गुजरात 200 करोड़ कोल फ्रॉड: छत्तीसगढ़ के कुरुद में भाजपा नेता के घर से दबोचे गए दो मुख्य आरोपी - विशेष रिपोर्ट

गुजरात के 200 करोड़ रुपये के बहुचर्चित कोयला घोटाले में बड़ी सफलता! दो फरार आरोपी छत्तीसगढ़ के कुरुद में एक भाजपा नेता के घर से गिरफ्तार। जानें कैसे साइबर टीम ने धरी दबिश और इस हाई-प्रोफाइल मामले के गहरे तार।

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गुजरात के 200 करोड़ कोल फ्रॉड के तार छत्तीसगढ़ तक, कुरुद में भाजपा नेता के घर से दबोचे गए दो मुख्य आरोपी

धमतरी : गुजरात के 200 करोड़ रुपये के बहुचर्चित कोयला धोखाधड़ी मामले में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए, गुजरात साइबर टीम ने दो प्रमुख फरार आरोपियों को छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरुद से गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बुधवार देर रात, एक नाटकीय दबिश में हुई, जब दोनों आरोपी एक स्थानीय भाजपा नेता के रिश्तेदार के घर में शरण लिए हुए थे। इस गिरफ्तारी ने न केवल गुजरात पुलिस के लिए एक बड़ी राहत लाई है, बल्कि इसने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि आरोपी एक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति के संरक्षण में छिपे हुए पाए गए हैं।

धोखाधड़ी का साम्राज्य और 200 करोड़ का घोटाला

यह मामला गुजरात के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक है, जिसमें कोयले की खरीद-फरोख्त में सैकड़ों करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में फर्जी कंपनियों के माध्यम से कोयले के सौदों में धांधली की गई और सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया गया। यह एक जटिल वेब है जिसमें कई परतें और देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़े लोग शामिल हैं। इस मामले में कई अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं, और इन गिरफ्तारियों से मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान भिलाई, छत्तीसगढ़ निवासी संजय अग्रवाल और सचिन अग्रवाल के रूप में हुई है। हालांकि ये भिलाई के निवासी हैं, लेकिन इनके गुजरात में भी ठिकाने हैं, जो इनके बड़े व्यावसायिक नेटवर्क और इस घोटाले में इनकी गहरी संलिप्तता का संकेत देते हैं। इन पर आरोप है कि ये दोनों इस 200 करोड़ के कोयला धोखाधड़ी के मुख्य साजिशकर्ताओं में से हैं।

गुप्त सूचना पर गुजरात साइबर टीम की दबिश

गुजरात पुलिस की साइबर टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि गुजरात कोल फ्रॉड के दो प्रमुख भगोड़े आरोपी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरुद में छिपे हुए हैं। यह सूचना मिलने के बाद, गुजरात से एक विशेष साइबर टीम तत्काल छत्तीसगढ़ पहुंची। बुधवार रात करीब 11:30 बजे, गुजरात साइबर टीम ने कुरुद पुलिस की मदद से उस घर पर दबिश दी जहां संजय और सचिन अग्रवाल छिपे हुए थे।

सूत्रों ने बताया कि आरोपियों ने कुरुद में अपने एक रिश्तेदार, जो एक स्थानीय भाजपा नेता हैं, के घर में कई दिनों से शरण ले रखी थी। इस खुलासे ने मामले को एक नया राजनीतिक आयाम दे दिया है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या नेता को आरोपियों के आपराधिक इतिहास की जानकारी थी, और यदि हां, तो क्या उन्होंने जानबूझकर उन्हें शरण दी? हालांकि, पुलिस ने इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

ट्रांजिट रिमांड और गुजरात वापसी

गिरफ्तारी के बाद, गुरुवार सुबह दोनों आरोपियों को धमतरी सिविल कोर्ट में ट्रांजिट रिमांड के लिए पेश किया गया। ट्रांजिट रिमांड प्राप्त होने के बाद, गुजरात साइबर टीम दोनों आरोपियों को लेकर गुजरात के लिए रवाना हो गई। अब गुजरात में इनसे विस्तृत पूछताछ की जाएगी, जिससे इस 200 करोड़ के घोटाले के अन्य पहलुओं और फरार साथियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है।

इस मामले में अभी भी कई अन्य आरोपी फरार चल रहे हैं। गुजरात पुलिस की जांच अब इन गिरफ्तारियों के आधार पर आगे बढ़ेगी और कोशिश करेगी कि इस बड़े घोटाले से जुड़े सभी व्यक्तियों को कानून के कटघरे में खड़ा किया जा सके।

राजनीतिक संरक्षण और नैतिक सवाल

इस मामले में एक भाजपा नेता के घर से आरोपियों की गिरफ्तारी ने कई नैतिक और राजनीतिक सवाल खड़े किए हैं। क्या राजनेताओं को इस तरह के अपराधियों को शरण देनी चाहिए? क्या यह आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने जैसा नहीं है? यह घटना राजनीतिक नेताओं की जवाबदेही और उनकी पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है।

विपक्ष ने निश्चित रूप से इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं गंवाया है और यह मांग की है कि इस बात की भी जांच की जाए कि क्या स्थानीय नेता को इन अपराधियों के बारे में पहले से जानकारी थी और क्या उन्होंने जानबूझकर उन्हें पनाह दी थी।

जनता की नजरें न्याय पर

गुजरात का यह कोयला घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं है, यह सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन है। जनता यह उम्मीद करती है कि ऐसे बड़े घोटालों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, भले ही उनके कितने भी ऊंचे संपर्क क्यों न हों। गुजरात पुलिस और साइबर टीम की यह कार्रवाई निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन असली चुनौती अब शुरू होती है - इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब करना और सभी दोषियों को सजा दिलाना।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला क्या नया मोड़ लेता है, खासकर राजनीतिक संरक्षण के आरोपों के मद्देनजर। यह गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण कड़ी है, लेकिन यह इस बड़े घोटाले की कहानी का अंत नहीं, बल्कि एक नया अध्याय है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

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