट टाइम शोधार्थियों को कार्यभार में 20 प्रतिशत कमी का अधिकार मिलेगा।
AICTE ने यह भी कहा कि शोध में AI टूल्स के उपयोग का खुलासा करना आवश्यक होगा और पर्यवेक्षक इसकी नैतिकता और मौलिकता की पुष्टि करेंगे। डीएससी डिग्री के लिए योग्यताएं और प्रकाशन मानक भी दिशानिर्देश में शामिल किए गए हैं।
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**Sources:** AICTE कार्यालय, भारत सरकार; विशेषज्ञ समिति रिपोर्ट; इंडिया टुडे रिपोर्ट.