धमतरी में पुलिस पर ग्रामीणों से मारपीट का आरोप; रुद्री थाने का देर रात घेराव, सीएसपी ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन

धमतरी के रुद्री थाने में देर रात भारी बवाल, ग्रामीणों ने पेट्रोलिंग टीम पर लगाया मारपीट और गाली-गलौज का गंभीर आरोप। पुलिस अधीक्षक ने जांच का भरोसा दिलाया, क्या है पूरा मामला? जानें इस विशेष रिपोर्ट में।

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धमतरी में पुलिस पर ग्रामीणों से मारपीट का आरोप; रुद्री थाने का देर रात घेराव, सीएसपी ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन

धमतरी : शनिवार देर रात छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में उस वक्त तनाव की स्थिति पैदा हो गई जब बोरिद खुर्द गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने रुद्री थाने का घेराव कर दिया। आक्रोशित भीड़ पुलिस की पेट्रोलिंग टीम पर ग्रामीणों से बेरहमी से मारपीट करने और गाली-गलौज करने का गंभीर आरोप लगा रही थी। आधी रात तक चले इस हंगामे ने इलाके में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि, मौके पर पहुंचे सीएसपी (शहर पुलिस अधीक्षक) अभिषेक चतुर्वेदी की त्वरित कार्रवाई और निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बाद ही ग्रामीण शांत हुए और घेराव समाप्त किया।

रात के सन्नाटे में गरमाया माहौल

घटना की शुरुआत शनिवार देर शाम हुई जब रुद्री थाना क्षेत्र में पुलिस की पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। बोरिद खुर्द गांव के कुछ युवक, जिनमें से एक पीड़ित ने अपनी आपबीती सुनाई है, काम से लौटकर अपने दोस्तों के साथ रुके हुए थे। पीड़ित युवक के अनुसार, पेट्रोलिंग टीम ने उन्हें घर जाने के लिए धमकाया। बात उस वक्त बिगड़ गई जब पुलिसकर्मी उनकी मोटरसाइकिल की तस्वीरें लेने लगे। जब युवक के दोस्त ने इसका कारण पूछा, तो कथित तौर पर पुलिसकर्मियों ने गाली-गलौज शुरू कर दी।

पीड़ित युवक ने रोते हुए बताया, "मैं काम से आ रहा था और अपने दोस्तों के पास थोड़ी देर रुक गया। पुलिस वाले आए और हमें घर जाने को कहने लगे। जब वे मेरी बाइक की फोटो खींच रहे थे, तो मेरे दोस्त ने पूछा कि क्यों फोटो खींच रहे हो। बस इतनी सी बात पर उन्होंने गाली देना शुरू कर दिया और फिर बिना किसी वजह के हम पर जमकर हाथ साफ किया।" यह आरोप बेहद गंभीर हैं और यदि ये सच साबित होते हैं, तो यह पुलिस के मूल सिद्धांतों और नागरिक अधिकारों का हनन होगा।

पुलिस जवाबदेही पर उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। क्या पेट्रोलिंग टीम के पास ग्रामीणों के साथ इस तरह के दुर्व्यवहार का अधिकार था? क्या पुलिस अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रही थी? ये वो सवाल हैं जो धमतरी के हर नागरिक के मन में कौंध रहे हैं। पुलिस का काम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि उन्हें डराना या उन पर हिंसा करना। खासकर रात के समय, जब लोग अपने दैनिक कार्यों से लौट रहे होते हैं, पुलिस की भूमिका और भी संवेदनशील हो जाती है।

थाने के बाहर प्रदर्शन और सीएसपी का हस्तक्षेप

पुलिसकर्मियों द्वारा कथित मारपीट की खबर तेजी से गांव में फैल गई, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। आधी रात के करीब, सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण रुद्री थाने के सामने इकट्ठा हो गए और घेराव शुरू कर दिया। उनके चेहरे पर गुस्सा और निराशा साफ झलक रही थी। वे न्याय की मांग कर रहे थे और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, तत्काल सीएसपी अभिषेक चतुर्वेदी को मौके पर बुलाया गया।

सीएसपी चतुर्वेदी ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की और उनकी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुना। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए वे स्वयं इस पूरे मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा, "मुझे पूरी घटना की जानकारी मिल गई है। लोगों ने पुलिस की पेट्रोलिंग टीम पर अभद्र व्यवहार करने और मारपीट करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत मेरे से की है, जिसकी जांच मैं स्वयं करूंगा।" सीएसपी ने यह भी जोड़ा कि यदि मौके पर मौजूद युवक नशे में पाए जाते हैं, तो उनकी भी जांच की जाएगी। हालांकि, ग्रामीण मुख्य रूप से पुलिस की कथित हिंसा पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे।

पूर्व में भी ऐसे मामले: एक चिंताजनक प्रवृत्ति?

यह धमतरी जिले में पुलिस और नागरिकों के बीच तनाव का कोई पहला मामला नहीं है। अतीत में भी पुलिस की सख्ती और ग्रामीणों के अधिकारों के उल्लंघन को लेकर छिटपुट शिकायतें सामने आती रही हैं। ऐसी घटनाओं से पुलिस पर जनता का विश्वास कमजोर होता है, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पुलिस को यह समझना होगा कि जनता का सहयोग ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। बल का अनावश्यक प्रयोग, विशेषकर निर्दोष नागरिकों के खिलाफ, गंभीर परिणाम दे सकता है।

निष्पक्ष जांच की उम्मीद और आगे की राह

सीएसपी अभिषेक चतुर्वेदी का निष्पक्ष जांच का आश्वासन एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह देखना होगा कि यह जांच कितनी पारदर्शिता और गति से पूरी होती है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। इस जांच के परिणाम न केवल पीड़ित परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे, बल्कि यह भी संदेश देंगे कि कानून का पालन करने वाले सभी के लिए समान हैं, चाहे वे वर्दी में हों या आम नागरिक।

पुलिस बल को अपनी पेट्रोलिंग टीमों को संवेदनशील बनाने और नागरिकों के साथ संवाद के बेहतर तरीके सिखाने की आवश्यकता है। शक्ति का प्रयोग हमेशा संयमित और कानून के दायरे में होना चाहिए। जनता के साथ विश्वास का रिश्ता बनाना ही किसी भी पुलिस बल की असली सफलता है।

धमतरी में देर रात हुए इस हंगामे ने न केवल रुद्री थाने, बल्कि पूरे जिला प्रशासन के लिए एक चुनौती पेश की है। अब सबकी निगाहें सीएसपी की जांच पर टिकी हैं, यह जांच ही तय करेगी कि क्या धमतरी पुलिस अपनी जवाबदेही के मानकों पर खरी उतर पाती है या नहीं। नागरिकों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं दोहराई जाएंगी। यह घटना सिर्फ एक रात के हंगामे तक सीमित नहीं है, यह पुलिस और जनता के बीच के रिश्ते की एक महत्वपूर्ण परीक्षा है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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