दंतेवाड़ा में IED धमाका: दो जवान घायल, रायपुर एयरलिफ्ट; नक्सल विरोधी अभियान को झटका

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान IED की चपेट में आने से 195वीं बटालियन के दो जवान घायल हो गए। इंस्पेक्टर दीवान सिंह गुर्जर और आरक्षक आलम मुनेश को बेहतर इलाज के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है।

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दंतेवाड़ा में नक्सली करतूत: IED धमाके में दो जांबाज घायल, रायपुर एयरलिफ्ट कर चल रहा इलाज; चुनौती भरी सुरक्षा मुहिम

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले से एक चिंताजनक खबर सामने आई है, जहाँ नक्सल विरोधी अभियान के दौरान एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) की चपेट में आने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो जांबाज जवान घायल हो गए हैं। इस घटना ने एक बार फिर बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी और सुरक्षा बलों के लिए उत्पन्न खतरों को रेखांकित किया है। घायल जवानों को तत्काल प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है, जहाँ उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

यह घटना उस समय हुई, जब 195वीं बटालियन की कंपनी मालेवाही और सातधार के बीच गहन नक्सल विरोधी 'एरिया डोमिनेशन' (क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित करने) की कार्यवाही पर निकली थी। सातधार पुल के करीब अचानक हुए इस धमाके ने पूरे इलाके को थर्रा दिया।

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घटना का विवरण: कैसे बिछाई गई थी मौत की जाल?

जानकारी के मुताबिक, 195वीं बटालियन के जवान घने जंगल और दुर्गम रास्तों से होते हुए अपने निर्धारित 'एरिया डोमिनेशन' मिशन को अंजाम दे रहे थे। यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना, उनके ठिकानों का पता लगाना और क्षेत्र में सुरक्षा बलों की उपस्थिति दर्ज कराना होता है ताकि स्थानीय ग्रामीणों में विश्वास बहाल हो सके।

सूत्रों ने बताया कि मालेवाही और सातधार के बीच का यह इलाका पहले भी नक्सली गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है। नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की आवाजाही को बाधित करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए रणनीतिक रूप से प्रेशर IED बिछा रखी थी। संभवतः जवानों में से किसी एक का पैर अनजाने में उसी IED पर पड़ गया, जिससे एक जोरदार धमाका हुआ।

धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के अन्य जवान तुरंत हरकत में आए और उन्होंने घायल साथियों को सुरक्षित निकालने के लिए मोर्चा संभाला। इस प्रकार के हमलों में अक्सर यह रणनीति होती है कि सुरक्षा बल बचाव अभियान में जुटें और उन पर घात लगाकर हमला किया जा सके, लेकिन जवानों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती।

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घायल जवानों की पहचान और इलाज की प्रक्रिया

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में घायल हुए जवानों की पहचान इंस्पेक्टर दीवान सिंह गुर्जर और आरक्षक आलम मुनेश के रूप में हुई है। दोनों जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं, लेकिन उनकी जान को खतरा नहीं बताया जा रहा है।

घायल होने के तुरंत बाद, प्राथमिक चिकित्सा दल ने मौके पर ही जवानों को प्रारंभिक उपचार दिया। इसके बाद, उन्हें तत्काल दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल ले जाया गया। जिला अस्पताल में चिकित्सकों की टीम ने उनकी चोटों का आकलन किया और आवश्यक प्रारंभिक उपचार प्रदान किया। उनकी स्थिति और चोटों की गंभीरता को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया कि उन्हें बेहतर और विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया जाए। पुलिस अधीक्षक गौरव रॉय ने इस घटना की पुष्टि की है और बताया कि सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जवानों को सर्वोत्तम इलाज मिल सके।

रायपुर में, दोनों जवानों को विशेष चिकित्सा सुविधा वाले अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही है। उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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नक्सल विरोधी अभियान में चुनौतियाँ और सुरक्षा बलों का साहस

यह घटना एक बार फिर बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के सामने आने वाली भीषण चुनौतियों को उजागर करती है। IED, नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे घातक हथियारों में से एक है, जो बिना किसी चेतावनी के बड़ी क्षति पहुँचा सकता है। घने जंगल, दुर्गम इलाका और नक्सलियों की स्थानीय भौगोलिक जानकारी उन्हें ऐसे हमलों को अंजाम देने में मदद करती है।

इसके बावजूद, भारतीय सुरक्षा बल, विशेषकर CRPF और राज्य पुलिस बल, पूरी प्रतिबद्धता और साहस के साथ इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 'एरिया डोमिनेशन' जैसे अभियान नक्सलियों के प्रभाव को कम करने और विकास कार्यों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जवानों के उच्च मनोबल और राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट सेवा का प्रमाण है कि ऐसी घटनाओं के बावजूद वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हैं।

दंतेवाड़ा जैसे जिले, जो कभी नक्सली हिंसा के गढ़ माने जाते थे, में अब विकास की नई बयार बह रही है। सड़कें बन रही हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। यह सब सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों और बलिदानों के कारण ही संभव हो पाया है। हालांकि, आज की घटना यह भी याद दिलाती है कि नक्सलवाद का खतरा अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और हर कदम पर सतर्कता और सावधानी आवश्यक है।

पूरा देश घायल जवानों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहा है और उनके साहस और बलिदान को सलाम कर रहा है। सुरक्षा बलों का यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक बस्तर क्षेत्र से नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता और यहाँ स्थायी शांति व विकास स्थापित नहीं हो जाता।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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