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 छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड घोटाला: 46 लाख 'संदिग्ध' सदस्यों पर लटकी तलवार, 2 लाख नाम रद्द

छत्तीसगढ़ में 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के तहत 46 लाख से अधिक राशन कार्ड सदस्य ई-केवाईसी में फेल। खाद्य विभाग ने 1.93 लाख नामों को रद्द किया, 53,000 और नाम रद्द होने की कगार पर। जानें कैसे हो रही थी लाखों की अनाज चोरी।

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 छत्तीसगढ़ के राशन कार्डों में महा-घोटाला! 46 लाख 'संदिग्ध' सदस्य, 2 लाख नाम रद्द, लाखों की अनाज चोरी का खुलासा

रायपुर : छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में एक विशालकाय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। राज्य खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ताजा रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं, जिसके अनुसार 46 लाख से अधिक राशन कार्ड सदस्य 'संदिग्ध' पाए गए हैं। ये वे सदस्य हैं जिन्होंने केंद्र सरकार की 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के तहत अनिवार्य ई-केवाईसी (e-KYC) प्रक्रिया पूरी नहीं की है। इस बड़े पैमाने के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद विभाग ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए अब तक लगभग 1 लाख 93 हजार 67 सदस्यों के नाम राशन कार्ड से निरस्त कर दिए हैं, और 53 हजार से अधिक नाम और निरस्त होने की कगार पर हैं।

कौन हैं ये 'संदिग्ध' सदस्य और कैसे हो रही थी अनाज की चोरी?

'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना का मूल उद्देश्य पूरे देश में खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता लाना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र हितग्राहियों को ही राशन मिले। इसी कड़ी में, प्रत्येक राशन कार्ड सदस्य का ई-केवाईसी कराना अनिवार्य किया गया था। लेकिन छत्तीसगढ़ में लाखों की संख्या में सदस्य बिना ई-केवाईसी कराए ही हर महीने राशन दुकानों से खाद्यान्न उठाते रहे हैं।

विभाग का मानना है कि इन 'संदिग्ध' सदस्यों के नाम पर बड़े पैमाने पर अनाज की चोरी हो रही थी। भौतिक सत्यापन के दौरान जो भयावह सच्चाई सामने आई है, वह यह है कि इन 'संदिग्ध' सदस्यों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनकी या तो मृत्यु हो चुकी है, या वे राज्य छोड़कर कहीं और चले गए हैं। कुछ मामलों में तो आधार कार्ड डुप्लीकेट पाए गए हैं, और कई ऐसे सदस्य भी हैं जो पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते। इन सभी अपात्र या गैर-मौजूद सदस्यों के नाम पर हर महीने लाखों क्विंटल अनाज कालाबाजार में बेचा जा रहा था, जिसका सीधा नुकसान गरीब और जरूरतमंद परिवारों को उठाना पड़ रहा था।

विभाग की कार्रवाई और भौतिक सत्यापन का अभियान

इन चौंकाने वाले आंकड़ों के सामने आने के बाद खाद्य विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में 'संदिग्ध' सदस्यों का घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश जारी किए। यह एक बड़ा अभियान है जिसका उद्देश्य राशन कार्ड प्रणाली से फर्जी और अपात्र नामों को हटाना है।

रायपुर खाद्य नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया, "ई-केवाईसी नहीं कराने वाले सस्पेक्टेड राशन कार्ड सदस्यों का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। इस दौरान मृत हो चुके, राज्य छोड़कर जा चुके या फिर अपात्र पाए गए सदस्यों के नाम निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है।" उन्होंने पुष्टि की कि यह अभियान पूरी पारदर्शिता के साथ चलाया जा रहा है ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति राशन से वंचित न रहे।

जिलेवार निरस्तीकरण: कौन कहां कितना प्रभावित?

विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के सभी जिलों में बड़े पैमाने पर नाम निरस्त किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में रायपुर (19,574), बिलासपुर (17,063), दुर्ग (15,711) और कोरबा (10,221) शामिल हैं। महासमुंद (8,437), बलौदाबाजार (8,335) और जशपुर (9,681) जैसे जिलों में भी हजारों की संख्या में नाम हटाए गए हैं। छोटे जिले जैसे बीजापुर (920), नारायणपुर (812) और कोरिया (903) में भी सैकड़ों नाम निरस्त हुए हैं, जो यह दर्शाता है कि यह समस्या पूरे राज्य में फैली हुई है। (देखें संलग्न तालिका)

यह संख्या अभी शुरुआती है, क्योंकि 53,234 और सदस्यों के नाम निरस्त किए जाने की प्रक्रिया जारी है। इन सदस्यों में भी मृत, राज्य छोड़कर जा चुके, डुप्लीकेट आधार कार्ड वाले और अपात्र सदस्य शामिल हैं। यह आंकड़ा अंतिम नहीं है और भौतिक सत्यापन का अभियान जारी रहने से इसमें और वृद्धि होने की संभावना है।

पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा कदम

यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को स्वच्छ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लंबे समय से यह शिकायतें आ रही थीं कि राशन प्रणाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लीकेज है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है और जरूरतमंदों तक अनाज नहीं पहुंच पा रहा है। ई-केवाईसी और भौतिक सत्यापन का यह अभियान इस लीकेज को रोकने और प्रणाली में जवाबदेही लाने में मदद करेगा।

हालांकि, चुनौती अभी भी बड़ी है। 46 लाख से अधिक 'संदिग्ध' सदस्यों का आंकड़ा बताता है कि अभी भी एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो जांच के दायरे में है। विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया निष्पक्ष और त्रुटिहीन हो, ताकि कोई भी सच्चा लाभार्थी गलती से सूची से बाहर न हो जाए। इसके साथ ही, इस पूरे घोटाले के पीछे के मास्टरमाइंडों की पहचान कर उन पर कड़ी कार्रवाई करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

 छत्तीसगढ़ के राशन कार्डों में उजागर हुआ यह महा-घोटाला राज्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह दर्शाता है कि कैसे सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर जनता के पैसे की बर्बादी की जा सकती है। खाद्य विभाग की यह कार्रवाई सराहनीय है और यह उम्मीद जगाती है कि भविष्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनेगी। यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि हर पात्र व्यक्ति को उसका हक मिले और भ्रष्टाचार के इस राक्षस का समूल नाश हो।

 

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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