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 झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन से 10 वर्षीय मासूम की मौत, धमतरी में भी ऐसा ही मामला, स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे गंभीर सवाल

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में 10 साल के बच्चे की झोलाछाप मेडिकल संचालक के इंजेक्शन से मौत, परिजनों का आरोप लापरवाही। धमतरी में भी ऐसी ही घटना, जानें क्या है पूरा मामला और क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं।

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छत्तीसगढ़ में 'अंधेर नगरी': झोलाछाप डॉक्टरों की मनमानी से मासूमों की बलि, बलरामपुर में 10 साल के बच्चे की मौत ने फिर उठाये गंभीर सवाल

बलरामपुर/धमतरी : एक साधारण से घुटने के घाव का इलाज कराने गया 10 वर्षीय मासूम फिर कभी घर नहीं लौटा। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से आई इस दिल दहला देने वाली खबर ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है, जहां कथित मेडिकल संचालक की लापरवाही ने एक और बच्चे की जान ले ली। यह घटना महज एक इत्तफाक नहीं, बल्कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती फौज और उन पर लगाम लगाने में सरकारी तंत्र की विफलता का जीता-जागता प्रमाण है। इस घटना ने एक बार फिर धमतरी जिले में कुछ समय पहले हुई वैसी ही एक दर्दनाक घटना की यादें ताजा कर दी हैं, जहां एक और मासूम गलत इंजेक्शन का शिकार हुआ था।

पलक झपकते ही बुझ गया चिराग: बलरामपुर की कहानी

बलरामपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले कक्षा छठवीं के छात्र के घुटने में हल्की चोट लगी थी। परिजन, शायद बेहतर और त्वरित इलाज की आस में, उसे स्थानीय मेडिकल स्टोर पर ले गए। यह एक आम ग्रामीण परिदृश्य है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी या उन पर विश्वास की कमी लोगों को ऐसे निजी मेडिकल संचालकों की शरण में जाने को मजबूर करती है। त्रासदी यहीं से शुरू हुई। मेडिकल संचालक ने बच्चे को एक इंजेक्शन लगाया। प्रत्यक्षदर्शियों और परिजनों के अनुसार, इंजेक्शन लगते ही बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। उसकी सांसें तेज हो गईं, शरीर अचेत होने लगा। घबराए परिजनों ने बिना समय गंवाए उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए तत्काल मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर रेफर कर दिया। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। मासूम ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, या अंबिकापुर पहुंचने से पहले ही उसकी सांसे थम गईं। एक साधारण चोट का इलाज कराने निकला बच्चा, अब केवल यादों में सिमट कर रह गया था।

अनदेखी का सिलसिला: धमतरी का दोहराव

यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में ऐसी घटना ने लोगों को झकझोरा हो। धमतरी जिले में कुछ समय पहले 12 वर्षीय नीरज साहू की मौत ने भी इसी तरह के सवाल खड़े किए थे। नीरज, जिसे सर्दी-बुखार की शिकायत थी, इलाज के लिए कुरूद के अशोक मेडिकल स्टोर्स पहुंचा था। परिजनों का आरोप था कि मेडिकल संचालक अशोक शर्मा, जो खुद को डॉक्टर बताता था, ने बिना किसी उचित जांच के उसे इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगते ही मासूम के मुंह से झाग निकलने लगा और वह जमीन पर गिर पड़ा। अशोक शर्मा ने आनन-फानन में खुद ही बच्चे को कुरूद सिविल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने नीरज को मृत घोषित कर दिया।

धमतरी मामले में शुरुआती पुलिसिया ढिलाई और जांच रिपोर्ट में देरी ने भी कई सवाल खड़े किए थे। ईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के जिलाध्यक्ष प्रदीप साहू ने आरोपी मेडिकल संचालक पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी और प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम कसने के लिए कड़े कानूनों की वकालत की थी। धमतरी स्वास्थ्य विभाग ने जांच टीम का गठन भी किया था, लेकिन 16 दिन बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट पुलिस को नहीं सौंपी गई थी। इस देरी ने परिजनों के गुस्से को और बढ़ा दिया था, और आरोपी को कथित तौर पर "संरक्षण" मिलने की चर्चाएं भी गर्म थीं। आखिरकार, मीडिया के दबाव और हरिभूमि डॉट कॉम की लगातार खबरों के बाद कुरूद पुलिस ने कथित झोलाछाप डॉक्टर अशोक शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था।

क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

इन घटनाओं से कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं:

  1. झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ऐसे "कथित डॉक्टरों" की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो बिना किसी उचित योग्यता के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ये लोग अक्सर अपनी दुकानों के बाहर "डॉक्टर" की उपाधि का दुरुपयोग करते हैं, जिससे आम जनता भ्रमित होती है।

  2. कानूनी शिथिलता और प्रवर्तन की कमी: मौजूदा कानून इन झोलाछाप डॉक्टरों पर पूरी तरह से लगाम लगाने में सक्षम नहीं दिखते, या फिर उनका प्रवर्तन प्रभावी ढंग से नहीं हो पाता। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय की कमी भी एक बड़ी वजह है।

  3. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी, डॉक्टरों की अनुपलब्धता, और सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव लोगों को निजी और अक्सर अनाधिकृत "क्लीनिकों" या मेडिकल स्टोरों की ओर धकेलता है।

  4. जन जागरूकता का अभाव: आम जनता को अक्सर इस बात की जानकारी नहीं होती कि किस व्यक्ति के पास इलाज करने की वैध योग्यता है और किसके पास नहीं। वे अक्सर सस्ता और आसान इलाज ढूंढते हैं, जिसका फायदा ऐसे अनाधिकृत लोग उठाते हैं।

  5. दबाव और भ्रष्टाचार के आरोप: धमतरी मामले में परिजनों ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया था कि जांच टीमों और पुलिस पर कार्यवाही न करने का दबाव बनाया जा रहा था। यह एक गंभीर आरोप है जो व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

आगे की राह और उम्मीदें

बलरामपुर और धमतरी की ये घटनाएं केवल दर्दनाक कहानियां नहीं हैं, बल्कि यह एक वेक-अप कॉल है। सरकार को इन मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

  • सख्त कानून और उनका प्रभावी प्रवर्तन: झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कानून बनाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनका पालन सख्ती से हो। दोषी पाए जाने पर कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

  • स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण: ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना, योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को बेहतर बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • जन जागरूकता अभियान: लोगों को यह बताने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए कि वे अपने इलाज के लिए केवल योग्य और पंजीकृत चिकित्सा पेशेवरों के पास ही जाएं।

  • त्वरित और पारदर्शी जांच: ऐसी घटनाओं में त्वरित और पारदर्शी जांच होनी चाहिए, और दोषियों को बिना किसी देरी के दंडित किया जाना चाहिए। जांच रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवा कोई खिलवाड़ नहीं है। एक छोटी सी लापरवाही किसी की जिंदगी छीन सकती है। बलरामपुर के उस 10 साल के बच्चे की मौत और धमतरी के नीरज साहू की त्रासदी हमें यह याद दिलाती है कि जब तक झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम नहीं लगाई जाती, तब तक ऐसे कई और मासूम अपनी जान गंवाते रहेंगे। यह समय है कि सरकार और समाज, दोनों मिलकर इस गंभीर समस्या का समाधान करें, ताकि ऐसी दर्दनाक खबरें हमारे सामने फिर कभी न आएं।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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