मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मंदिर के पैसे पर सरकार का व्यावसायिक हक नहीं!

मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में तमिलनाडु सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार मंदिरों के पैसों का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं कर सकती। यह फैसला मुख्यमंत्री स्टालिन और उनकी डीएमके सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

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सरकार की दलीलें खारिज: मंदिर निधि का उपयोग सिर्फ धार्मिक कार्यों के लिए

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तमिलनाडु सरकार ने मंदिर के पैसों के व्यावसायिक उपयोग को लेकर अपनी दलीलें पेश की थीं, जिन्हें कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि "तमिलनाडु सरकार हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 के तहत मंदिर के संसाधनों का उपयोग केवल मंदिरों के रखरखाव और विकास तथा उससे जुड़ी धार्मिक गतिविधियों पर करने के लिए बाध्य है।" कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि इसका उपयोग किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

देवताओं का अधिकार: भक्तों के दान पर सरकार का व्यावसायिक हस्तक्षेप नहीं

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न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए जोर दिया कि "भक्तों द्वारा मंदिर या देवता को दान की गई चल और अचल संपत्ति पर देवता का अधिकार होता है।" ऐसे में, इन निधियों का उपयोग केवल मंदिरों में उत्सव मनाने, मंदिर के रखरखाव या उसके विकास के लिए ही किया जा सकता है।

मंदिर का पैसा, सार्वजनिक या सरकारी पैसा नहीं

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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि "मंदिर के पैसे को सार्वजनिक पैसा या सरकारी पैसा नहीं माना जा सकता।" यह पैसा हिंदू धार्मिक लोगों द्वारा अपने रीति-रिवाजों, प्रथाओं या विचारधाराओं के प्रति उनके भावनात्मक और आध्यात्मिक लगाव के कारण दिया जाता है। इसका अर्थ है कि यह निधि भक्तों के धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, जिस पर सरकार का व्यावसायिक हक नहीं है।

दूरगामी परिणाम: धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता पर प्रभाव

यह फैसला धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता और उनके धन के प्रबंधन के तरीके पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। यह उन सभी राज्यों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है जहां सरकारें मंदिरों के मामलों में हस्तक्षेप करती हैं। इस फैसले से धार्मिक समुदायों में खुशी की लहर है और इसे धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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