बस्तर में बाढ़ का तांडव: भारतीय किसान यूनियन और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बढ़ाए मदद के हाथ, राहत सामग्री वितरित

 छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भारी बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री सौंपी। जानें कैसे समाज के विभिन्न वर्ग कर रहे सहयोग।

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बस्तर पर प्रकृति का कहर: बाढ़ पीड़ितों के लिए भारतीय किसान यूनियन और व्यापारी संघों ने बढ़ाए मदद के हाथ

दंतेवाड़ा : प्रकृति के प्रकोप से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण आई विनाशकारी बाढ़ ने बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे जिलों में जनजीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं, आजीविका के साधन छिन गए हैं और आवश्यक सुविधाओं का अभाव एक गंभीर मानवीय संकट पैदा कर रहा है। ऐसे मुश्किल समय में, समाज के विभिन्न वर्गों से मदद के हाथ आगे आए हैं, जिससे पीड़ितों को थोड़ी राहत मिली है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री्स ने इस आपदा में पीड़ितों के लिए राहत सामग्री पहुँचाकर मानवीयता का संदेश दिया है।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की पहल: किसानों और आम जनता के साथ खड़े

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छत्तीसगढ़ में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने हमेशा किसानों और आम जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। इस प्राकृतिक आपदा की घड़ी में भी संगठन ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। दंतेवाड़ा में, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ की ओर से बाढ़ प्रभावित गाँवों में राहत सामग्री का वितरण किया गया।

संगठन के प्रदेश प्रभारी प्रवीन क्रांति, प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत, प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा नरवाल, प्रदेश सह सचिव कमल कुशवाह, प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही, बस्तर संभाग अध्यक्ष शिवा स्वर्णकार, कार्यकारिणी सदस्य सुरेंदर शर्मा, और दंतेवाड़ा जिले के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में यह सामग्री प्रशासन को सौंपी गई। इस राहत सामग्री में विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की दैनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पहनने के लिए कपड़े, चादरें, बेडशीट और खाने की सूखी वस्तुएँ शामिल थीं। संगठन ने इस अवसर पर कहा कि वे प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में हमेशा किसानों और आम जनता के साथ खड़े हैं और भविष्य में भी हर संभव मदद के लिए तैयार रहेंगे। यह पहल बाढ़ से बेघर हुए और प्रभावित परिवारों को तात्कालिक सहयोग प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित हुई है।

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का योगदान: 'यह बस्तर की नहीं, पूरे प्रदेश की आपदा है'

बस्तर की त्रासदी ने केवल स्थानीय निवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, जो हमेशा सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने में अग्रणी रहा है, ने भी इस आपदा में सक्रिय योगदान दिया है। चैंबर के नेतृत्व में न्यू बर्तन व्यापारी संघ नयापारा और होलसेल कपड़ा व्यापारी संघ पंडरी सहित अन्य व्यापारी बंधुओं ने मिलकर बड़ी मात्रा में राहत सामग्री एकत्रित की।

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इस अभियान का नेतृत्व चैंबर अध्यक्ष सतीश थौरानी ने किया। एकत्रित राहत सामग्री में बाढ़ प्रभावित परिवारों की तत्काल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से बर्तन और मच्छरदानी शामिल किए गए। ये ऐसी वस्तुएँ हैं जिनकी आपदा के बाद के समय में सबसे अधिक आवश्यकता होती है। चैंबर के प्रतिनिधिमंडल ने नगर निगम रायपुर की महापौर मीनल चौबे से भेंट कर उन्हें ये राहत सामग्री सौंपी, ताकि ये आवश्यक वस्तुएँ शीघ्र अति शीघ्र प्रभावित परिवारों तक पहुँच सकें।

इस अवसर पर चैंबर अध्यक्ष सतीश थौरानी ने एक मार्मिक बात कही, "बस्तर की यह आपदा केवल बस्तर की नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की पीड़ा है। छत्तीसगढ़ चैंबर परिवार पीड़ित भाई-बहनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमारा संकल्प है कि हम हर संभव सहयोग करते रहेंगे और आवश्यकता पड़ने पर राहत कार्यों को और गति देंगे।" उनके इस बयान से चैंबर की मानवीय और सामाजिक प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। इस पहल में प्रदेश कोषाध्यक्ष निकेश बरडिया, कार्यकारी अध्यक्ष राधाकिशन सुंदरानी, पार्षद अमर गिदवानी और कई अन्य व्यापारीगण भी उपस्थित रहे।

बाढ़ का भयानक मंजर और जनजीवन पर असर

बस्तर संभाग की नदियाँ, जैसे इंद्रावती और शबरी, उफान पर हैं। निचले इलाकों में पानी भर गया है, जिससे कई गाँव पूरी तरह से कट गए हैं। खेत जलमग्न हो गए हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। सड़कें और पुल बह गए हैं, जिससे परिवहन व्यवस्था बाधित हो गई है और राहत कार्यों में भी बाधा आ रही है। हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है।

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महिलाएं और बच्चे इस आपदा में विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, क्योंकि उनके लिए स्वच्छ पानी, भोजन और आश्रय की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बन गई है। बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा है। प्रशासन अपनी तरफ से राहत और बचाव कार्यों में लगा हुआ है, लेकिन इस व्यापक आपदा से निपटने के लिए सामुदायिक सहयोग और एकजुटता की सख्त आवश्यकता है।

समन्वय और भविष्य की चुनौतियाँ

भारतीय किसान यूनियन और चैंबर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्थाओं का आगे आना निश्चित रूप से सराहनीय है। यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ का समाज संकट के समय में एक साथ खड़ा है। हालाँकि, यह तो केवल शुरुआत है। बाढ़ के बाद की चुनौतियाँ भी कम गंभीर नहीं होंगी। पुनर्वास, पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं की बहाली और लोगों की आजीविका को फिर से पटरी पर लाना एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होगी।

सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, निजी संस्थाओं और आम जनता को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। एक एकीकृत और समन्वित दृष्टिकोण ही बस्तर को इस भयावह आपदा से उबरने में मदद कर सकता है। बस्तर की यह पीड़ा पूरे प्रदेश की पीड़ा है, और इसे दूर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, ताकि इस सुंदर क्षेत्र के लोग एक बार फिर सामान्य जीवन जी सकें।


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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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