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मुख्य बिंदु:
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छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी पेंशन फोरम ने सरकार से मोदी की गारंटी और चुनावी वादे पूरे करने का किया आग्रह।
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57 हजार शिक्षक पदों पर तत्काल भर्ती और बंद किए गए स्कूलों को दोबारा खोलने की मांग प्रमुख।
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वेतन विसंगति, क्रमोन्नति और पंचायत सचिवों के नियमितीकरण जैसे मुद्दे भी शामिल।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा और कर्मचारियों के मुद्दे: 57 हजार शिक्षक पदों पर भर्ती, बंद स्कूलों को फिर से खोलने की मांग, छत्तीसगढ़ में कर्मचारी-अधिकारी पेंशन फोरम ने राज्य सरकार पर चुनाव पूर्व किए गए वादों और "मोदी की गारंटी" को लागू करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। फोरम ने विभिन्न मांगों को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की है।
शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता
फोरम ने शिक्षा व्यवस्था में तत्काल सुधार की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
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नई शिक्षा नीति लागू करें: राज्य में शीघ्र ही नई शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
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बंद स्कूल फिर से खोलें: वर्ष 2019 से नवंबर 2023 के बीच अनुचित तरीके से बंद किए गए सभी स्कूलों को तुरंत दोबारा खोला जाए ताकि छात्रों को शिक्षा का अधिकार मिल सके।
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शिक्षक भर्ती: राज्य में खाली पड़े 57 हजार शिक्षक पदों पर जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
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वेतन विसंगति दूर करें: सहायक शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
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क्रमोन्नति का लाभ: सभी पात्र कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ प्रदान किया जाए।
पंचायत सचिवों और अन्य कर्मचारियों की लंबित मांगें
फोरम ने पंचायत सचिवों और अन्य राज्य कर्मचारियों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मांगों को भी उजागर किया है:
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पंचायत सचिवों का नियमितीकरण: पंचायत सचिवों को नियमित किया जाए और उनके बकाया एरियर्स को जीपीएफ में जोड़ा जाए।
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केंद्र के समान महंगाई भत्ता (DA): राज्य कर्मचारियों को केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता (डीए) प्रदान किया जाए।
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बकाया डीए और गृह भाड़ा भत्ता: केंद्र सरकार द्वारा 2019 से अब तक जारी डीए की बकाया राशि, एरियर्स और गृह भाड़ा भत्ता भी राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलना चाहिए।
कर्मचारियों में गहरा आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
फोरम ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि सरकार द्वारा वादों को पूरा करने में देरी और कर्मचारियों के मुद्दों पर निष्क्रियता से उनमें गहरा आक्रोश व्याप्त है। यदि सरकार ने जल्द ही इन मांगों पर कोई ठोस पहल नहीं की, तो कर्मचारी संगठन आंदोलनात्मक कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को अपने चुनावी घोषणा पत्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को तुरंत अमल में लाना होगा, अन्यथा प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन तेज किया जाएगा।
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