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 दुर्ग नौकरी धोखाधड़ी: 'गुडवे इंडियन फैशन' के नाम पर लाखों की ठगी, ब्रांच मैनेजर समेत 3 गिरफ्तार

दुर्ग पुलिस ने 'गुडवे इंडियन फैशन प्राइवेट लिमिटेड' नामक फर्जी कंपनी का भंडाफोड़ किया है, जिसने नौकरी और प्रशिक्षण के नाम पर युवतियों से लाखों रुपये ठगे। ब्रांच मैनेजर सहित तीन आरोपी गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजे गए।

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दुर्ग: आर्थिक संकट से जूझ रही युवतियों को रोजगार का सुनहरा सपना दिखाकर लाखों रुपये ठगने वाले एक शातिर गिरोह का पद्मनाभपुर पुलिस ने पर्दाफाश किया है। 'गुडवे इंडियन फैशन प्राइवेट लिमिटेड' नामक एक संदिग्ध कंपनी की आड़ में चल रहे इस गोरखधंधे में कंपनी के ब्रांच मैनेजर सहित तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। यह घटना एक बार फिर नौकरी के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी के जटिल जाल को उजागर करती है, जहां हताश युवा ठगों के आसान शिकार बन जाते हैं।

नौकरी की तलाश में युवतियों को फंसाया

यह मामला तब सामने आया जब एक पीड़ित युवती ने पद्मनाभपुर थाने में विस्तार से अपनी शिकायत दर्ज कराई। युवती ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और वह लंबे समय से नौकरी की तलाश में थी। इसी दौरान, उसकी सहेली ने उसे दुर्ग के बोरसी स्थित कदम प्लाजा में 'गुडवे इंडियन फैशन प्राइवेट लिमिटेड' नामक एक कंपनी में चल रही 'भर्ती' के बारे में बताया। यह जानकारी एक आशा की किरण लेकर आई, लेकिन जल्द ही यह दुःस्वप्न में बदल गई।

प्रशिक्षण और दस्तावेज़ के नाम पर मोटी वसूली

पीड़ित युवती ने 9 अप्रैल को कंपनी के कथित ब्रांच मैनेजर सत्यम पटेल और उसके सहयोगियों, साहिल कश्यप व राम भरोष साहू से संपर्क किया। आरोपियों ने बड़ी चतुराई से युवती और उसकी सहेलियों को नौकरी का झांसा दिया। शुरुआती तौर पर, उनसे प्रशिक्षण और पंजीकरण के नाम पर 3-3 हजार रुपये की 'फीस' वसूली गई। यह राशि जमा कराने के बाद, ठगों ने अपनी चाल को और गहरा किया। ड्रेस, कंपनी नॉमिनी, आईडी कार्ड और इंश्योरेंस शुल्क जैसे विभिन्न मनगढ़ंत शुल्कों के नाम पर प्रत्येक युवती से 46-46 हजार रुपये की मोटी रकम ऐंठ ली गई।

यह एक ऐसा पैंतरा है जिसका इस्तेमाल कई फर्जी कंपनियां करती हैं। वे नौकरी के वादे को धीरे-धीरे अलग-अलग शुल्कों में बांट देती हैं, जिससे पीड़ित को एक बार में बड़ी रकम देने का एहसास नहीं होता। कुल मिलाकर, प्रत्येक युवती से लगभग 49 हजार रुपये की ठगी की गई।

जब हकीकत से हुआ सामना

पैसा जमा कराने के बाद युवतियों को उम्मीद थी कि उन्हें जल्द ही नौकरी मिलेगी और उनकी ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। लेकिन हफ्तों बीत जाने के बाद भी न तो उन्हें कोई नियुक्ति पत्र मिला और न ही वेतन का कोई नामोनिशान था। बार-बार पूछने पर भी आरोपियों की तरफ से टाल-मटोल के जवाब मिलते रहे। जब उन्हें कंपनी के दफ्तर से भी कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि वे एक बड़े ठगी का शिकार हो चुकी हैं। इसके बाद ही पीड़िता ने हिम्मत कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

'रेफरल बिजनेस' का मायाजाल

पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच शुरू की। दुर्ग सीएसपी हर्षित मेहर ने मीडिया को बताया कि जांच के दौरान कंपनी की कार्यप्रणाली बेहद संदिग्ध पाई गई। यह एक सामान्य नौकरी रैकेट नहीं था, बल्कि एक जटिल 'रेफरल बिजनेस' का मायाजाल था। आरोपियों का तरीका था कि वे पहले युवतियों को अपनी कंपनी की वेबसाइट से कुछ उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करते थे। इसके बाद, उन्हें वही उत्पाद अन्य लोगों को बेचने और नए सदस्यों को कंपनी से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता था। यह एक पिरामिड स्कीम जैसी संरचना थी, जहां पैसा नए लोगों को जोड़ने और उत्पादों की फर्जी बिक्री से आता था, न कि किसी वास्तविक रोजगार या व्यवसाय से।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी अपनी शिकार युवतियों को फंसाने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते थे। इन प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक नौकरी के विज्ञापनों और झूठे वादों के जरिए वे बेरोजगार युवाओं को अपने जाल में खींचते थे। सोशल मीडिया की पहुंच और इसकी अनियंत्रित प्रकृति का फायदा उठाकर, ऐसे ठग आसानी से दूर-दराज के इलाकों में भी अपने शिकार खोज लेते हैं।

तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में

पुख्ता सबूत मिलने के बाद पद्मनाभपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में कवर्धा निवासी 22 वर्षीय राम भरोष साहू, जबलपुर निवासी 23 वर्षीय सत्यम पटेल (जो खुद को ब्रांच मैनेजर बताता था) और बिलासपुर निवासी 25 वर्षीय साहिल कश्यप शामिल हैं। तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4) और 3(5) बीएनएस (भ्रामक या धोखाधड़ीपूर्ण व्यापार प्रथाएं) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आगे की जांच और व्यापकता

पुलिस अब इस मामले में यह जांच कर रही है कि यह गिरोह कितना बड़ा है और इसमें और कितने लोग शामिल हो सकते हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इस 'गुडवे इंडियन फैशन प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी का कोई वास्तविक अस्तित्व है या यह केवल ठगी के लिए बनाया गया एक मुखौटा है। अन्य राज्यों में भी ऐसे गिरोहों की सक्रियता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

युवाओं के लिए चेतावनी और सबक

यह घटना उन सभी युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है जो नौकरी की तलाश में हैं। किसी भी कंपनी में आवेदन करने या पैसे जमा करने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच-पड़ताल करना अनिवार्य है। विशेष रूप से यदि कोई कंपनी नौकरी देने से पहले रजिस्ट्रेशन फीस, ट्रेनिंग फीस, ड्रेस कोड या बीमा के नाम पर मोटी रकम मांगती है, तो सतर्क हो जाना चाहिए। वास्तविक कंपनियां आमतौर पर नौकरी देने के लिए पैसे नहीं मांगतीं। संदिग्ध लगने पर पुलिस या साइबर अपराध प्रकोष्ठ से संपर्क करना चाहिए।

दुर्ग पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, जिसने एक बड़े धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश किया है। लेकिन ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए न केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सक्रिय रहना होगा, बल्कि युवाओं और अभिभावकों में भी जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की ठगी का शिकार न हो। ऑनलाइन दुनिया में नौकरियों के नाम पर फैल रहे इस धोखे के जाल से बचने के लिए हर कदम पर सावधानी और सत्यापन की आवश्यकता है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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