छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म: भूमि रजिस्ट्री अब घर बैठे, साय सरकार की डिजिटल पहल

छत्तीसगढ़ में भूमि रजिस्ट्री अब पूरी तरह डिजिटल, नागरिकों को दफ्तरों के चक्कर और बिचौलियों से मुक्ति। सीएम साय सरकार ने ई-गवर्नेंस मॉडल से पारदर्शिता और सुगमता लाई।

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म, छत्तीसगढ़ में दशकों पुरानी, जटिल और भ्रष्टाचार-ग्रस्त भूमि रजिस्ट्री प्रणाली अब इतिहास का हिस्सा बन गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने एक साहसिक और दूरदर्शी कदम उठाते हुए, भूमि रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया को डिजिटलाइज्ड कर दिया है। यह पहल न केवल प्रशासनिक सुधार है, बल्कि यह नागरिक सशक्तिकरण, पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में एक क्रांतिकारी छलांग है, जिसने आम नागरिकों को दफ्तरों के अंतहीन चक्कर और बिचौलियों के चंगुल से हमेशा के लिए मुक्त कर दिया है।

पुरानी व्यवस्था की जटिलता और नागरिकों की पीड़ा

पूर्ववर्ती भूमि रजिस्ट्री प्रणाली नागरिकों के लिए एक दुःस्वप्न से कम नहीं थी। एक साधारण रजिस्ट्री को पूरा करने में हफ्तों, या कभी-कभी महीनों लग जाते थे। फाइलें लालफीताशाही की भेंट चढ़ जाती थीं, और सरकारी दफ्तरों में बिचौलियों का एक समानांतर तंत्र सक्रिय था, जिसके बिना आम आदमी का काम असंभव सा हो जाता था। ये बिचौलिए प्रक्रिया को और जटिल बनाकर अपनी जेबें भरते थे, जिससे ईमानदारी से काम कराना एक बड़ी चुनौती बन जाती थी।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

दस्तावेज़ों की गड़बड़ी एक और बड़ी समस्या थी। खसरा-खतौनी में गलत प्रविष्टियाँ, नकली बिक्री पत्र, फर्जी हस्ताक्षर और एक ही ज़मीन की दोहरी बिक्री जैसी घटनाएँ आम थीं। इन विसंगतियों के कारण ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को अपनी रजिस्ट्री कराने के लिए अक्सर 100 से 200 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता था, जिसमें उनका बहुमूल्य समय, श्रम और धन बर्बाद होता था।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

पारदर्शिता की कमी इस व्यवस्था की सबसे बड़ी खामी थी। नागरिकों को यह भी पता नहीं चलता था कि उनकी फाइल किस चरण में है। बार-बार दफ्तर जाकर जानकारी लेनी पड़ती थी, जहाँ अक्सर उन्हें टालमटोल भरे जवाब मिलते थे। परिणामस्वरूप, जनता का व्यवस्था के प्रति अविश्वास गहराता जा रहा था और भूमि विवादों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, जिससे अदालतों पर भी बोझ बढ़ रहा था।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

साय सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: डिजिटल और पारदर्शी क्रांति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस गंभीर समस्या को पहचानते हुए भूमि रजिस्ट्री को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इस परिवर्तन की नींव अत्याधुनिक तकनीक और ई-गवर्नेंस मॉडल पर रखी गई है। कम्प्यूटरीकृत रजिस्ट्री प्रणाली, मोबाइल एप्लिकेशन, आधार-पैन एकीकरण, 'माई डीड' मॉड्यूल और जियो-रेफरेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को इस सुधार की रीढ़ बनाया गया है। यह केवल कागजी कार्यवाही में बदलाव नहीं, बल्कि एक नया दृष्टिकोण है जहाँ नागरिक सुविधा और पारदर्शिता सर्वोपरि है।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अब नागरिकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें अब घर बैठे ही ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा मिल रही है। इस पहल ने न केवल समय और धन की बचत की है, बल्कि पूरी प्रक्रिया में अद्वितीय पारदर्शिता भी लाई है।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

चरणबद्ध डिजिटल प्रक्रिया: अब रजिस्ट्री हुई बेहद आसान

नई डिजिटल प्रणाली एक चरणबद्ध और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रक्रिया प्रदान करती है:

  1. ऑनलाइन आवेदन: आवेदक अब ऑनलाइन पोर्टल या एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से भूमि रजिस्ट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं।

  2. पैन और आधार एकीकरण: खरीदार और विक्रेता दोनों की पहचान की पुष्टि उनके पैन (स्थायी खाता संख्या) और आधार (विशिष्ट पहचान संख्या) से की जाती है। यह प्रक्रिया फर्जी लेनदेन की संभावना को पूरी तरह से समाप्त करती है।

  3. 'माई डीड' मॉड्यूल: एक विशेष 'माई डीड' मॉड्यूल सभी आवश्यक दस्तावेज़ों, अनुबंधों और सहमति पत्रों को सुरक्षित रूप से डिजिटल रूप से संग्रहित करता है। यह डेटा की सुरक्षा और पहुंच सुनिश्चित करता है।

  4. स्टांप शुल्क भुगतान: नागरिक अब डिजिटल माध्यमों से स्टांप शुल्क का भुगतान कर सकते हैं, जिससे भुगतान प्रक्रिया में भी पूरी पारदर्शिता आती है और बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है।

  5. जियो-रेफरेंसिंग प्रणाली: भूमि की सटीक लोकेशन और सीमाओं की पुष्टि अब डिजिटल मैपिंग और जियो-रेफरेंसिंग प्रणाली के माध्यम से होती है। यह भविष्य के भूमि विवादों को काफी हद तक कम कर देता है।

  6. ऑनलाइन वेंडर लोकेशन: पोर्टल पर स्टांप वेंडरों की लोकेशन आसानी से उपलब्ध होती है, जिससे नागरिकों को सही वेंडर तक पहुंचने में सुविधा होती है।

  7. ई-रजिस्ट्री: सभी प्रक्रियाएँ पूरी होने के बाद, डिजिटल हस्ताक्षर सहित अंतिम ई-रजिस्ट्री जारी कर दी जाती है, जो कानूनी रूप से पूरी तरह मान्य होती है।

सुगम मोबाइल एप्लिकेशन: नागरिकों के हाथ में शक्ति

सरकार ने नागरिकों की सुविधा के लिए एक 'सुगम' मोबाइल एप्लिकेशन भी तैयार किया है। इस ऐप के माध्यम से लोग अपनी रजिस्ट्री की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं, आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं और हर चरण की जानकारी समय-समय पर अपने मोबाइल पर प्राप्त कर सकते हैं। यह ऐप नागरिकों को सीधे सिस्टम से जोड़ता है और बिचौलियों की मध्यस्थता को पूरी तरह से समाप्त करता है।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

डिजिटल क्रांति के दूरगामी लाभ और प्रभाव

इस डिजिटल परिवर्तन के लाभ बहुआयामी हैं:

  • समय की बचत: अब रजिस्ट्री के लिए दिनों या महीनों तक इंतजार नहीं करना पड़ता। प्रक्रिया अब मिनटों और घंटों में पूरी होती है।

  • भ्रष्टाचार पर रोक: बिचौलियों का सफाया और ऑनलाइन भुगतान से अनावश्यक शुल्क और भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगी है।

  • पारदर्शिता: हर प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है, जिससे किसी भी स्तर पर हेरफेर की गुंजाइश नहीं बचती।

  • सुगमता: नागरिक मोबाइल ऐप या पोर्टल से कभी भी, कहीं भी अपनी सुविधा अनुसार प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

  • भविष्य के विवादों में कमी: जियो-रेफरेंसिंग प्रणाली से भूमि की वास्तविक स्थिति की पुष्टि हो जाती है, जिससे भविष्य के भूमि विवादों की संभावना न्यूनतम हो जाती है।

छत्तीसगढ़ ने कायम की नई मिसाल: भविष्य की ओर अग्रसर

छत्तीसगढ़ ने भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर नागरिक सेवाओं के क्षेत्र में एक नई और अनुकरणीय मिसाल कायम की है। यह सुधार केवल तकनीकी उन्नति नहीं है, बल्कि यह न्याय, पारदर्शिता और नागरिक सशक्तिकरण का एक सशक्त प्रतीक है। यह मॉडल दृढ़ता से यह साबित करता है कि ई-गवर्नेंस केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह लोगों के जीवन में वास्तविक और सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

आने वाले वर्षों में, जब इस डिजिटल रजिस्ट्री प्रणाली को ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती हुई तकनीकों के साथ एकीकृत किया जाएगा, तब यह एक पूरी तरह से विवाद-मुक्त, तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद प्रणाली बनकर उभरेगी, जो न केवल छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक आदर्श बन सकेगी। यह कदम वास्तव में 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' के सिद्धांत को व्यवहार में उतारता है।छत्तीसगढ़ में बिचौलियों का खेल खत्म

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

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