धरसीवां में मासूम से दरिंदगी: जनमानस का आक्रोश चरम पर, कांग्रेस ने फैक्ट्री पर लगाया ताला, सरकार को घेरा
रायपुर: धरसीवां के कपसदा गांव स्थित एक फैक्ट्री की श्रमिक कॉलोनी में तीन साल की मासूम आदिवासी बच्ची के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म ने पूरे छत्तीसगढ़ को स्तब्ध कर दिया है। इस अमानवीय घटना के बाद शुक्रवार को प्रदेशभर में उबाल देखा गया, जिसमें राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक, हर कोई आक्रोशित दिखा। कांग्रेस पार्टी ने इस घटना के विरोध में धरसीवां में जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने न केवल घटना स्थल से जुड़ी फैक्ट्री के गेट पर तालाबंदी कर उसके संचालन को ठप किया, बल्कि प्रदेश के गृहमंत्री का पुतला दहन कर राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए।
सुबह से ही धरसीवां का माहौल तनावपूर्ण था। स्थानीय लोगों के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता कपसदा गांव पहुंचने लगे। उनकी आंखों में गुस्सा था और जुबान पर सिर्फ एक ही मांग – पीड़िता को त्वरित न्याय और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा। जैसे ही विरोध प्रदर्शन ने जोर पकड़ा, फैक्ट्री के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। कांग्रेस के झंडे लहरा रहे थे और "मासूम को न्याय दो", "अपराधियों को फांसी दो", "सरकार होश में आओ" जैसे नारे गूंज रहे थे।
एक जघन्य अपराध जिसने सबको झकझोर दिया
यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग, खासकर बच्चों की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। धरसीवां के कपसदा गांव में स्थित एक औद्योगिक इकाई की श्रमिक कॉलोनी में यह घिनौना कृत्य हुआ है। एक ऐसी जगह जहां श्रमिक अपना पेट पालने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, वहां उनके बच्चों की सुरक्षा भी दांव पर लगी है। इस घटना ने एक बार फिर औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों और उनके परिवारों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन यह गिरफ्तारी जनता के गुस्से को शांत करने में नाकाम रही। लोगों का मानना है कि केवल गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सरकार को ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। खासकर, श्रमिक कॉलोनियों में जहां हजारों की संख्या में परिवार रहते हैं, वहां सुरक्षा मानकों को मजबूत करना समय की मांग है।
कांग्रेस का उग्र प्रदर्शन: फैक्ट्री पर ताला और सरकार पर हमला
कांग्रेस के प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भावेश बघेल ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार में मासूम बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब श्रमिक कॉलोनियों में भी हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।" बघेल ने इस घटना को सरकार की नाकामी और कानून-व्यवस्था की विफलता का "जीवंत उदाहरण" बताया। उन्होंने सीधे तौर पर गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की और चेतावनी दी कि जब तक पीड़िता को न्याय नहीं मिल जाता और श्रमिकों को उनके अधिकार नहीं मिल जाते, कांग्रेस का यह आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदर्शनकारी सुबह करीब 11 बजे फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर पहुंचे। वहां पहले से ही सुरक्षा बल तैनात था, लेकिन कार्यकर्ताओं का हुजूम देखकर वे भी कुछ देर के लिए सकते में आ गए। देखते ही देखते कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फैक्ट्री के गेट पर तालाबंदी कर दी। श्रमिकों को अंदर जाने से रोका गया और प्लांट का संचालन पूरी तरह से ठप कर दिया गया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के गृहमंत्री का पुतला दहन किया, जो सरकार के प्रति उनके आक्रोश को दर्शाता था। पुतला दहन के दौरान "मुख्यमंत्री इस्तीफा दो", "गृहमंत्री इस्तीफा दो" के नारे जोर-शोर से गूंज रहे थे।
श्रमिकों के शोषण का आरोप और सुरक्षा मानकों पर सवाल
कांग्रेस ने सिर्फ बच्ची से दुष्कर्म के मामले पर ही विरोध नहीं जताया, बल्कि इस घटना को फैक्ट्री में श्रमिकों के शोषण और खराब सुरक्षा व्यवस्था से भी जोड़ा। पूर्व राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री में ठेकेदार लंबे समय से श्रमिकों का शोषण कर रहा है। उन्होंने बताया कि महिला श्रमिकों को केवल 370 रुपये और पुरुषों को 450 रुपये मजदूरी दी जाती है, जो न्यूनतम मजदूरी कानून का खुला उल्लंघन है। इसके अलावा, श्रमिकों को ESIC और बीमा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था भी नदारद है। यह स्थिति श्रम कानूनों के खुले उल्लंघन को दर्शाती है और ऐसी परिस्थितियों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
पूर्व विधायक अनिता शर्मा ने भी धरसीवां स्टैंड पर प्रदर्शन के दौरान अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मासूम बच्ची से दुष्कर्म की यह दरिंदगी बहुत निंदनीय है और ऐसे दरिंदे आरोपी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। उनके इस बयान का भीड़ ने जोरदार समर्थन किया।
प्रबंधन और प्रशासन के समक्ष चार प्रमुख मांगें
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस ने प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन के समक्ष चार प्रमुख मांगें रखीं:
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पीड़िता को त्वरित न्याय और आर्थिक सहायता: कांग्रेस ने मांग की कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए और पीड़िता व उसके परिवार को उचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वे इस सदमे से उबर सकें।
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ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई: श्रमिकों के शोषण और असुरक्षित माहौल बनाने के आरोप में संबंधित ठेकेदार के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।
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श्रमिक कॉलोनी की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार: कांग्रेस ने जोर दिया कि जब तक फैक्ट्री परिसर के भीतर सुरक्षित और मानक सुविधा युक्त लेबर क्वार्टर का निर्माण नहीं किया जाता, तब तक प्लांट का संचालन बंद रखा जाए। उन्होंने तत्काल प्रभाव से श्रमिक कॉलोनी की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की।
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श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और सभी वैधानिक सुविधाएं: श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और ESIC, बीमा, स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी सभी वैधानिक सुविधाएं सुनिश्चित करने की मांग की गई, ताकि उनका शोषण रोका जा सके।
सरकार की संवेदनहीनता और बढ़ती अपराध दर
कांग्रेस ने इस घटना को भाजपा सरकार की संवेदनहीनता और असफलताओं का प्रतीक बताया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, श्रमिक शोषण का शिकार हो रहे हैं और बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, जबकि सरकार चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार और प्रशासन ने त्वरित और ठोस कदम नहीं उठाए, तो उनका आंदोलन और उग्र किया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
इस प्रदर्शन में पूर्व राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, पूर्व विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा, जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष उधो वर्मा, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दुर्गेश वर्मा, मनहरण लाल वर्मा, कुंरा कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश साहू, ढालेन्द्र वर्मा, कैलाश जायसवाल, जिला महामंत्री हरिश्चंद्र वर्मा, धरसीवा सरपंच साहिल खान, रैता सरपंच आशीष वर्मा, युवा कांग्रेस अध्यक्ष अंकित वर्मा, एनएसयूआई विधानसभा अध्यक्ष देवेंद्र खेलवार समेत सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में न्याय की मांग की और सरकार से जवाबदेही तय करने का आग्रह किया।
यह घटना न केवल छत्तीसगढ़ की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत लाखों श्रमिकों और उनके परिवारों की सुरक्षा को लेकर भी गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता को रेखांकित करती है। सरकार और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा और केवल आरोपी को सजा देने तक ही सीमित नहीं रहना होगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए एक मजबूत और प्रभावी तंत्र विकसित करना होगा। अन्यथा, जनमानस का यह आक्रोश एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसकी आंच पूरे प्रदेश में फैल सकती है।