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जिले में लगातार बढ़ते अपराधों के ग्राफ के बीच, यहां की जेलों की स्थिति चिंताजनक है। हत्या, लूट, धोखाधड़ी, मानव तस्करी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त कैदियों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक है। यह स्थिति जेलों के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस रिपोर्ट में हम जिले की झिंझरी स्थित जिला जेल के मौजूदा हालात और चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। 

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जिले की जेल में बदहाली का आलम: क्षमता से अधिक कैदी, सुरक्षाकर्मी और सुविधाओं का अभाव
जिले की जेल में बदहाली का आलम: क्षमता से अधिक कैदी, सुरक्षाकर्मी और सुविधाओं का अभाव

जिले की जेल में बदहाली का आलम: क्षमता से अधिक कैदी, सुरक्षाकर्मी और सुविधाओं का अभाव, जिले में लगातार बढ़ते अपराधों के ग्राफ के बीच, यहां की जेलों की स्थिति चिंताजनक है। हत्या, लूट, धोखाधड़ी, मानव तस्करी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त कैदियों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक है। यह स्थिति जेलों के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस रिपोर्ट में हम जिले की झिंझरी स्थित जिला जेल के मौजूदा हालात और चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। 

स्टाफ की कमी और खाली पद:
वर्ष 1992 में एक उप-जेल के रूप में स्थापित और 2014 में जिला जेल में परिवर्तित हुई झिंझरी जेल आज भी पर्याप्त स्टाफ की कमी से जूझ रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 26 सितंबर 2024 से जेलर का पद खाली है, जबकि अक्टूबर 2022 से डिप्टी जेलर का पद भी रिक्त है। इन महत्वपूर्ण पदों का लंबे समय से खाली रहना जेल की कार्यप्रणाली और प्रबंधन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। गार्डों की भी भारी कमी है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगने का खतरा बना रहता है।

बुनियादी सुविधाओं का अभाव:
जेल में मूलभूत सुविधाओं की भी भारी कमी है। आपातकालीन चिकित्सा के लिए एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे किसी कैदी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जेल की सुरक्षा के लिए 2024 में स्वीकृत इलेक्ट्रिक फेंसिंग का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। वर्तमान में केवल 16 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है, जबकि 8 अतिरिक्त कैमरों की मांग को भी पूरा नहीं किया गया है। जेल मुख्यालय द्वारा इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था में चुनौतियां और पलायन के मामले:
स्टाफ की कमी और क्षमता से अधिक कैदियों के कारण जेल प्रशासन को हर दिन सुरक्षा और व्यवस्था दोनों मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। पूर्व में कैदियों के भागने की कई घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है।

  • केस 01: अक्टूबर 2024 में दहेज हत्या के मामले में विचाराधीन कैदी छोटू उर्फ संतू भूमिया मेडिकल कॉलेज जबलपुर से फरार हो गया था। इस मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित हुए थे।

  • केस 02: अक्टूबर 2023 में हत्या के आरोपी लल्लन कोल और एनडीपीएस के आरोपी बसंत कोल दीवार फांदकर फरार हो गए थे।

  • केस 03: दिसंबर 2024 में गांजा तस्करी के मामले में विचाराधीन कैदी दिललगी पारधी जिला अस्पताल से फरार हो गई थी, जिसका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है।

जेल अधीक्षक का बयान:
जेल अधीक्षक प्रभात चतुर्वेदी के अनुसार, जेल में क्षमता से कुछ ही कैदी अधिक हैं और सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं। उन्होंने बताया कि जेलर और उप-जेलर सहित कुछ पद रिक्त हैं, जिसकी जानकारी मुख्यालय भेजी गई है। सीसीटीवी कैमरे और इलेक्ट्रिक फेंसिंग स्वीकृत हैं और अन्य आवश्यकताओं के संबंध में समय-समय पर मुख्यालय को जानकारी भेजी जाती है।

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