रायपुर में सिजेरियन डिलीवरी के बाद लापरवाही का गंभीर मामला
बड़ी चूक! सिजेरियन डिलीवरी के बाद खुले टांके, महिला दर्द से कराहती रही, डॉक्टरों ने नहीं ली सुध, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित आंबेडकर अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में सिजेरियन डिलीवरी के बाद एक महिला के पेट के टांके खुलने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि महिला दर्द से तड़पती रही, लेकिन किसी भी डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ ने उसकी सुध नहीं ली।
परिजनों के आरोप और सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मामला
महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, दर्द से कराहती महिला को घंटों तक कोई सहायता नहीं मिली। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने अपनी सफाई पेश की है।
अस्पताल की सफाई: महिला प्लेसेंटा परक्रिटा से थीं ग्रसित
विभाग ने अपनी सफाई में कहा है कि महिला एक गंभीर और जानलेवा बीमारी 'प्लेसेंटा परक्रिटा' से ग्रसित थीं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से असामान्य रूप से जुड़ जाता है, जिससे प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा होता है।
आंबेडकर अस्पताल में भर्ती और जटिल ऑपरेशन
बिरगांव गाजीनगर निवासी 27 वर्षीय ऐरम सबा (पति तबरेज) को 13 सितंबर की रात अत्यधिक रक्तस्राव के कारण आंबेडकर अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में भर्ती कराया गया था। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, महिला सात माह की गर्भवती थीं और उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए 'ऑब्स हिस्ट्रेक्टोमी' (गर्भाशय निकालने की सर्जरी) करनी पड़ी। इस दौरान मरीज को 14 यूनिट रक्त चढ़ाना पड़ा।
डिस्चार्ज के बाद टांके खुलने की घटना और पोषण की कमी
18 सितंबर को महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि महिला की पहले भी तीन बार सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी थी। विभाग की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि गुप्ता ने बताया कि डिस्चार्ज होने के चार दिन बाद, 22 सितंबर को कमजोरी महसूस होने पर महिला को दोबारा अस्पताल लाया गया। जांच में पाया गया कि मरीज का ऊपरी टांका खुला था, लेकिन अंदरूनी टांके जुड़ चुके थे।
डॉक्टरों की राय: पोषण की कमी हो सकती है टांके खुलने का कारण
डॉक्टरों ने बताया कि मरीज में पोषण की कमी भी है, जो टांके के ऊपरी तौर पर खुलने का एक कारण हो सकती है। वर्तमान में महिला का इलाज चल रहा है, उन्हें आवश्यक एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं दी जा रही हैं। घाव की स्थिति में सुधार होने पर दोबारा टांका लगाने की योजना बनाई जा रही है।