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भारतीय रेलवे पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देने की तैयारी में है। मिजोरम की राजधानी आइजोल तक रेल नेटवर्क बिछाने के बाद, अब इसे बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं तक विस्तारित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है। यह 223 किलोमीटर लंबा रेल कॉरिडोर न केवल पूर्वोत्तर की भौगोलिक दूरी को कम करेगा, बल्कि भारत को सामरिक, सुरक्षा, आर्थिक और पर्यटन के लिहाज से भी बड़ा फायदा पहुंचाएगा।

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भारत-बांग्लादेश-म्यांमार रेल कॉरिडोर: पूर्वोत्तर में खुलेगी विकास की नई राह
भारत-बांग्लादेश-म्यांमार रेल कॉरिडोर: पूर्वोत्तर में खुलेगी विकास की नई राह

भारत-बांग्लादेश-म्यांमार रेल कॉरिडोर: पूर्वोत्तर में खुलेगी विकास की नई राह, भारतीय रेलवे पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देने की तैयारी में है। मिजोरम की राजधानी आइजोल तक रेल नेटवर्क बिछाने के बाद, अब इसे बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं तक विस्तारित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है। यह 223 किलोमीटर लंबा रेल कॉरिडोर न केवल पूर्वोत्तर की भौगोलिक दूरी को कम करेगा, बल्कि भारत को सामरिक, सुरक्षा, आर्थिक और पर्यटन के लिहाज से भी बड़ा फायदा पहुंचाएगा।

म्यांमार और बांग्लादेश तक पहुंचेगी भारतीय ट्रेन

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, मिजोरम के बईरबी से सायरंग तक 51.30 किमी लंबी रेल परियोजना पूरी हो चुकी है और इस महीने से इस पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा। यह मिजोरम को सीधे भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली पहली लाइन है। इसके बाद, सायरंग से म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा तक 223 किमी रेल नेटवर्क बिछाने की तैयारी शुरू हो गई है। पिछले तीन साल से चल रहा रेलवे का सर्वे अंतिम चरण में है, जो इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट भेजी जाएगी और उम्मीद है कि अगले साल से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने आइजोल में होने वाले रेल लाइन के उद्घाटन समारोह में इस परियोजना की घोषणा भी कर सकते हैं।

20 स्टेशन, 15 हजार करोड़ की लागत और चुनौतियां

रेलवे सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम के रास्ते भारत की बांग्लादेश और म्यांमार से प्रस्तावित इस रेल परियोजना पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इस 223 किमी लंबी रेल लाइन पर लगभग 20 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिससे पहाड़ी इलाकों में बसे लोगों को भी कनेक्टिविटी का लाभ मिल सकेगा। हालांकि, यह रूट बेहद चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इसमें दर्जनों सुरंगें और पुल बनाने पड़ेंगे। अनुमान है कि इस पूरी परियोजना को पूरा होने में लगभग 10 से 15 साल लग सकते हैं।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

रेलवे विशेषज्ञों का मानना है कि यह रेल नेटवर्क भारत को बांग्लादेश और म्यांमार जैसे दो महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों से जोड़ेगा, जिससे व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही आसान होगी। इसके अलावा, यह कनेक्टिविटी सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। युद्धक परिस्थितियों में यह मार्ग सेना के लिए एक महत्वपूर्ण सप्लाई लाइन का काम करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति को गति मिलेगी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विकास के नए द्वार खुलेंगे।

पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

यह माना जा रहा है कि इस रेल नेटवर्क के विकसित होने से मिजोरम पर्यटन का एक नया केंद्र बन सकता है। साथ ही, पड़ोसी राज्यों को भी इसका फायदा मिलेगा। अब तक रेल कनेक्टिविटी न होने के कारण यहां पहुंचना मुश्किल था। बांग्लादेश और म्यांमार के साथ बेहतर रेल कनेक्शन से सीमा पार व्यापार में भी तेजी आएगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

वंदे भारत सहित तीन ट्रेनों की तैयारी

मिजोरम की राजधानी आइजोल के सायरंग-बईरबी लाइन के उद्घाटन के बाद इस रूट पर एक वंदे भारत और दो पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की तैयारी है। दिसंबर तक इस रूट का विद्युतीकरण पूरा करने का लक्ष्य है, जिसके बाद ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। फिलहाल, इस लाइन पर डीजल इंजन से ट्रेनें चलेंगी और आने वाले वर्षों में डबल लाइन का काम भी प्रस्तावित है। यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।

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