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दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर: लाल पत्थरों का नया स्वरूप और 2600 साल पुराना इतिहास!

दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर: लाल पत्थरों का नया स्वरूप और 2600 साल पुराना इतिहास! छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में स्थित ऐतिहासिक चंडी मंदिर, जिसे आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है, अब लाल पत्थरों के भव्य और आकर्षक स्वरूप में नजर आ रहा है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्वता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका संबंध 2600 साल पुराने इतिहास से भी है, जिसके प्रमाण हाल ही में हुई खुदाई में मिले हैं।

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दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर: लाल पत्थरों का नया स्वरूप और 2600 साल पुराना इतिहास! छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में स्थित ऐतिहासिक चंडी मंदिर, जिसे आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है, अब लाल पत्थरों के भव्य और आकर्षक स्वरूप में नजर आ रहा है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्वता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका संबंध 2600 साल पुराने इतिहास से भी है, जिसके प्रमाण हाल ही में हुई खुदाई में मिले हैं।

कुंड स्वरूप में मां चंडिका की पूजा और मनोकामना पूर्ति की मान्यता

चंडी मंदिर में मां चंडिका (दुर्गा) की पूजा एक कुंड के रूप में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां चंडी इसी कुंड में विश्राम करती हैं। शहर के लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है, जो किसी शक्तिपीठ से कम नहीं। भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। इसी विश्वास के चलते हर साल यहां लगभग 2500 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। इस नवरात्रि में भी बड़ी संख्या में ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं, जिससे पूरे नवरात्र में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर

2600 साल पुराने अवशेषों से जुड़ा इतिहास

चंडी मंदिर के इतिहास को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण से जुड़ी संस्था 'सजग प्रयास' के संरक्षक अरुण गुप्ता के अनुसार, चंडी मंदिर का इतिहास कम से कम 2600 साल पुराना है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले मंदिर परिसर की खुदाई में एक रिंग वेल (कुआं) और हाथी दांत से बने गहने मिले थे। पुरातत्व विभाग ने इन अवशेषों को लगभग 2600 साल पुराना बताया है, जिसकी जानकारी राजपत्र में भी प्रकाशित है। यह इस बात का प्रमाण है कि मंदिर के आसपास प्राचीन काल में मानवीय बसाहट थी। पूर्व में मंदिर में अत्यंत प्राचीन प्रतिमाएं भी स्थापित थीं।दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर

लाल पत्थरों से भव्य नवनिर्माण

जन आस्था के इस केंद्र को अब राजस्थान के लाल पत्थरों से एक आकर्षक और भव्य स्वरूप दिया गया है। मुख्य द्वार पर सुंदर नक्काशीदार प्रवेश द्वार बनाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले यह मंदिर प्राचीन पत्थरों से बना था, जिसे अब आधुनिक और भव्य रूप दिया गया है। कुंड के समीप ही मां चंडिका के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर

देशभर के भक्तों के नाम स्थापित ज्योति कलश

इस बार भी मंदिर में 2500 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं। इन कलशों को स्थापित करने वालों में दुर्ग और छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के साथ-साथ देशभर के कई शहरों के श्रद्धालु भी शामिल हैं, जो अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां चंडी से मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर

ऐसे पहुंचें चंडी मंदिर

यदि आप मां चंडी के दर्शन के लिए आना चाहते हैं, तो आप जीई मार्ग पर पटेल चौक से तहसील कार्यालय और शनिचरी बाजार होते हुए मंदिर तक पहुंच सकते हैं। दुर्ग रेलवे स्टेशन से भी मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है, जबकि मुख्य मार्ग से यह लगभग 1 किलोमीटर दूर है।दुर्ग का ऐतिहासिक चंडी मंदिर

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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