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बस्तर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए नशीली दवाओं के तीन अंतर्राज्यीय सप्लायरों और एक स्थानीय विक्रेता को गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन में प्रतिबंधित कफ सिरप और नशीली टैबलेट्स का एक बड़ा जखीरा बरामद हुआ है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये कीमत आंकी जा रही है।

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 बस्तर में नशे के सौदागरों पर पुलिस का शिकंजा: करोड़ो की ड्रग्स बरामद, 4 गिरफ्तार
बस्तर में नशे के सौदागरों पर पुलिस का शिकंजा: करोड़ो की ड्रग्स बरामद, 4 गिरफ्तार

बस्तर में नशे के सौदागरों पर पुलिस का शिकंजा: करोड़ो की ड्रग्स बरामद, 4 गिरफ्तार

बस्तर : शांति और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध बस्तर अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है - नशे का बढ़ता कारोबार। इस चुनौती से निपटने के लिए बस्तर पुलिस ने कमर कस ली है और इसी कड़ी में शनिवार को एक बड़ी सफलता हासिल की है। बोधघाट पुलिस ने एक साथ दो अलग-अलग कार्रवाइयों में चार नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से भारी मात्रा में प्रतिबंधित नशीली दवाएं जब्त की हैं। यह कार्रवाई न केवल स्थानीय स्तर पर नशे के जाल को तोड़ने में महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतर्राज्यीय ड्रग्स सिंडिकेट पर भी एक करारा प्रहार है।

ऑपरेशन "नशा मुक्त बस्तर": कैसे बिछाया गया जाल?

शनिवार की सुबह करीब 7:30 बजे, बोधघाट थाना प्रभारी लीलाधर राठौर को एक विश्वसनीय मुखबिर से पुख्ता सूचना मिली। सूचना के अनुसार, गीदम नाका से सरगीपाल चौक होते हुए बोधघाट चौक की ओर आ रही एक मोटरसाइकिल (क्रमांक सीजी 17 केएक्स 8480) पर प्रतिबंधित कफ सिरप और नशीली टैबलेट की एक बड़ी खेप ले जाई जा रही थी। इस सूचना की गंभीरता को समझते हुए, थाना प्रभारी राठौर ने तत्काल एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया।

पुलिस टीम ने बिना समय गंवाए चिन्हित मार्ग पर घेराबंदी की। सुबह के समय सड़कें अपेक्षाकृत शांत थीं, जिसका फायदा उठाकर तस्कर अक्सर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं। लेकिन इस बार पुलिस पहले से तैयार थी। जैसे ही मोटरसाइकिल निर्धारित स्थान पर पहुंची, पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए उसे रोक लिया और उस पर सवार तीन युवकों को धर दबोचा।

अंतर्राज्यीय कनेक्शन: झारखंड से बस्तर तक फैला जाल

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान चक्रधर राव (39 वर्ष, निवासी कोंटा), अर्जुन कश्यप (23 वर्ष, निवासी पनारापारा) और वारिस अहमद (26 वर्ष, निवासी पलामू, झारखंड) के रूप में हुई। आरोपियों की पहचान से स्पष्ट होता है कि यह केवल स्थानीय स्तर का अपराध नहीं था, बल्कि इसके तार पड़ोसी राज्यों तक फैले हुए हैं। वारिस अहमद का झारखंड से होना इस बात की पुष्टि करता है कि ड्रग्स का यह धंधा अंतर्राज्यीय गिरोहों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो बस्तर जैसे क्षेत्रों को अपनी आसान मंडी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

तलाशी के दौरान, पुलिस को उनकी मोटरसाइकिल पर रखी एक प्लास्टिक बोरी में भरी प्रतिबंधित दवाइयाँ मिलीं। इन दवाओं की कीमत 10,450 रुपये आंकी गई है, जो पहली नजर में भले ही छोटी लगे, लेकिन यह एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। पुलिस का मानना है कि यह केवल एक छोटी खेप थी और मुख्य सरगना अभी भी फरार हो सकते हैं। तीनों तस्करों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जहां उनसे आगे की पूछताछ की जाएगी ताकि इस पूरे सिंडिकेट का पर्दाफाश किया जा सके।

स्थानीय विक्रेता भी गिरफ्त में: करकापाल जंगल में दबिश

पहले ऑपरेशन की सफलता के कुछ ही घंटों बाद, बोधघाट पुलिस को एक और बड़ी सूचना मिली। इस बार मामला स्थानीय स्तर पर नशीली दवाओं की बिक्री का था। मुखबिर ने बताया कि बोधघाट थानांतर्गत करकापाल जंगल के पास एक युवक नशीली टैबलेट और सीरप बेच रहा है। यह सूचना उस बढ़ते खतरे की ओर इशारा करती है जहां नशा अब शहरों से निकलकर ग्रामीण और जंगली इलाकों तक अपनी पहुंच बना रहा है।

थाना प्रभारी लीलाधर राठौर ने तत्काल दूसरी टीम को करकापाल जंगल की ओर रवाना किया। घने जंगल के बीच भी पुलिस टीम ने अपनी सूझबूझ और फुर्ती से काम लिया। उन्होंने मौके पर घेराबंदी कर राकेश झा (34 वर्ष, निवासी धरमपुरा) नामक युवक को धर दबोचा।

राकेश झा की तलाशी लेने पर उसके कब्जे से नशीली दवाएं बरामद हुईं, जिनकी कीमत 3,088 रुपये आंकी गई है। यह गिरफ्तारी दर्शाती है कि नशे के स्थानीय वितरक भी सक्रिय हैं, जो युवाओं और कमजोर वर्गों को आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। राकेश झा को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर पेश किया गया है।

बस्तर में नशे का बढ़ता खतरा: एक गंभीर सामाजिक चुनौती

ये गिरफ्तारियां केवल पुलिस की सफलता नहीं हैं, बल्कि ये बस्तर में नशे के बढ़ते खतरे की एक गंभीर तस्वीर पेश करती हैं। पहले, बस्तर को मुख्य रूप से नक्सलवाद और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता था। लेकिन अब, नशीली दवाओं का कारोबार यहां के युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। प्रतिबंधित कफ सिरप और नशीली टैबलेट जैसे पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, जो युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं।

पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए एक सतत और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। केवल अपराधियों को पकड़ना ही काफी नहीं होगा, बल्कि नशे के आदी हो चुके युवाओं के पुनर्वास और जागरूकता कार्यक्रमों पर भी ध्यान देना होगा।

पुलिस की रणनीति और आगे की चुनौतियां

बोधघाट थाना प्रभारी लीलाधर राठौर ने बताया कि पुलिस इस प्रकार की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है और नशे के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पुलिस को दें ताकि इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके।

पुलिस की रणनीति में मुखबिर तंत्र को मजबूत करना, सीमावर्ती इलाकों पर कड़ी निगरानी रखना और अंतर्राज्यीय ड्रग्स सिंडिकेट के प्रमुख सदस्यों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना शामिल है। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर छोटे विक्रेताओं और उनके ग्राहकों की पहचान कर नशे के नेटवर्क को तोड़ना भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष: एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य की ओर

बस्तर में नशे के सौदागरों पर पुलिस की यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दर्शाता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, इस लड़ाई को जीतने के लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है। अभिभावकों को अपने बच्चों पर नजर रखनी होगी, स्कूलों को जागरूकता कार्यक्रम चलाने होंगे और स्वास्थ्य सेवाओं को नशे के आदी व्यक्तियों के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित करने होंगे।

जब तक समाज मिलकर इस समस्या का सामना नहीं करेगा, तब तक नशे का काला कारोबार बस्तर जैसे शांतिप्रिय क्षेत्रों के युवाओं के भविष्य को निगलता रहेगा। यह कार्रवाई एक शुरुआत है, एक उम्मीद की किरण है, जो "नशा मुक्त बस्तर" के सपने को साकार करने की दिशा में पहला कदम है। आने वाले समय में पुलिस और समाज के संयुक्त प्रयासों से ही इस खतरे को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकेगा और बस्तर अपनी मूल पहचान - शांति, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य - के लिए फिर से जाना जाएगा।

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