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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला: पति की गुहार पर पत्नी को मिली साथ रहने की अनुमति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक प्रेम विवाह के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। एक पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी को अपने पति के साथ रहने की अनुमति दी है। यह मामला न्याय के मंदिर में एक बेबस पति की गुहार का सफल परिणाम साबित हुआ है।
क्या था मामला?
बिलासपुर निवासी सूरज बंजारे ने मुंगेली की एक युवती से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। शादी के कुछ दिनों बाद ही युवती के परिजन उसे जबरन अपने साथ ले गए थे। इसके बाद युवक को अपनी पत्नी का कोई अता-पता नहीं चला। पत्नी के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए पति ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट का निर्देश और सुनवाई
याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुंगेली एसपी को निर्देश दिया था कि युवती को किसी भी हालत में बरामद कर 28 अगस्त को कोर्ट में पेश किया जाए। आदेश के पालन में आज पुलिस युवती को कोर्ट लेकर पहुंची।
पत्नी ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई
कोर्ट में युवती से उसकी मर्जी पूछी गई। युवती ने साफ शब्दों में कहा कि वह अपने पति सूरज बंजारे के साथ ही रहना चाहती है। युवती की इच्छा जानने के बाद हाईकोर्ट ने उसे पति संग रहने की अनुमति प्रदान कर दी।
कोर्ट की नसीहत: माता-पिता का सम्मान भी करें
हालांकि, हाईकोर्ट ने युवती को यह नसीहत भी दी कि पति के साथ रहने के बावजूद उसे अपने जन्म देने वाले माता-पिता का सम्मान और ख्याल रखना उसका फर्ज है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अब दोनों अपनी जिंदगी खुशहाल तरीके से साथ रहकर जिएं।
यह फैसला प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों और उनके अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है।
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