बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के चमत्कारों की अनूठी गाथा
डॉक्टरों ने छोड़ी उम्मीद, फिर भी नहीं हारी मां! दंतेश्वरी के चमत्कार से मौत के मुहाने से लौटा मासूम, दंतेश्वरी माता मंदिर, भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक, बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के जागृत और अलौकिक रूप के लिए प्रसिद्ध है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस नवरात्रि में भी ऐसे ही कई चमत्कार देखने को मिले हैं, जिनमें से एक दिल को छू लेने वाली घटना आज पंचमी तिथि को सामने आई।
मौत के करीब पहुंचे 6 माह के बच्चे को मां की गुहार ने दी नई जिंदगी
बस्तर जिले के करपावंड तहसील से एक महिला, नीलावती, अपने 6 माह के गंभीर रूप से बीमार बच्चे को लेकर दंतेवाड़ा मंदिर पहुंची। बच्चे की हालत इतनी नाजुक थी कि डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था कि उसे बचाना मुश्किल है और अब केवल कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है। नीलावती ने बताया कि उसके बच्चे की सांसें लगभग बंद हो चुकी थीं, केवल छूने पर हल्की धड़कन महसूस हो रही थी। ढिमरा पाल मेडिकल कॉलेज में भी बच्चे की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
दंतेश्वरी मां की प्रतिमा के सामने मां की अटूट आस्था और मन्नत
डॉक्टरों के हाथ खड़े करने के बाद भी मां की ममता ने हार नहीं मानी। नीलावती ने अस्पताल परिसर में स्थित मां दंतेश्वरी की प्रतिमा के सामने अपने बच्चे के जीवन की भिक्षा मांगी। लगातार तीन-चार घंटे तक रोते-बिलखते उसने मां से गुहार लगाई और मन्नत मांगी कि यदि उसका बच्चा स्वस्थ हो जाता है, तो वह घुटनों के बल चलकर माता के दर्शन को आएगी। नीलावती की अटूट आस्था और प्रार्थना का ही फल था कि कुछ घंटों बाद बच्चा स्वस्थ होने लगा। डॉक्टरों ने भी इसे किसी चमत्कार से कम नहीं माना।
मनोकामना पूर्ण होने पर घुटनों के बल चलकर पहुंची मां दंतेश्वरी के द्वार
अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर, नीलावती अपने पति मंगला और अन्य परिजनों के साथ आज पंचमी तिथि को घुटनों के बल चलकर अपने बच्चे के साथ माता दंतेश्वरी के दर्शन को पहुंची। यह घटना मां की ममता, आस्था की शक्ति और माता दंतेश्वरी के चमत्कारों का एक अद्भुत उदाहरण है।