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हरियाणा के 3 चमत्कारी देवी मंदिर: जहाँ महाभारत काल से आज तक जल रही है आस्था की लौ

हरियाणा के 3 चमत्कारी देवी मंदिर: जहाँ महाभारत काल से आज तक जल रही है आस्था की लौ, हरियाणा, जिसे 'धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र' की पवित्र भूमि के रूप में भी जाना जाता है, सदियों से शक्ति पूजा का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इस भूमि पर तीन ऐसे अद्वितीय देवी मंदिर स्थित हैं, जो न केवल हरियाणा बल्कि पूरे उत्तर भारत के भक्तों के लिए गहरी आस्था और श्रद्धा का विषय हैं। ये मंदिर माता मनसा देवी (पंचकूला), शीतला माता (गुरुग्राम) और श्री देवीकूप भद्रकाली (कुरुक्षेत्र) हैं। नवरात्रों के दौरान इन मंदिरों में विशेष रौनक देखने को मिलती है। आइए, इन तीनों मंदिरों की महिमा और उनसे जुड़ी कहानियों को जानते हैं।

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हरियाणा के 3 चमत्कारी देवी मंदिर: जहाँ महाभारत काल से आज तक जल रही है आस्था की लौ, हरियाणा, जिसे 'धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र' की पवित्र भूमि के रूप में भी जाना जाता है, सदियों से शक्ति पूजा का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इस भूमि पर तीन ऐसे अद्वितीय देवी मंदिर स्थित हैं, जो न केवल हरियाणा बल्कि पूरे उत्तर भारत के भक्तों के लिए गहरी आस्था और श्रद्धा का विषय हैं। ये मंदिर माता मनसा देवी (पंचकूला), शीतला माता (गुरुग्राम) और श्री देवीकूप भद्रकाली (कुरुक्षेत्र) हैं। नवरात्रों के दौरान इन मंदिरों में विशेष रौनक देखने को मिलती है। आइए, इन तीनों मंदिरों की महिमा और उनसे जुड़ी कहानियों को जानते हैं।

1. श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर, कुरुक्षेत्र: 51 शक्तिपीठों में से एक

कुरुक्षेत्र में स्थित श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जिसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है।

पौराणिक महत्व और सती का दाहिना टखना

शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में घूम रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से शरीर के 52 भाग किए थे। ऐसी मान्यता है कि माता सती का दाहिना टखना इसी पवित्र स्थान पर गिरा था।

अन्य नाम

इस पूजनीय स्थल को 'सावित्री पीठ', 'देवी पीठ', 'कालिका पीठ' और 'आदी पीठ' जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।

महाभारत और पांडवों की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध आरंभ होने से पूर्व, भगवान कृष्ण के साथ पांडवों ने यहीं देवी भद्रकाली की पूजा की थी और विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहाँ मन्नत पूरी होने पर घोड़े दान करने की एक प्राचीन परंपरा है, जिसे आज भी भक्त चांदी, मिट्टी या प्रतीकात्मक घोड़ों की भेंट चढ़ाकर पूरा करते हैं।

भगवान कृष्ण का मुंडन संस्कार

यह स्थान भगवान कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम के मुंडन संस्कार का भी साक्षी रहा है, जिससे इसकी पवित्रता और बढ़ जाती है।
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2. शीतला माता मंदिर, गुरुग्राम: आरोग्य और आशीर्वाद की देवी

गुरुग्राम शहर में स्थित श्री शीतला माता मंदिर देवी शीतला को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति के लिए भक्तों के बीच अत्यंत पूजनीय है।

स्वास्थ्य की देवी: चेचक और बाल-रोगों से मुक्ति

देवी शीतला को चेचक (Smallpox) और अन्य बाल-संबंधी बीमारियों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मा जी ने उन्हें संसार को आरोग्य प्रदान करने का कार्य सौंपा था।

महाभारत काल से संबंध

इस प्राचीन मंदिर का संबंध महाभारत काल से भी माना जाता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया था।

विशेष मान्यताएं और मनोकामनाएं

भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित बरगद के पेड़ से चुन्नी या मौली (धागा) बांधकर मन्नत मांगते हैं। संतान प्राप्ति और बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए यहाँ दूर-दूर से भक्त आते हैं।

मंदिर का 500 साल पुराना इतिहास

इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, लगभग 250-300 साल पहले माता ने सिंघा जाट नामक एक व्यक्ति को सपने में दर्शन देकर गुरुग्राम में मंदिर बनाने को कहा था।
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3. माता मनसा देवी मंदिर, पंचकूला: शिवालिक की तलहटी में आस्था का केंद्र

पंचकूला में शिवालिक की तलहटी पर स्थित माता मनसा देवी मंदिर देवी मनसा को समर्पित है। यह मंदिर उत्तरी भारत में शक्ति पूजा की सदियों पुरानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

मनोकामनाएं पूरी करने वाली देवी

भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए यहाँ आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो क्षेत्रीय पहचान का हिस्सा बन गया है।

भव्य नवरात्र मेले का आयोजन

मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि चैत्र और अश्विन मास के नवरात्रों के दौरान यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है। इन मेलों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माँ के दर्शन और आशीर्वाद के लिए उमड़ पड़ते हैं। यह उत्सव भक्तों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

ये तीनों मंदिर हरियाणा की समृद्ध धार्मिक विरासत की कहानी कहते हैं, जहाँ हर कोने में आस्था और इतिहास का गहरा संबंध है।
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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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