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छत्तीसगढ़ के नगरी में सरकारी जमीन के 'फर्जीवाड़े' पर कलेक्टर का कड़ा एक्शन, भू-माफियाओं को सीधी चेतावनी
धमतरी/नगरी : छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी तहसील क्षेत्र में सरकारी और मुआवजा प्राप्त जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त का काला कारोबार अब अपने चरम पर पहुंच गया है। लेकिन, अब इस बेखौफ गोरखधंधे पर लगाम कसने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने इस मामले में बेहद सख्त तेवर अपनाते हुए स्पष्ट चेतावनी दी है कि सरकारी भूमि या मुआवजा दी गई जमीनों के फर्जी सौदों में शामिल किसी भी व्यक्ति को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह एक निर्णायक कदम माना जा रहा है जो नगरी क्षेत्र में वर्षों से जारी भूमि संबंधी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
सालों से जारी था 'जमीन का खेल': कैसे ठगे जा रहे थे भोले-भाले लोग?
यह कोई नया मामला नहीं है। नगरी क्षेत्र में भू-माफियाओं और अवैध कॉलोनाइजरों का यह 'जमीन का खेल' सालों से चल रहा है। इसका मुख्य केंद्र वे भूखंड रहे हैं जिन्हें सिंचाई विभाग ने वर्ष 1991-92 में नहर-नालियों के निर्माण के लिए अधिग्रहित किया था। इन जमीनों के मूल मालिकों को सरकार ने उचित मुआवजा भी दे दिया था, जिसके बाद ये भूखंड कानूनी तौर पर सरकारी संपत्ति बन गए थे।
लेकिन, कुछ भू-माफियाओं ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए उन्हीं सरकारी जमीनों को अपनी निजी संपत्ति बताकर भोले-भाले खरीदारों को मोटी रकम में बेचना शुरू कर दिया। कल्पना कीजिए, एक ही भूखंड को कई अलग-अलग लोगों को बेचा जा रहा है, जिससे खरीदारों के बीच गंभीर विवाद और कानूनी पेचीदगियां पैदा हो रही हैं। नहरों और नहर-नालियों के किनारे धड़ल्ले से अवैध निर्माण भी हो रहे हैं, जो न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन है बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी चूना लगा रहा है। आम नागरिकों की गाढ़ी कमाई ऐसे फर्जी सौदों में फंसकर डूब रही है, जिससे उनका विश्वास डगमगा रहा है और सामाजिक अशांति भी बढ़ रही है।
पत्रकारों और समाजसेवियों की पहल: प्रशासन पर दबाव
इस गंभीर अनियमितता की जानकारी गुरुवार को उस समय खुलकर सामने आई जब नगरी तहसील क्षेत्र से आए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने सीधे धमतरी जिला कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर अविनाश मिश्रा को इस पूरे मामले की पुख्ता जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नगरी क्षेत्र में खुलेआम जमीन की अवैध बिक्रियां और अवैध निर्माण का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इन जागरूक नागरिकों की पहल ने जिला प्रशासन को हरकत में आने पर मजबूर कर दिया।
कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया और तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, "भू-माफियाओं को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अब यह खेल ज्यादा दिन नहीं चलेगा।"
कलेक्टर के कड़े निर्देश: संदिग्ध रजिस्ट्रियों पर तत्काल रोक
इस बैठक के बाद कलेक्टर मिश्रा ने तत्काल प्रभाव से उप-पंजीयक और एसडीएम नगरी को इस संबंध में निर्देशित किया है। उनके निर्देशों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
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संदिग्ध रजिस्ट्रियों की जांच: नगरी क्षेत्र में हुई सभी संदिग्ध रजिस्ट्रियों की तुरंत और गहन जांच की जाए।
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धोखाधड़ी पर रोक: जहां भी धोखाधड़ी या अनियमितता पाई जाए, उन सौदों पर तत्काल रोक लगाई जाए और रजिस्ट्री रद्द की जाए।
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गहन पड़ताल: भविष्य में किसी भी विवादित भूमि की रजिस्ट्री बिना गहन जांच-पड़ताल के नहीं की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी सरकारी या विवादित जमीन दोबारा अवैध रूप से बेची न जा सके।
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कानूनी कार्रवाई: फर्जी सौदों में शामिल सभी व्यक्तियों, चाहे वे भू-माफिया हों, बिचौलिए हों या इसमें सहयोग करने वाले अन्य लोग हों, उनके खिलाफ तत्काल और कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
स्थानीय लोगों की उम्मीदें: क्या लगेगा स्थायी अंकुश?
नगरी क्षेत्र के स्थानीय लोगों और समाजसेवियों ने प्रशासन के इस कड़े रुख का स्वागत किया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रशासन केवल चेतावनी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ऐसे मामलों में तुरंत और कठोर कदम उठाएगा ताकि भूमि संबंधी अव्यवस्था पर स्थायी रूप से अंकुश लग सके। उनका मानना है कि इस तरह की कड़ी कार्रवाई ही भू-माफियाओं के दुस्साहस को तोड़ सकती है और भोले-भाले खरीदारों को ठगी का शिकार होने से बचा सकती है।
आगे की राह: क्या बदलेंगे नगरी के हालात?
कलेक्टर के इस ऐलान के बाद अब सबकी निगाहें नगरी क्षेत्र पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इन निर्देशों को कितनी सख्ती से लागू करता है और कितने फर्जी सौदों पर रोक लगाई जाती है। इस मामले में उप-पंजीयक और एसडीएम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि उन्हें संदिग्ध रजिस्ट्रियों की पहचान करनी होगी और कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
यह केवल नगरी क्षेत्र का मामला नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि पूरे छत्तीसगढ़ में सरकारी जमीनों के अतिक्रमण और अवैध बिक्री की समस्या कितनी गहरी है। कलेक्टर अविनाश मिश्रा का यह कदम एक मिसाल कायम कर सकता है और अन्य जिलों के प्रशासनों को भी इसी तरह की कठोर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है। अगर यह पहल सफल होती है, तो यह न केवल सरकारी राजस्व की रक्षा करेगी, बल्कि आम जनता के संपत्ति अधिकारों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, जिससे एक fairer और अधिक पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी।
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