दंतेवाड़ा में बाढ़ का कहर: उर्मिला ठाकुर की दर्दनाक आपबीती, बह गया घर, खाली हाथ छोड़ा गाँव

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में आई भीषण बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बालपेट गाँव की निवासी उर्मिला ठाकुर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस तरह अचानक आई बाढ़ ने उनके जीवन को तबाह कर दिया है। उनके अनुसार, बाढ़ इतनी तेज़ थी कि लोग अपना घर-बार, सामान और दस्तावेज़ छोड़कर जान बचाने को मजबूर हो गए।

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दंतेवाड़ा में बाढ़ का कहर: उर्मिला ठाकुर की दर्दनाक आपबीती, बह गया घर, खाली हाथ छोड़ा गाँव, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में आई भीषण बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बालपेट गाँव की निवासी उर्मिला ठाकुर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस तरह अचानक आई बाढ़ ने उनके जीवन को तबाह कर दिया है। उनके अनुसार, बाढ़ इतनी तेज़ थी कि लोग अपना घर-बार, सामान और दस्तावेज़ छोड़कर जान बचाने को मजबूर हो गए।

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अचानक आई बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया
उर्मिला ठाकुर ने बताया, "26 तारीख को हमारे गाँव में अचानक बाढ़ आ गई। पानी इतनी तेज़ी से बढ़ा कि हमें कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिला। सभी लोग खाली हाथ अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर भागे। कोई भी अपना सामान, कपड़े या ज़रूरी दस्तावेज़ भी नहीं ले जा सका।" उन्होंने दर्द भरी आवाज़ में बताया कि उनका घर भी बाढ़ में बह गया। "फिलहाल हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए हम यहीं अस्थायी तौर पर रह रहे हैं।"

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प्रशासनिक मदद: नाकाफी मुआवज़ा और जीवन की चुनौती
उर्मिला ने बताया कि प्रशासन उनकी मदद कर रहा है और उन्हें 1,20,000 रुपये का मुआवज़ा देने की बात कही गई है। हालांकि, उर्मिला का कहना है कि यह राशि उनके लिए पर्याप्त नहीं है। "इतने पैसों से हमारा घर दोबारा नहीं बन पाएगा। नींव कच्ची ही रहेगी, जिसका मतलब है कि अगले साल फिर बाढ़ आने पर हमारा घर फिर से बह सकता है।" उन्होंने प्रशासन से मुआवज़े की राशि बढ़ाने का अनुरोध किया है ताकि वे स्थायी रूप से अपना घर बना सकें और सुरक्षित रह सकें।

सरपंच और स्वयंसेवकों का सहयोग: मुश्किल घड़ी में सहारा
हालांकि, इस मुश्किल घड़ी में गाँव की सरपंच और स्थानीय स्वयंसेवकों ने बाढ़ पीड़ितों को काफी सहारा दिया है। उर्मिला ने बताया, "हमारी सरपंच महोदया ने हमें सभी सुविधाएँ प्रदान की हैं। उन्होंने हमें रहने, खाने-पीने और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की है।" उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें पहनने के लिए कपड़े भी दिए गए हैं, क्योंकि वे अपने कपड़े भी नहीं ला पाए थे। इस तरह के सहयोग से बाढ़ पीड़ितों को थोड़ी राहत ज़रूर मिली है, लेकिन उनके सामने अभी भी अपना जीवन दोबारा पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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