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भाटापारा की वीआईपी कॉलोनी में सेंधमारी: 7 घरों में लाखों की चोरी, पुलिस बेखबर

भाटापारा की जे.डी. कॉलोनी में अधिकारियों के आवास के करीब सात घरों में एक साथ लाखों की चोरी से सनसनी। 96 घंटे बाद भी चोरों का सुराग नहीं, पुलिसिया कार्यप्रणाली पर उठे सवाल। पूरी खबर पढ़ें और जानें स्थानीय लोगों का हाल।

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भाटापारा के 'अभेद' किले में सेंध: जे.डी. कॉलोनी में 7 घरों में एक साथ धावा, खाकी पर गहराते सवाल

भाटापारा : 21 सितंबर की सर्द रात, जब भाटापारा का शांत शहर गहरी नींद में डूबा था, तब चोरों के एक शातिर गिरोह ने शहर के सबसे सुरक्षित और प्रतिष्ठित माने जाने वाले जे.डी. कॉलोनी में सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए एक अभूतपूर्व वारदात को अंजाम दिया। यह कोई सामान्य चोरी नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित धावा था जिसने एक साथ सात घरों को निशाना बनाया। आज घटना के 96 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं, और यह घटना न केवल स्थानीय लोगों में भय का माहौल बना रही है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यकुशलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

वो रात, जब 'सुरक्षित' कॉलोनी थर्रा उठी

21 सितंबर की रात जे.डी. कॉलोनी के निवासियों के लिए एक आम रात थी। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अगले दिन की सुबह उनके लिए दहशत और निराशा का पैगाम लेकर आएगी। रात के अंधेरे का फायदा उठाते हुए, चोरों ने एक के बाद एक सात घरों के ताले तोड़े। सूत्रों के अनुसार, इन घरों से लाखों रुपये के जेवर, नकदी और अन्य कीमती सामान पार कर दिए गए। सुबह जब कॉलोनी के लोग जागे, तो अपने घरों के खुले ताले और बिखरा सामान देखकर दंग रह गए। देखते ही देखते पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और सूचना तुरंत पुलिस को दी गई।

जहां अधिकारी रहते हैं, वहां भी नहीं सुरक्षित आमजन!

जे.डी. कॉलोनी की पहचान भाटापारा के सबसे पॉश और सुरक्षित इलाकों में होती है। यह वही कॉलोनी है जहां एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी, तहसीलदार जैसे कई उच्च पदस्थ अधिकारी निवास करते हैं। एक ऐसा इलाका जहां दिन-रात पुलिस की गश्त और निगरानी का दावा किया जाता है, वहां एक साथ सात घरों में सेंधमारी ने 'सुरक्षित' की परिभाषा पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

स्थानीय निवासी और एक रिटायर्ड बैंककर्मी रमेश साहू ने भारी मन से बताया, "हम हमेशा सोचते थे कि जहां इतने बड़े अधिकारी रहते हैं, वहां चोरों की हिम्मत नहीं पड़ेगी। लेकिन इस घटना ने हमारा भ्रम तोड़ दिया है। जब अधिकारी निवास क्षेत्र ही सुरक्षित नहीं है, तो हम जैसे आम नागरिक अपनी सुरक्षा की कल्पना कैसे कर सकते हैं?" उनके शब्दों में निराशा और आक्रोश साफ झलक रहा था। यह घटना सिर्फ चोरी नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासन पर लोगों के भरोसे पर एक गहरी चोट है।

पुलिस की 'चुस्ती' पर सवालिया निशान

पुलिस अक्सर अपराधियों को 24 घंटे के भीतर पकड़ने और अपनी पीठ थपथपाने के लिए जानी जाती है। प्रेस विज्ञप्तियों में अक्सर त्वरित कार्रवाई और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन जे.डी. कॉलोनी की इस घटना ने उन दावों की हवा निकाल दी है। घटना को बीते 96 घंटे हो चुके हैं, यानी पूरे चार दिन, और पुलिस के पास चोरों का कोई ठोस सुराग नहीं है।

थाना प्रभारी ने शुरूआती जांच का हवाला देते हुए बताया कि टीमें गठित कर दी गई हैं और विभिन्न कोणों से जांच जारी है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और मुखबिरों को सक्रिय किया गया है। लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो पुलिस की कार्यकुशलता और अपराधियों पर उनकी पकड़ को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।

वरिष्ठ पत्रकार आलोक वर्मा कहते हैं, "यह घटना केवल पुलिस की नाकामी नहीं, बल्कि एक पैटर्न है। छोटे शहरों में अक्सर देखा जाता है कि जब तक कोई बड़ी 'हेडलाइन' घटना न हो, पुलिस गंभीरता नहीं दिखाती। लेकिन जब वीआईपी इलाके में ऐसी घटना हो जाए और फिर भी अपराधी पकड़ में न आएं, तो यह सीधे तौर पर कानून-व्यवस्था पर सवाल है।"

चोरों का हौसला और स्थानीय लोगों का डर

यह घटना केवल चोरी तक सीमित नहीं है। इसने पूरे भाटापारा में एक भय का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अपने घरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। रात में गश्त करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या, उनकी सजगता और तकनीक के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। क्या चोरों को स्थानीय पुलिस की कमजोरी का फायदा मिला? क्या उन्हें पता था कि इस इलाके में निगरानी कमजोर है? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब स्थानीय पुलिस को ढूंढने होंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता अंजना सिंह ने कहा, "पुलिस को केवल बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। उन्हें धरातल पर दिखना होगा। अगर एक हफ्ते के भीतर चोर नहीं पकड़े जाते, तो यह मान लिया जाएगा कि पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहा है।"

आगे की राह: क्या होगा पुलिस का अगला कदम?

इस घटना के बाद पुलिस पर चौतरफा दबाव है। न केवल आम जनता, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से भी इस मामले में त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में पुलिस के सामने अब कई चुनौतियां हैं:

  1. गिरोह की पहचान और गिरफ्तारी: सबसे पहली चुनौती है चोरों के गिरोह को पहचानना और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करना।

  2. सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा: जे.डी. कॉलोनी जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की तत्काल समीक्षा और उसे मजबूत करना।

  3. जनता का विश्वास बहाल करना: इस घटना से पुलिस के प्रति लोगों का विश्वास डिगा है। इसे दोबारा बहाल करना पुलिस के लिए महत्वपूर्ण है।

  4. तकनीकी संसाधनों का उपयोग: आधुनिक तकनीक जैसे सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण, फॉरेंसिक जांच और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR) का प्रभावी उपयोग करना।

यह घटना सिर्फ एक चोरी नहीं, बल्कि भाटापारा की कानून-व्यवस्था के लिए एक वेक-अप कॉल है। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस चुनौती का सामना कैसे करती है और कब तक इन शातिर चोरों को सलाखों के पीछे पहुंचा पाती है। जब तक अपराधी पकड़ में नहीं आते, तब तक जे.डी. कॉलोनी के निवासियों और पूरे भाटापारा में भय का माहौल बना रहेगा, और खाकी पर सवालिया निशान गहराते रहेंगे।

 

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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