छत्तीसगढ़ जेल विभाग का नया सख्त नियम: बंदी छुट्टी पर अब और कड़े प्रावधान

छत्तीसगढ़ सरकार के जेल विभाग ने बंदी छुट्टी नियम 1989 में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसके तहत अब छुट्टी पर गए कैदियों के लिए वापसी के नियम बेहद सख्त हो गए हैं। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि छुट्टी का दुरुपयोग न हो और कैदी समय पर जेल वापस आएं।

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छत्तीसगढ़ जेल विभाग का नया सख्त नियम: बंदी छुट्टी पर अब और कड़े प्रावधान, छत्तीसगढ़ सरकार के जेल विभाग ने बंदी छुट्टी नियम 1989 में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसके तहत अब छुट्टी पर गए कैदियों के लिए वापसी के नियम बेहद सख्त हो गए हैं। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि छुट्टी का दुरुपयोग न हो और कैदी समय पर जेल वापस आएं।

42 दिन की छुट्टी, लेकिन शर्त के साथ

नए नियमों के अनुसार, सजायाफ्ता कैदियों को साल में अधिकतम 42 दिनों की छुट्टी मिल सकेगी। यह छुट्टी चार माह के अंतराल पर 14-14 दिनों के लिए दी जाएगी। हालांकि, इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए कैदियों को कई शर्तों का पालन करना होगा।छत्तीसगढ़ जेल विभाग का नया सख्त नियम: बंदी छुट्टी पर अब और कड़े प्रावधान

देर हुई तो सीधे फरार, होगी एफआईआर

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सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि यदि छुट्टी पर गया कोई कैदी नियत तारीख की शाम तक खुद जेल नहीं लौटता है, तो उसे 'फरार' माना जाएगा। इसके बाद, संबंधित पुलिस थाने में कैदी के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएगी। इतना ही नहीं, कैदी के जमानतदार के खिलाफ भी मामला दर्ज होगा और उसकी जमानत जब्त कर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी।छत्तीसगढ़ जेल विभाग का नया सख्त नियम: बंदी छुट्टी पर अब और कड़े प्रावधान

कौन नहीं होगा छुट्टी का पात्र?

कुछ श्रेणियों के कैदियों को छुट्टी का पात्र नहीं माना जाएगा:

  • जो अपनी सजा के दौरान जेल में किसी अपराध के लिए दंडित किए गए हों और यह दंड उनके छुट्टी आवेदन से एक वर्ष पहले का हो।

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    जो पहले दी गई छुट्टी के दौरान फरार हो चुके हों।

  • जिनके खिलाफ किसी आपराधिक प्रकरण में अभी भी कोई मामला लंबित हो, जिसमें फरारी के मामले शामिल हों।

  • जिनके विरुद्ध विचारणार्थ कोई अन्य मामला विचाराधीन हो।

छुट्टी पर जाने की शर्तें और स्थानीय निगरानी

छुट्टी पर जाने वाले कैदियों को कई शर्तों का पालन करना होगा:

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  • कैदी केवल उन्हीं स्थानों पर जा सकेगा, जिनका उल्लेख उसने अपने आवेदन में किया है।

  • छुट्टी के दौरान कोई अपराध या लोकहित को प्रभावित करने वाला कार्य नहीं करेगा।

  • छुट्टी मंजूर किए गए स्थान पर पहुंचने की सूचना ग्राम के सरपंच, कोटवार या शहर में वार्ड पार्षद को देनी होगी।

  • छुट्टी के दौरान कैदी को रोजाना उनके समक्ष हाजिरी देनी होगी। यदि ऐसा नहीं होता है, तो सरपंच, कोटवार, पार्षद तत्काल इसकी सूचना पुलिस थाने को देंगे।

ये नए नियम जेलों में अनुशासन बनाए रखने और छुट्टी प्रणाली में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।छत्तीसगढ़ जेल विभाग का नया सख्त नियम: बंदी छुट्टी पर अब और कड़े प्रावधान

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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