कोरिया में 'ओवरडोज' इंजेक्शन से महिला की संदिग्ध मौत: मेडिकल स्टोर संचालक पर हत्या का आरोप, जाँच शुरू

छत्तीसगढ़ के कोरिया में एक महिला की कथित तौर पर मेडिकल स्टोर से लिए गए 'ओवरडोज' इंजेक्शन के बाद मौत हो गई। परिजनों ने स्टोर संचालक पर लगाया आरोप, सीएमएचओ ने गैरकानूनी करार दिया। जानें इस सनसनीखेज मामले के हर पहलू को।

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छत्तीसगढ़ के कोरिया में 'जीवनदायी' इंजेक्शन बना जानलेवा: ओवरडोज के आरोप में मेडिकल स्टोर संचालक घिरा, परिजनों का हंगामा

कोरिया : छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने चिकित्सा व्यवस्था की नींव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बैकुंठपुर सिटी कोतवाली क्षेत्र के कंचनपुर में स्थित एक मेडिकल स्टोर में कथित तौर पर 'ओवरडोज' इंजेक्शन लगने के बाद एक महिला की संदिग्ध मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने सीधे तौर पर मेडिकल स्टोर संचालक पर लापरवाही और हत्या का आरोप लगाया है, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। यह घटना न केवल चिकित्सा लापरवाही, बल्कि अवैध रूप से इंजेक्शन लगाने वाले 'दुकानदारों' के खतरनाक गोरखधंधे को भी उजागर करती है।

दर्द निवारक बना जानलेवा: गोमती की दुखद कहानी

यह दुखद घटना बुधवार देर शाम की है। बैकुंठपुर निवासी विजय कुमार गुप्ता की पत्नी गोमती (उम्र लगभग 40 वर्ष) शाम को शरीर में दर्द की शिकायत लेकर कंचनपुर स्थित 'बरसाना मेडिकल स्टोर' पहुंचीं। विजय कुमार गुप्ता ने मीडिया को बताया कि उनकी पत्नी ने उन्हें फोन पर बताया था कि स्टोर संचालक ने उन्हें "तीन इंजेक्शन" लगाए हैं और कुछ दवाएं दी हैं। गोमती घर लौटीं और उन्होंने दवाएं लीं। लेकिन कुछ ही देर बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और देखते ही देखते उनकी मौत हो गई।

विजय कुमार गुप्ता ने रोते हुए बताया, "मेरी पत्नी शाम को बिलकुल ठीक थी, बस शरीर में थोड़ा दर्द था। उसे क्या पता था कि दवा लेने जाना उसकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। उस मेडिकल स्टोर वाले ने मेरी पत्नी को क्या दिया, कि उसने दम तोड़ दिया। यह सीधे-सीधे हत्या है!" परिजनों का आरोप है कि इंजेक्शन की अत्यधिक खुराक या गलत दवा के कारण गोमती की मौत हुई है।

पुलिस और प्रशासन हरकत में: पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

गोमती की आकस्मिक मृत्यु के बाद, परिजनों ने तत्काल सिटी कोतवाली बैकुंठपुर को सूचना दी। पुलिस टीम मौके पर पहुंची और शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का खुलासा हो पाएगा। रिपोर्ट में यदि 'ओवरडोज' या गलत दवा के सेवन की पुष्टि होती है, तो मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सीएमएचओ का स्पष्टीकरण: इंजेक्शन लगाना गैरकानूनी

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. प्रशांत सिंह से संपर्क किया गया। डॉ. सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "किसी भी मेडिकल स्टोर संचालक द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाना पूरी तरह से गैरकानूनी है। यह केवल एक योग्य चिकित्सक या प्रशिक्षित नर्स द्वारा ही किया जा सकता है। यदि यह पुष्टि होती है कि मृत महिला को मेडिकल स्टोर संचालक ने इंजेक्शन लगाए थे, तो उस व्यक्ति के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करने से लेकर आपराधिक मुकदमा भी शामिल है।"

सीएमएचओ के इस बयान ने परिजनों के आरोपों को और बल दिया है। यह सवाल खड़ा होता है कि एक मेडिकल स्टोर संचालक, जिसके पास डॉक्टर की डिग्री नहीं है, उसने इंजेक्शन लगाने की जुर्रत कैसे की? और यदि यह प्रथा बड़े पैमाने पर चल रही है, तो प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठते हैं।

चिकित्सा माफिया का बढ़ता खतरा: कौन है जिम्मेदार?

यह घटना केवल कोरिया जिले तक सीमित नहीं है। देश के कई ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ऐसे मेडिकल स्टोर या झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से मरीजों को इंजेक्शन और दवाएं देते रहते हैं, जबकि उनके पास न तो आवश्यक योग्यता होती है और न ही आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए उचित उपकरण। ऐसे लोग अक्सर अपनी जेब भरने के लिए मरीजों की जान जोखिम में डालते हैं।

इस मामले में, यदि मेडिकल स्टोर संचालक ने बिना किसी डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के और अपनी अयोग्यता के बावजूद इंजेक्शन लगाए हैं, तो यह सीधे तौर पर फार्मासिस्ट की भूमिका और नियमन पर प्रश्नचिह्न लगाता है। फार्मासिस्ट का काम केवल दवा देना और उसके उपयोग की जानकारी देना होता है, न कि 'डॉक्टर' बनकर इलाज करना।

बढ़ती आत्महत्याएं और स्वास्थ्य संकट: एक व्यापक चिंता

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब बलौदाबाजार जिले में 7 अगस्त को एक महिला अंजनी यादव (32 वर्ष) द्वारा ज़हरीला पदार्थ सेवन कर खुदकुशी किए जाने का मामला सामने आया था। हालांकि दोनों मामलों में कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन ये घटनाएं बताती हैं कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति दोनों ही चिंताजनक स्तर पर हैं। गोमती की मौत, भले ही सीधे तौर पर आत्महत्या न हो, लेकिन इसने जनता के स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं पर भरोसे को झकझोर दिया है।

आगे की राह: क्या होगा बरसाना मेडिकल स्टोर का?

फिलहाल, पुलिस की जांच जारी है और सभी की निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि रिपोर्ट आरोपों की पुष्टि करती है, तो बरसाना मेडिकल स्टोर के संचालक के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके साथ ही, ड्रग कंट्रोल विभाग भी अपने स्तर पर स्टोर के लाइसेंस और दवाओं के स्टॉक की जांच करेगा।

यह घटना छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक वेक-अप कॉल है। अवैध चिकित्सा पद्धतियों और अयोग्य व्यक्तियों द्वारा दवा वितरण पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है। गोमती की मौत एक त्रासदी है, लेकिन यदि यह दूसरों की जान बचाने और व्यवस्था में सुधार लाने का माध्यम बन सके, तो शायद उसकी आत्मा को कुछ शांति मिलेगी। इस मामले में न्याय होना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई और गोमती इस तरह की लापरवाही का शिकार न बने।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

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