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छत्तीसगढ़ की पंचायतों में 'डिजिटल क्रांति' का शंखनाद: गांधी जयंती पर विशेष ग्रामसभाएं, एआई आधारित रिकॉर्डिंग और किसानों के हित पर अभूतपूर्व फोकस
रायपुर: 2 अक्टूबर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती का पावन अवसर। यह दिन भारत के गांव-गांव में उनकी "ग्राम स्वराज" की परिकल्पना को साकार करने का संकल्प दिलाता है। इस साल, छत्तीसगढ़ में यह संकल्प एक अभूतपूर्व डिजिटल और विकासात्मक आयाम के साथ मूर्त रूप लेने जा रहा है। राज्यभर की ग्राम पंचायतों में विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन होने जा रहा है, लेकिन इस बार ये सभाएं केवल पारंपरिक बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर, इन ग्रामसभाओं के फैसलों की अब न केवल वीडियो रिकॉर्डिंग होगी, बल्कि उनकी कार्यवाही का ब्योरा भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित 'सभासार' नामक एक नए पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। यह कदम ग्रामीण भारत में पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।
पारदर्शिता का नया अध्याय: एआई और वीडियो रिकॉर्डिंग
पंचायत संचालनालय ने सभी जिलों को कम से कम 10 ग्राम पंचायतों में इस नए 'सभासार' पोर्टल का उपयोग करते हुए कार्यवाही विवरण तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यह पहल यह सुनिश्चित करेगी कि ग्रामसभाओं में लिए गए निर्णय, उनकी चर्चाएं और अंततः उन पर की गई कार्यवाही पूरी तरह से पारदर्शी हों और भविष्य के लिए एक डिजिटल रिकॉर्ड के रूप में उपलब्ध रहें। वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रावधान किसी भी प्रकार के विवाद या आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति में एक अकाट्य प्रमाण के रूप में काम करेगा, जिससे ग्राम प्रधानों और अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी। यह ग्रामीण जनता में विश्वास पैदा करेगा कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों और उनके सुझावों को गंभीरता से लिया जा रहा है।
पंचायत संचालनालय ने विशेष ग्राम सभाओं के सफल आयोजन के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। इसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय और उनके आश्रित ग्रामों में ग्राम सभा का आयोजन करने के लिए एक समय सारणी तैयार करने, तथा स्थानीय आवश्यकतानुसार अधिकारियों/कर्मचारियों को विशेष जिम्मेदारी सौंपने को कहा गया है। यह जमीनी स्तर पर नियोजन और क्रियान्वयन की महत्ता को दर्शाता है।
किसानों के हक की बात: रकबा सत्यापन और डिजिटल सर्वे
इस विशेष ग्रामसभा का एक महत्वपूर्ण पहलू किसानों के हितों पर सीधा फोकस है। राज्य में इस समय किसानों का पंजीयन एग्रीस्टैक पोर्टल में किया जा रहा है, और उन्हें राज्य सरकार के एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य किया गया है। इन ग्रामसभाओं में इस प्रक्रिया को और मजबूती मिलेगी। निर्देश दिए गए हैं कि उन सभी किसानों के नाम और उनकी जमीनों का रकबा, जिनका एग्रीस्टैक पंजीयन हो चुका है और जिनकी जमीनों को फार्म आईडी पंजीकृत हो चुके हैं, उन्हें पंचायत भवन में चस्पा किया जाए और विशेष ग्राम सभाओं में उनका सार्वजनिक रूप से पठन किया जाए।
यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह धान के रकबे के सत्यापन और गिरदावरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा। ग्रामवार धान के रकबा और कृषकवार डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं गिरदावरी के धान का रकबा जो पंजीकृत हुआ है, उसका भी ग्राम सभाओं में पठन किया जाएगा और उन्हें पंचायत भवन पर चस्पा किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी किसान अपनी सही जानकारी से वंचित न रहे और किसी भी प्रकार की त्रुटि को समय रहते सुधारा जा सके। यह किसानों को मिलने वाले सरकारी लाभों, जैसे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और विभिन्न कृषि योजनाओं का आधार बनता है।
विकास का एजेंडा: पिछली रिपोर्टों की समीक्षा और भविष्य की योजना
2 अक्टूबर को आयोजित होने वाली इन ग्रामसभाओं में केवल किसानों के मुद्दे ही नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास के कई अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें शामिल हैं:
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पूर्व संकल्पों का क्रियान्वयन: ग्राम सभा की पिछली बैठकों में पारित संकल्पों के क्रियान्वयन संबंधी पालन प्रतिवेदन पर चर्चा और उसकी समीक्षा की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि लिए गए निर्णय केवल कागजों तक ही सीमित न रहें, बल्कि उन पर वास्तविक कार्यवाही भी हो।
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आय-व्यय की समीक्षा: पंचायतों को विगत तिमाही के आय-व्यय की समीक्षा प्रस्तुत करनी होगी और ग्रामसभा द्वारा उसका अनुमोदन किया जाएगा। यह वित्तीय पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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योजनाओं की प्रगति: पिछली वर्ष में विभिन्न योजनाओं से स्वीकृत कार्यों के नाम, प्राप्त राशि, स्वीकृत राशि, व्यय राशि और कार्य की अद्यतन स्थिति का वाचन किया जाएगा। इससे ग्रामीणों को पता चलेगा कि उनके गांव में कौन से विकास कार्य चल रहे हैं, कितनी राशि खर्च हुई है, और उनकी प्रगति क्या है। यह ग्रामीणों को अपने गांव के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर देगा।
गांधी की परिकल्पना को डिजिटल उड़ान
महात्मा गांधी ने "ग्राम स्वराज" की परिकल्पना की थी, जहां गांव अपनी समस्याओं का समाधान खुद करें और अपने विकास की दिशा स्वयं तय करें। डिजिटल रिकॉर्डिंग और एआई आधारित पोर्टल 'सभासार' का उपयोग उनकी इसी परिकल्पना को 21वीं सदी के अनुरूप एक नई उड़ान देगा। यह न केवल ग्रामीण भारत को डिजिटल रूप से साक्षर बनाएगा, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में ग्रामीणों की भागीदारी को और मजबूत करेगा।
यह पहल छत्तीसगढ़ को ग्रामीण विकास और स्थानीय स्वशासन में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित कर सकती है। यह दिखाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग जमीनी स्तर पर शासन को बेहतर बनाने, पारदर्शिता लाने और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए किया जा सकता है। उम्मीद है कि यह मॉडल पूरे देश में लागू होगा, जिससे ग्रामसभाएं केवल एक औपचारिकता न रहकर, वास्तव में ग्रामीण भारत के लोकतांत्रिक और विकासात्मक स्तंभ बन सकेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये विशेष ग्रामसभाएं ग्रामीण जीवन में कितना सकारात्मक बदलाव ला पाती हैं, और कैसे 'सभासार' पोर्टल स्थानीय स्वशासन के चेहरे को बदलता है।
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