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बालोद में जमीन हड़पने वाले 'गंदे गिरोह' का खुलासा: सरपंच पति समेत 5 पर FIR, हड़कंप

बालोद पुलिस ने एक संगठित 'गंदे गिरोह' का पर्दाफाश किया है, जिसमें अंगारी सरपंच के पति अश्वनी डड़सेना सहित पांच लोग शामिल हैं। इन पर फर्जी दस्तावेजों से जमीन हड़पने और लोगों को धोखा देने का आरोप है। जानें कौन हैं ये अपराधी और कैसे फैलाया इन्होंने दहशत।

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बालोद में 'गंदा गिरोह' बेनकाब: सरपंच पति सहित 5 पर FIR, फर्जीवाड़े से जमीन हड़पने का आरोप, दहशत का माहौल

बालोद: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक बड़े आपराधिक षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। बालोद थाना कोतवाली में एक संगठित गिरोह के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। इस गिरोह के पांच मुख्य सदस्यों में अंगारी की सरपंच ममता डड़सेना के पति अश्वनी डड़सेना का नाम सबसे ऊपर है, जिसे 'नेशनल क्रिमिनल' के रूप में कुख्यात बताया जा रहा है। इन सभी पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे भोले-भाले ग्रामीणों की जमीन हड़पने और उन्हें बर्बाद करने का आरोप है। यह मामला सिर्फ धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाले एक गहरे आपराधिक जाल का संकेत देता है।

कौन हैं ये पांच चेहरे और कैसे बुना इन्होंने जाल?

पुलिस की प्राथमिक जांच और पीड़ितों की शिकायतें एक भयावह तस्वीर पेश करती हैं, जिसमें परसराम साहू, अश्वनी डड़सेना, तरुण पाटिल, जगतराम साहू और लेखराम नेताम—ये पांचों मिलकर ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बन चुके थे।

अश्वनी डड़सेना: 'नेशनल क्रिमिनल' की काली छाया

इस गिरोह का सबसे कुख्यात चेहरा अश्वनी डड़सेना है। स्थानीय लोगों के बीच उसकी छवि एक ऐसे व्यक्ति की है जो खुद को 'नेशनल क्रिमिनल' बताकर डर फैलाता था। बालोद पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम धोखाधड़ी और ठगी के कई मामलों में पहले से दर्ज है। चौंकाने वाली बात यह है कि अश्वनी ने अपने ही रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा। उसने नकली दस्तावेजों के जरिए उनकी जमीन हड़पी और उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसाकर आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया। उसकी हरकतों को देखकर लोग कहते हैं कि वह इंसानियत के नाम पर एक धब्बा है।

परसराम साहू: अचानकपुर 

अचानकपुर निवासी परसराम साहू पर आरोप है कि उसने गरीब किसानों की जमीनों को जालसाजी से हड़पा। वह कागजी हेरफेर में इतना माहिर था कि जमीन के असली मालिक भी अपने ही खेत में खुद को पराया महसूस करने लगे। बालोद थाना में उसके खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।

तरुण पाटिल: भोथली 

भोथली का तरुण पाटिल मीठी बातें करने और जमीन सौदों में लोगों को फंसाने में माहिर था। आरोप है कि वह सामने से अच्छे संबंध बनाता था, लेकिन पीछे से धोखाधड़ी की नींव रखता था। उसकी चालाकी ने कई परिवारों को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया।

जगतराम साहू और लेखराम नेताम: ढौर के 'मुखौटेधारी'
ढौर निवासी जगतराम साहू और लेखराम नेताम पर बाहर से सीधे-सादे दिखने और अंदर से जहरीले सांप की तरह डसने का आरोप है। ये दोनों भी जमीन हड़पने के इस 'गंदे खेल' में बराबर के हिस्सेदार बताए जा रहे हैं। बालोद पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है।

आपराधिक षड्यंत्र का खुलासा: कैसे काम करता था यह गिरोह?

बालोद पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से स्पष्ट है कि इन पांचों ने एक संगठित आपराधिक गिरोह के रूप में काम किया। उनका तरीका सीधा और क्रूर था:

  1. फर्जी दस्तावेजों का निर्माण: सबसे पहले, ये गिरोह फर्जी रजिस्ट्री और अन्य कूटरचित दस्तावेज तैयार करता था।

  2. भोले-भाले लोगों को निशाना: गिरोह गरीब, अशिक्षित और भोले-भाले ग्रामीणों को निशाना बनाता था, जिन्हें कानूनी प्रक्रियाओं की ज्यादा जानकारी नहीं होती थी।

  3. जालसाजी से जमीन हड़पना: इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वे ग्रामीणों की कीमती जमीनों को अपने नाम करा लेते थे या किसी तीसरे पक्ष को बेच देते थे।

  4. दहशत फैलाना: अश्वनी डड़सेना जैसे सदस्य अपने 'रसूख' और आपराधिक छवि का इस्तेमाल करके पीड़ितों को डराते-धमकाते थे ताकि वे शिकायत न करें।

पुलिस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह गिरोह गरीबों की मेहनत पर पलने वाले गिद्धों से भी ज्यादा खतरनाक था। उनका संगठित अपराध सिर्फ संपत्ति हड़पने तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने कई परिवारों की आजीविका और मानसिक शांति को भी छीन लिया था।

पीड़ितों का दर्द और समाज की मांग

इस गिरोह के कारनामों से प्रभावित कई ग्रामीण अब खुलकर सामने आ रहे हैं, जो न्याय की गुहार लगा रहे हैं। एक पीड़ित किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमने अपनी जिंदगी भर की कमाई से वह जमीन खरीदी थी, लेकिन इन लोगों ने फर्जी कागजों से हमसे सब छीन लिया। हम न्याय चाहते हैं।"

बालोद जिले की जनता में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि इन अपराधियों को सिर्फ गिरफ्तार न किया जाए, बल्कि उन्हें कठोर से कठोर सजा मिले। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक ऐसे लोग जेल की सलाखों के पीछे नहीं सड़ेंगे, तब तक बालोद का कोई भी किसान या आम आदमी अपनी जमीन को सुरक्षित नहीं मान सकता। यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह शासन-प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि ऐसे संगठित गिरोहों पर तुरंत लगाम कसना आवश्यक है जो ग्रामीण क्षेत्रों में आतंक फैला रहे हैं।

आगे क्या? पुलिस कार्रवाई और जांच का दायरा

बालोद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया है। उम्मीद है कि इस गिरोह से जुड़े अन्य लोग भी जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे। पुलिस अधीक्षक ने इस संबंध में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना है, जिससे यह पता चल सकेगा कि यह गिरोह कितने बड़े पैमाने पर सक्रिय था और क्या इसमें कोई अन्य प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल था।

यह घटना छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां जमीन से जुड़े विवाद और धोखाधड़ी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं, एक गंभीर चिंता का विषय है। यह स्थानीय प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है कि वे ऐसे तत्वों पर प्रभावी ढंग से नकेल कसें जो भोले-भाले लोगों की गाढ़ी कमाई और संपत्ति को निशाना बनाते हैं। बालोद का यह 'गंदा गिरोह' सिर्फ एक शुरुआत हो सकता है, और इसकी जड़ें कितनी गहरी हैं, यह तो आने वाली पुलिस जांच ही बताएगी।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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