कोरबा में 'जिंदा हुए' युवक का रहस्य: क्या है इस वायरल खबर की सच्चाई?

कोरबा में हरिओम वैष्णव के 'मृत्यु' और फिर 'वापसी' की हैरान कर देने वाली कहानी। जानें कैसे एक गुमशुदगी, एक अज्ञात शव और एक चौंकाने वाली वापसी ने पूरे इलाके को हिला दिया। क्या यह सिर्फ एक गलतफहमी थी या कुछ और? पूरी खबर के लिए पढ़ें।

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'मृत्यु' के बाद 'वापसी' से हिला कोरबा: क्या सचमुच यमराज छुट्टी पर थे?

कोरबा : कहते हैं कि मौत और जिंदगी भगवान के हाथ में होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इस कहावत को एक नया मोड़ दे दिया है। कुसमुंडा थाना क्षेत्र के विश्रामपुर गेवरा में रहने वाले 27 वर्षीय हरिओम वैष्णव की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। वह अचानक लापता हो गया, पुलिस को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई, एक अज्ञात शव मिला जिसे परिजनों ने हरिओम का मान लिया और जब उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं, तब वह अचानक घर लौट आया। इस घटना ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि पूरे इलाके को सकते में डाल दिया है। लोग 'भूत-भूत' चिल्लाते हुए भाग खड़े हुए और अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर इस पूरी घटना के पीछे की सच्चाई क्या है।

गायब हुआ बेटा, फिर मिला 'शव': एक परिवार का दर्दनाक इंतजार

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कहानी शुरू होती है चार दिन पहले, जब हरिओम अपने परिवार के साथ दर्री स्थित अपने ससुराल गया था। वहां से वह बिना किसी को बताए अचानक लापता हो गया। परिवार के लिए यह एक बड़ा सदमा था। उन्होंने हरिओम की हरसंभव तलाश की, लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिला। अंततः, निराशा में, उन्होंने दर्री पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

परिजन हर पल एक उम्मीद और आशंका के बीच झूल रहे थे। क्या वह सकुशल होगा? क्या उसे किसी ने अगवा कर लिया? ऐसे ही अनगिनत सवाल उनके मन में घूम रहे थे। यह इंतजार और अनिश्चितता किसी भी परिवार के लिए असहनीय होती है।

डंगनिया नदी का रहस्य और एक पहचान की गलती

सोमवार का दिन इस कहानी में एक नया और दर्दनाक मोड़ लेकर आया। डंगनिया नदी में एक अज्ञात शव मिला। शव इस कदर क्षत-विक्षत था कि उसकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो रहा था। पुलिस ने शव को बरामद किया और उसकी पहचान के लिए आसपास के लोगों को बुलाया। हरिओम के परिजनों को भी इस बारे में सूचित किया गया।

दुखद बात यह थी कि कद-काठी, रंग-रूप और मृतक द्वारा पहने गए जींस के आधार पर, साथ ही हाथ पर गुदे एक अक्षर वाले टैटू को देखकर परिजनों ने मान लिया कि यह शव हरिओम का ही है। यह फैसला कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। एक बेटे, पति और भाई को खोने का दर्द परिजनों के चेहरे पर साफ झलक रहा था। पुलिस ने पंचनामा किया और शव परिजनों को सौंप दिया।

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मातम का माहौल और 'जिंदा' बेटे की चौंकाने वाली वापसी

शव घर आया तो पूरे विश्रामपुर गेवरा में मातम छा गया। रिश्तेदारों और पड़ोसियों को अंतिम संस्कार की सूचना दी गई। घर में रोने-धोने का सिलसिला शुरू हो गया। हर कोई हरिओम की असमय मौत पर शोक व्यक्त कर रहा था। अंतिम संस्कार की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। लकड़ी, कफन और अन्य आवश्यक सामग्री जुटा ली गई थी।

और फिर वह पल आया जिसने सबकी जिंदगी बदल दी। जब अंतिम संस्कार से ठीक पहले, हरिओम वैष्णव खुद अपने पैरों पर चलकर घर आ गया!

घर में मौजूद लोगों के लिए यह दृश्य अविश्वसनीय था। जो व्यक्ति अभी कुछ देर पहले एक शव के रूप में घर आया था, वह अब अपनी आंखों के सामने जिंदा खड़ा था। एक पल के लिए किसी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। कुछ लोग 'भूत-भूत!' चिल्लाते हुए दहशत में घर से बाहर भाग खड़े हुए। यह एक ऐसा क्षण था, जिसे शायद ही कोई भुला पाएगा। मातम का माहौल अचानक से अचंभे, डर और फिर खुशी में बदल गया।

हरिओम की जुबानी: कहां था वह और क्यों लौटा?

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जब लोगों को यकीन हुआ कि यह सचमुच हरिओम है और वह जिंदा है, तब जाकर भीड़ कुछ शांत हुई। हरिओम ने बताया कि पारिवारिक विवाद के चलते वह बिना किसी को बताए दूसरे शहर चला गया था। उसने यह नहीं सोचा था कि उसकी गैर-मौजूदगी इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर देगी। वह शायद इस बात से अनजान था कि उसके लापता होने के बाद क्या-क्या हुआ।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कैसे एक छोटी सी गलतफहमी या गलत सूचना बड़े भ्रम और दहशत को जन्म दे सकती है। परिवार के लिए यह एक भावनात्मक रोलरकोस्टर रहा होगा – पहले गम, फिर डर और अंत में असीम खुशी।

पुलिस की भूमिका और आगे की जांच

फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की तफ्तीश कर रही है। दर्री पुलिस को हरिओम के जीवित होने की सूचना दे दी गई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस शव को हरिओम का मान लिया गया था, वह आखिर किसका था? पुलिस को अब उस अज्ञात शव की शिनाख्त करनी होगी और यह पता लगाना होगा कि उसकी मृत्यु कैसे हुई। यह एक नई पहेली है जिसे पुलिस को सुलझाना होगा।

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और पहचान प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है।

एक वायरल वीडियो से उपजा व्यापक विमर्श

सोशल मीडिया पर इस घटना से जुड़े वीडियो और खबरें तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग इसे 'यमराज छुट्टी पर हैं' या 'यमपुरी का दरवाजा बंद हो गया है' जैसी मजाकिया टिप्पणियों के साथ साझा कर रहे हैं। हालांकि, इस पूरे मामले में एक परिवार का दर्द, पुलिस की जांच और एक पहचान की बड़ी गलती छिपी हुई है।

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि सूचना कितनी तेजी से फैलती है और कैसे कभी-कभी गलत सूचना बड़े पैमाने पर भ्रम पैदा कर सकती है। कोरबा की यह कहानी न केवल एक सनसनीखेज ब्रेकिंग न्यूज है, बल्कि मानवीय भावनाओं, सामाजिक प्रतिक्रियाओं और पहचान की चुनौतियों पर भी एक गहरा विमर्श प्रस्तुत करती है। अब सबकी निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं, यह जानने के लिए कि उस अज्ञात शव का रहस्य कब सुलझता है और इस पूरी घटना की परतें कैसे खुलती हैं।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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