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धान की फसल पर भूरा माहू का हमला: किसान बेहाल, उत्पादन पर संकट के बादल

इन दिनों धान की फसलें भूरा माहू (ब्राउन प्लांट हॉपर) के प्रकोप से जूझ रही हैं, जिससे किसान बेहद परेशान हैं। इस कीट के हमले से खड़ी फसलें तेजी से पैरा में बदल रही हैं, और किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एक के बाद एक कीट प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब जब इस सीजन में अच्छी बारिश के कारण धान की फसलें अच्छी होने की उम्मीद थी।

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 धान की फसल पर भूरा माहू का हमला: किसान बेहाल, उत्पादन पर संकट के बादल, इन दिनों धान की फसलें भूरा माहू (ब्राउन प्लांट हॉपर) के प्रकोप से जूझ रही हैं, जिससे किसान बेहद परेशान हैं। इस कीट के हमले से खड़ी फसलें तेजी से पैरा में बदल रही हैं, और किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एक के बाद एक कीट प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब जब इस सीजन में अच्छी बारिश के कारण धान की फसलें अच्छी होने की उम्मीद थी।

बढ़ते कीट प्रकोप से किसान हलकान

बकावण्ड ब्लॉक के ग्राम कोर्टा ब्लॉक के किसान सौरभ दुबे, रामचन्द्र, अनिल, नरहरि, दुर्जन, वनवासी और पुनऊ, तथा ग्राम डाबगुड़ा के नरसिंग, चैतू, रूपसिंग और दामू ने बताया कि धान की फसल में इस समय भूरा माहू का प्रकोप है, जिससे फसल को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने बताया कि पहली बार कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। किसानों ने यह भी बताया कि भूरा माहू के साथ-साथ ब्लास्ट (Blast) रोग के कारण भी धान के पौधे मरने लगे हैं। इस समय अधिकतर किस्म के धान में बालियां निकल रही हैं, ऐसे में पौधों को नुकसान पहुंचने से उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा। मौसम में बदलाव के कारण कीटनाशकों का असर भी कम हो रहा है, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। धान की फसल पर भूरा माहू का हमला: किसान बेहाल

दवाओं की जानकारी का अभाव और आर्थिक बोझ

ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह कीटनाशक की दुकानें होने के बावजूद किसानों को सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। किसान सीधे धान के पौधे लेकर दुकानदारों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वे अक्सर वही दवा खरीद लेते हैं जो दुकानदार उन्हें सुझाता है। कई बार कीटनाशक काम करता है तो किसानों को राहत मिलती है, लेकिन जब दवा असर नहीं करती तो उन्हें दोबारा खरीदारी करनी पड़ती है, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। धान की फसल पर भूरा माहू का हमला: किसान बेहाल

कृषि विशेषज्ञ की सलाह: सही दवा और सही समय पर छिड़काव

कृषि उप संचालक राजीव श्रीवास्तव ने किसानों को सही कीटनाशकों और उनके इस्तेमाल के तरीके के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि भूरे माहू को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • पाइमेट्रोजिन 50% (बीपीएच सुपर): यह भूरे माहू को नियंत्रित करने के लिए एक भरोसेमंद और प्रभावी दवा है।

  • डाइनोटफ्यूरान 20% एसजी: यह भी माहू को नियंत्रित करने वाला एक शक्तिशाली तत्व है।

  • बीपीएच सुपर प्लस: इसमें डाइनोटफ्यूरान 15% और पाइमेट्रोजन 45% का मिश्रण होता है।

  • बीपीएमसी: यह एक संपर्क और वेपर-आधारित दवा है, जिसे रेत में मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

छिड़काव का सही तरीका:

  • कीटनाशक को पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें।

  • बीपीएमसी जैसी दवाओं को रेत में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास छींट सकते हैं, जो धीरे-धीरे गैस के माध्यम से माहू को मारती है।

  • शाम के समय छिड़काव करना बेहतर होता है, क्योंकि इस समय कीट अधिक सक्रिय होते हैं और दवा का असर बेहतर होता है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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