बिलासपुर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: निजी शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा ESIC कानून, लाखों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
बिलासपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: निजी शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा ESIC कानून, लाखों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए राज्य के हजारों निजी शिक्षण संस्थानों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) अधिनियम के दायरे में ला दिया है। इस फैसले से प्रदेश के लगभग 8,000 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लाखों कर्मचारियों को अब सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल पाएगा। हाईकोर्ट ने निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें ESIC कानून को लागू करने का विरोध किया गया था।
क्या है ESIC कानून और इसका महत्व?
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) अधिनियम एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो कर्मचारियों को बीमारी, मातृत्व, विकलांगता और रोजगार चोट के मामलों में स्वास्थ्य देखभाल और नकद लाभ प्रदान करती है। यह योजना कर्मचारियों और उनके परिवारों को वित्तीय सहायता और चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करके सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।
हाईकोर्ट के फैसले का विस्तृत विवरण
बिलासपुर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि शैक्षणिक संस्थान भी "एस्टेब्लिशमेंट" (Establishment) की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार और ESIC कॉर्पोरेशन की दलीलों को स्वीकार किया कि स्कूलों में भी बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्यरत होते हैं, जिन्हें बीमारी, मातृत्व और दुर्घटनाओं की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा मिलना आवश्यक है।
यह मामला 2005 में शुरू हुआ था जब राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर शैक्षणिक संस्थानों को भी ESIC एक्ट के दायरे में लाने का निर्णय लिया था। इसके तहत, 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले स्कूलों को 1 अप्रैल 2006 से इस कानून का पालन करना अनिवार्य किया गया था। 2011 में, ESIC ने योगदान राशि जमा करने के लिए नोटिस जारी किया, जिसके बाद कई स्कूलों ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी।
निजी स्कूलों का विरोध और सरकार की दलीलें
याचिकाकर्ताओं, यानी निजी स्कूलों ने दलील दी थी कि शिक्षा देना कोई व्यापार या औद्योगिक गतिविधि नहीं है, इसलिए स्कूलों पर ESIC एक्ट लागू करना गलत है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि शिक्षा एक सेवा कार्य है, इसे व्यापार की तरह नहीं देखा जा सकता।
इसके विपरीत, राज्य सरकार और ESIC कॉर्पोरेशन ने तर्क दिया कि स्कूलों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है। उनका मुख्य उद्देश्य इन कर्मचारियों को सुरक्षा कवच प्रदान करना है। हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को सही ठहराते हुए कहा कि ESIC एक्ट का उद्देश्य कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जो सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों पर समान रूप से लागू होना चाहिए जहां कर्मचारी कार्यरत हैं।
कितने स्कूलों और कर्मचारियों पर पड़ेगा असर?
इस ऐतिहासिक फैसले का सीधा असर छत्तीसगढ़ के लगभग 7,975 निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों पर पड़ेगा। इनमें 5,680 निजी, 738 सहायता प्राप्त, 413 आंशिक सहायता प्राप्त और 180 अन्य स्कूल शामिल हैं। इन संस्थानों में कार्यरत लगभग 96,500 कर्मचारियों को ESIC का लाभ मिलेगा, जिनमें 50,000 से अधिक गैर-शैक्षणिक कर्मचारी भी शामिल हैं।
1 अप्रैल 2024 से सभी निजी स्कूलों को अनिवार्य रूप से ESIC कानून का पालन करना होगा। यह फैसला कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जो अब बीमारी, मातृत्व और दुर्घटनाओं जैसी स्थितियों में एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा कवच का लाभ उठा सकेंगे। सरकार का मानना है कि ESIC पॉलिसी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा सहारा बनेगी और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।