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गढ़कलेवा टेंडर में धांधली के आरोप
रायपुर: गढ़कलेवा टेंडर विवाद: शर्तों में बदलाव के आरोप, मचा बवाल! गढ़कलेवा के संचालन के लिए तीन साल की देरी से जारी टेंडर अब विवादों के घेरे में आ गया है। कुछ महिला स्वसहायता समूहों ने संस्कृति विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उनका कहना है कि विभाग मनचाहे समूह को काम दिलाने के लिए गुपचुप तरीके से टेंडर की शर्तों में बदलाव कर रहा है।
नियमों में गुप्त फेरबदल का आरोप
स्वसहायता समूहों का आरोप है कि शुरुआत में 80 अंकों के तकनीकी मूल्यांकन में 50 अंक प्राप्त करने वाले समूहों को ही पात्र माना गया था, लेकिन अगले ही दिन इस नियम को चुपचाप बदल दिया गया। इसके अलावा, यह भी आरोप है कि एक विशेष समूह ने नियमों का उल्लंघन करते हुए ठेका हथियाने के लिए पांच अन्य समूहों के साथ मिलकर आवेदन किया।
सिंडिकेट बनाकर टेंडर में हिस्सा लेने का आरोप
आरोपों के अनुसार, निविदा आमंत्रित करने के लिए तय की गई शर्तों को बिना किसी पूर्व सूचना के बदल दिया गया। तकनीकी योग्यता में न्यूनतम 50 अंक की शर्त को हटाकर, टेंडर में शामिल सभी समूहों को प्रायोगिक (खानपान की) परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया गया। यह आरोप है कि एक विशेष स्वसहायता समूह ने सिंडिकेट बनाकर टेंडर में हिस्सा लिया, और इसी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को शिथिल किया गया।
संस्कृति विभाग का खंडन: "कोई गड़बड़ी नहीं"
संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने बताया कि गढ़कलेवा के संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया नियमानुसार पूरी की जा रही है और इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। आचार्य ने स्पष्ट किया कि पहले प्रायोगिक मूल्यांकन में केवल पांच समितियों को मौका मिलता था, लेकिन इस बार अधिक समितियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सभी को प्रायोगिक मूल्यांकन के लिए पात्र माना गया है। ठेका उस समूह को दिया जाएगा जिसकी दर अधिकतम होगी।
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