छत्तीसगढ़ में डिजिटल क्रांति: नगर निगम की सभी कमर्शियल प्रॉपर्टी अब ऑनलाइन, दशकों पुरानी अनियमितताओं पर लगेगी लगाम

राज्य बनने के बाद पहली बार नगर निगम अपनी सभी व्यावसायिक संपत्तियों का ब्यौरा ऑनलाइन सार्वजनिक कर रहा है। जानें कैसे यह पहल पारदर्शिता लाएगी, अनियमितताओं को दूर करेगी और राजस्व बढ़ाएगी, साथ ही किराएदारों और लीजधारकों पर क्या होगा असर।

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छत्तीसगढ़ में पारदर्शिता की नई सुबह: नगर निगम की हर कमर्शियल प्रॉपर्टी अब एक क्लिक पर, दशकों पुरानी विसंगतियां होंगी उजागर

रायपुर : राज्य के गठन के बाद पहली बार, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, नगर निगम अपनी सभी व्यावसायिक संपत्तियों – दुकानों से लेकर भूखंडों तक – का विस्तृत विवरण ऑनलाइन सार्वजनिक करने जा रहा है। यह पहल केवल सूचना के डिजिटलीकरण से कहीं बढ़कर है; यह दशकों से चली आ रही अनियमितताओं, पुराने किरायों और अनधिकृत कब्जों के मकड़जाल को सुलझाने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है, जो अंततः निगम के राजस्व और शहरी विकास को गति देगा।

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पारदर्शिता की दरकार और अतीत की धुंध
अब तक, नगर निगम के पास अपनी व्यावसायिक संपत्तियों का कोई केंद्रीकृत और अद्यतन डेटाबेस नहीं था। जानकारी ज़ोन-वार बंटी हुई थी, और जब भी किसी दुकान या लीज की स्थिति जाननी होती थी, तो सभी ज़ोन कार्यालयों से संपर्क करना पड़ता था – एक थकाऊ और अक्षम प्रक्रिया। कई अधिकारियों का मानना है कि यह जानकारी वर्षों से अपडेट नहीं हुई है, जिसके परिणामस्वरूप अनगिनत विसंगतियां पैदा हुई हैं। ऐसी कई दुकानें हैं जिनकी लीज अवधि समाप्त हो चुकी है, फिर भी वे पुराने मालिकों या किरायेदारों के पास बनी हुई हैं, बिना किसी नए समझौते या अद्यतन किराए के। इस स्थिति ने न केवल निगम के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और अनुचित लाभ का एक प्रजनन स्थल भी बन गया था।

आयुक्त विश्वदीप की पहल: एक डिजिटल छलांग
नगर निगम आयुक्त विश्वदीप ने इस बड़ी पहल की घोषणा करते हुए कहा, "निगम की एक-एक दुकानों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज करने के लिए यह काम किया जा रहा है। जो दुकानों के मालिक या किरायेदार हैं, उनकी जानकारी भी सभी को ऑनलाइन मिलेगी। इसके बाद दुकानों से संबंधित सभी तरह के शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन हो सकेगा।" यह बयान एक नए युग का प्रतीक है, जहां नागरिक सेवाओं तक पहुंच आसान होगी और निगम की कार्यप्रणाली में अभूतपूर्व पारदर्शिता आएगी।

क्या करना होगा संपत्ति धारकों को?
इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए, निगम ने उन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को निर्देश दिया है जिनके पास निगम की कोई भी दुकान या जमीन है, वे अपने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ निगम मुख्यालय के कमरा नंबर 104 में स्थित नजूल विभाग में जानकारी जमा करें। इन दस्तावेजों में लीज डीड रजिस्ट्री, एग्रीमेंट, अधिकार पत्र, आवंटन पत्र, प्रीमियम राशि जमा करने की रसीद, किराये की रसीद, संपत्ति कर की कॉपी, गुमाश्ता, और लाइसेंस शामिल हैं। इसके साथ ही, उन्हें अपना मोबाइल नंबर और आधार कार्ड भी संलग्न करना होगा।

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यह चेतावनी भी दी गई है कि जो लोग इस निर्देश का पालन नहीं करेंगे, उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा। संतोषजनक जवाब न मिलने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें संपत्ति से बेदखली या जुर्माना भी शामिल हो सकता है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि केवल वैध और पंजीकृत धारक ही निगम की संपत्तियों का उपयोग कर सकें।

दशकों पुराना किराया और उप-लीज की समस्या
निगम को यह भी पता चला है कि कई किरायेदार दशकों से, अक्सर 10 से 20 वर्षों से, निगम की दुकानों पर काबिज हैं और बेहद कम, दशकों पुराना किराया चुका रहे हैं। यह स्थिति निगम के लिए एक बड़ा वित्तीय नुकसान है, क्योंकि इन संपत्तियों का बाजार मूल्य और अपेक्षित किराया कहीं अधिक है। इस नई पहल से ऐसे किरायेदारों की पहचान की जाएगी और उनका किराया बाजार दरों के अनुसार बढ़ाया जाएगा, जिससे निगम के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

इसके अलावा, लीज पर दी गई संपत्तियों को अनधिकृत रूप से उप-लीज पर देने या बेचने की प्रथा भी व्यापक है। यह मूल लीज समझौते का उल्लंघन है और इससे निगम को राजस्व का नुकसान होता है। ऑनलाइन डेटाबेस से ऐसे मामलों का पता लगाने में मदद मिलेगी, और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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जमीनी हकीकत और भविष्य की योजना
दस्तावेजों के सत्यापन के बाद, नजूल और बाजार विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर दुकानों का भौतिक सत्यापन करेंगे। वे यह जांचेंगे कि संपत्तियां जैसी आवंटित की गई थीं, वैसी ही हैं या उनमें कोई नया निर्माण या डिज़ाइन परिवर्तन किया गया है। आसपास कोई अवैध कब्जा या अतिक्रमण तो नहीं है, इसकी भी गहन जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि निगम की भूमि पर कोई अवैध गतिविधि न हो और संपत्ति का उचित रखरखाव हो।

एक बार सभी जानकारी ऑनलाइन दर्ज हो जाने के बाद, निगम की दुकानों से संबंधित किराया, भूभाटक या किस्तों का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकेगा। यह सुविधा नागरिकों के लिए बड़ी राहत होगी, क्योंकि उन्हें भुगतान के लिए निगम कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह डिजिटल सुविधा पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी और मानवीय हस्तक्षेप को कम करेगी, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।

शहरी विकास और सुशासन की दिशा में एक कदम
यह पहल केवल एक प्रशासनिक सुधार से कहीं बढ़कर है; यह सुशासन और शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। निगम की संपत्तियों के कुशल प्रबंधन से राजस्व में वृद्धि होगी, जिसका उपयोग शहर के बुनियादी ढांचे और नागरिक सेवाओं में सुधार के लिए किया जा सकेगा। यह रायपुर को एक स्मार्ट और अधिक जवाबदेह शहर बनाने की दिशा में एक बड़ा योगदान है।

जैसा कि छत्तीसगढ़ एक नया दशक शुरू कर रहा है, यह डिजिटल क्रांति न केवल संपत्ति प्रबंधन के तरीके को बदल देगी, बल्कि यह नागरिकों और सरकार के बीच संबंधों को भी मजबूत करेगी। यह एक ऐसा परिवर्तन है जो पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा, जिससे अंततः सभी के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित होगा।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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