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बस्तर की दोहरी तस्वीर: एक ओर विकास की आहट, दूसरी ओर गहराती चिंताएं
जगदलपुर: बस्तर, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है, इन दिनों दो अलग-अलग कहानियों को गढ़ रहा है। एक तरफ, जिला प्रशासन एक नए "जंगल लॉन" के निर्माण के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को मनोरंजन के नए अवसर प्रदान करने की तैयारी में है। वहीं दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने बस्तर संभाग से लगातार लापता हो रही लड़कियों के बढ़ते आंकड़ों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है, जो क्षेत्र में एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है।
बस्तर का नया आकर्षण: जंगल लॉन, जल्द होगा पूरा
बस्तर जिले के वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना 'जंगल लॉन' के बारे में जानकारी दी है। यह नया स्थल न केवल सैर करने वालों को प्रकृति के करीब एक शांत और सुंदर जगह प्रदान करेगा, बल्कि इसे एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। गुप्ता के अनुसार, "जंगल लॉन बनने से जहां सैर करने वालों को सुविधा मिलेगी, वहीं यह क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाएगा। इसका निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।"
यह परियोजना बस्तर में पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उम्मीद है कि जंगल लॉन के खुलने से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय व्यवसायों को फायदा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, और अधिकारी इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
लापता लड़कियों का बढ़ता आंकड़ा: बस्तर में गहराती मानवीय संकट
जंगल लॉन के निर्माण की उत्साहजनक खबरों के बीच, छत्तीसगढ़ महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है, जिसने पूरे बस्तर संभाग में चिंता की लहर दौड़ा दी है। मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में सुश्री सोरी ने बताया कि बस्तर के तीन प्रमुख जिले - सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर - से कई बालिग और नाबालिग लड़कियां अभी भी लापता हैं।
आंकड़ों की भयावहता: पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, सुकमा में 14 लड़कियां, दंतेवाड़ा में 35 और बीजापुर में 5 लड़कियां अभी भी गुमशुदा हैं। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है, खासकर जब यह ध्यान में रखा जाए कि पिछले पांच वर्षों से बस्तर संभाग से लगातार लड़कियां गायब हो रही हैं, और उनका पूरा रिकॉर्ड भी पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है। सोरी ने इसे "अत्यंत चिंता का विषय" बताया है।
जटिल होती समस्या: लापता होने के इन मामलों की जटिलता पर प्रकाश डालते हुए सुश्री सोरी ने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया कि लगभग तीन महीने पहले गायब हुई एक लड़की के मामले में पता चला कि उसने राजस्थान में कोर्ट मैरिज कर ली है। ऐसे मामलों में लड़कियों को वापस लाना कानूनी और व्यावहारिक रूप से बेहद मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति मानव तस्करी, जबरन विवाह या अन्य गंभीर अपराधों की संभावना को भी जन्म देती है, जिनकी गहन जांच की आवश्यकता है।
सामाजिक प्रभाव और आगे की राह
एक तरफ जंगल लॉन जैसे विकास कार्य बस्तर की छवि को बेहतर बनाने और पर्यटन को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, लापता लड़कियों का बढ़ता आंकड़ा क्षेत्र की सामाजिक संरचना और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह स्थिति न केवल इन लड़कियों के परिवारों के लिए अथाह पीड़ा लाती है, बल्कि पूरे समाज में असुरक्षा की भावना भी पैदा करती है।
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी का यह खुलासा एक 'वेक-अप कॉल' है। प्रशासन, पुलिस और सामाजिक संगठनों को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। लापता लड़कियों का पता लगाने, मानव तस्करी के संभावित नेटवर्क को तोड़ने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें जागरूकता अभियान, हेल्पलाइन नंबरों को मजबूत करना और अंतरराज्यीय समन्वय बढ़ाना शामिल हो सकता है।
बस्तर अपनी नैसर्गिक सुंदरता और विकास की संभावनाओं के साथ खड़ा है, लेकिन इन संभावनाओं को साकार करने के लिए समाज को अंदर से मजबूत और सुरक्षित बनाना बेहद जरूरी है। जंगल लॉन जैसे प्रोजेक्ट जहां बस्तर के बाहरी स्वरूप को संवार रहे हैं, वहीं लापता लड़कियों का मुद्दा उसके आंतरिक स्वास्थ्य को चुनौती दे रहा है। दोनों मोर्चों पर सफलता ही बस्तर के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगी।
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