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मुंबई — बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि 20 वर्षीय देवीदास सपकाले को गैरकानूनी हिरासत के लिए 2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। अदालत ने यह राशि सीधे उस जिला magistrate के वेतन से वसूली जाने का निर्देश दिया, जिसने हिरासत का आदेश जारी किया था।
अदालत के रिकॉर्ड और सपकाले के वकील हर्षल रणधीर के अनुसार, यह हिरासत आदेश जुलाई 2024 में जलगांव के DM ने जारी किया था, लेकिन इसका पालन लगभग 11 महीने बाद, मई 2025 में हुआ। सपकाले पहले ही एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में था और जब उसे बेल मिली, तो उसे नए MPDA आदेश के तहत तुरंत हिरासत में ले लिया गया।
अदालत ने हिरासत आदेश में 2023 के एक मामले का जिक्र पाया, जिसका सपकाले से कोई संबंध नहीं था। अधिकारियों ने इसे “टाइपिंग मिस्टेक” बताया, लेकिन अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में इस तरह की गलती स्वीकार नहीं की जा सकती।
इसके अलावा, अदालत ने पाया कि सपकाले मराठी माध्यम के छात्र थे और उन्हें जरूरी दस्तावेजों का **मराठी में अनुवाद** नहीं दिया गया, जिससे उनका पक्ष रखने का अधिकार प्रभावित हुआ। जिला magistrate ने अपनी ओर से कहा कि दस्तावेज मराठी में उपलब्ध कराए गए थे।
अदालत ने मामले को “अधिकार का गलत इस्तेमाल” बताया और आदेश दिया कि सपकाले को मुआवजा दिया जाए, जो DM के वेतन से वसूला जाएगा।
जलगांव प्रशासन के अधिकारी अभी तक अदालत के आदेश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाए हैं।
अदालत ने कहा कि यह मामला MPDA के तहत प्रक्रिया और हिरासत में रखे गए व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा पर प्रकाश डालता है।
Source: बॉम्बे हाईकोर्ट, औरंगाबाद बेंच; जलगांव जिला प्रशासन; वकील हर्षल रणधीर के बयान
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