गुंडरदेही में नशेड़ी ड्राइवर का बेलगाम तांडव, बड़ा हादसा टला लेकिन यातायात डेढ़ घंटे थमा; ट्रक मालिकों की जवाबदेही पर उठे गंभीर सवाल
गुंडरदेही : शुक्रवार की सुबह करीब 11:30 बजे, गुंडरदेही ब्लॉक के अंतर्गत अर्जुंदा थाना क्षेत्र के खुटेरी पंचायत के पास तांदुला नदी मोड़ पर एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया। शराब के नशे में धुत एक ट्रक ड्राइवर ने अपने भारी वाहन का नियंत्रण खो दिया, और अनियंत्रित ट्रक सड़क से करीब चार-पांच फीट नीचे झाड़ियों में घुसते हुए एक विशाल आम के पेड़ से जा टकराया। पेड़ को तोड़ते हुए ट्रक अंततः सड़क के बीचो-बीच आकर खड़ा हो गया, जिससे लगभग डेढ़ घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात पूरी तरह से बाधित रहा। यह एक भयानक दुर्घटना होने से बाल-बाल बची, और इसका एकमात्र कारण शायद उस समय सड़क पर वाहनों का कम आवागमन था।
घटना का विवरण: नशे में धुत ड्राइवर और अनियंत्रित ट्रक
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, खुटेरी पंचायत से गुजर रहा एक ट्रक, जिसका चालक कथित तौर पर शराब के नशे में चूर था, अत्यधिक तेज गति से वाहन चला रहा था। तांदुला नदी के करीब एक मोड़ पर, ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया। ट्रक सीधे सड़क से नीचे उतरा, झाड़ियों को रौंदता हुआ गया और एक बड़े आम के पेड़ से टकरा गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पेड़ टूट गया और ट्रक बीच सड़क पर आकर खड़ा हो गया।
ग्रामीणों ने बताया कि जब यह घटना घटी, तो उन्होंने तत्काल ड्राइवर को ट्रक से नीचे उतरने को कहा। लेकिन ड्राइवर इस कदर नशे में था कि वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था और उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वह पूरी तरह से होश में नहीं था। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए, और किसी वाहन की व्यवस्था कर, नशे में धुत ड्राइवर मौके से फरार हो गया।
ट्रक मालिक की संदिग्ध भूमिका और पुलिस को सूचना न देना
घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू ट्रक मालिक की भूमिका है। ग्रामीणों के अनुसार, दुर्घटना के तुरंत बाद, ट्रक मालिक मौके पर पहुंचा। उसने ड्राइवर की नशे की हालत और सार्वजनिक सड़क पर हुए इस हादसे को पूरी तरह से "नजरअंदाज" कर दिया। पुलिस या अर्जुंदा थाने को सूचित किए बिना, मालिक ने अपनी "दमदारी" का इस्तेमाल करते हुए एक निजी ड्राइवर की व्यवस्था की और दुर्घटनाग्रस्त ट्रक को मौके से हटवा लिया। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी थाना प्रभारी या किसी अन्य पुलिस अधिकारी को नहीं दी गई, जिससे एक गंभीर आपराधिक लापरवाही का मामला बनता है।
पुलिस की कार्रवाई और मालिक की अनदेखी पर सवाल
यह घटना शासन-प्रशासन के उन दावों पर सवालिया निशान लगाती है, जिनमें कहा जाता है कि यातायात नियमों के उल्लंघन, ओवरलोडिंग और नशे में गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। अर्जुंदा थाना क्षेत्र में भी ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही जाती है, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि कहीं न कहीं प्रभावी नियंत्रण की कमी है।
सवाल यह उठता है कि:
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जब ड्राइवर इतना ज्यादा नशे में था और उसने एक बड़ा हादसा होते-होते बचाया, तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई?
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ट्रक मालिक ने सार्वजनिक संपत्ति (सड़क पर जाम, पेड़ को नुकसान) और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली इस घटना को कैसे नजरअंदाज किया?
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क्या ट्रक मालिक ऐसे नशेड़ी ड्राइवरों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिनकी वजह से आम जनता की जान जोखिम में पड़ रही है?
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पुलिस की सक्रियता के दावों के बावजूद, ऐसे बड़े हादसे की सूचना थाने तक क्यों नहीं पहुंच पाई?
सामाजिक और कानूनी निहितार्थ
यह घटना केवल एक सड़क दुर्घटना का मामला नहीं है, बल्कि इसके गहरे सामाजिक और कानूनी निहितार्थ हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाना एक गंभीर अपराध है, और ऐसे ड्राइवरों को सड़कों पर वाहन चलाने की अनुमति देना और भी बड़ा अपराध है। ट्रक मालिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने ड्राइवरों की फिटनेस, लाइसेंस और शराब की आदत पर नजर रखें। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में, पुलिस को तुरंत सूचित करना अनिवार्य है।
भविष्य की चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
गुंडरदेही और आस-पास के क्षेत्रों में भारी वाहनों का आवागमन बहुत अधिक है। ऐसे में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस घटना के बाद, यह आवश्यक है कि पुलिस प्रशासन अपनी निगरानी और प्रवर्तन को और मजबूत करे। नशेड़ी ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और ट्रक मालिकों को भी अपनी जवाबदेही के दायरे में लाया जाए। बिना पुलिस को सूचित किए दुर्घटनाग्रस्त वाहन को हटाने वाले मालिकों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
स्थानीय निवासियों और यातायात पुलिस को मिलकर काम करना होगा ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। जागरूकता अभियान चलाए जाएं और लोगों को नशे में ड्राइविंग के खतरों के बारे में शिक्षित किया जाए। उम्मीद है कि यह घटना एक सबक के रूप में देखी जाएगी और भविष्य में ऐसी लापरवाही पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, ताकि "दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं" को "नजरअंदाज" करने की प्रवृत्ति पर विराम लग सके।