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 महानदी के उफान में फंसा युवक, आरंग पुलिस और SDRF ने जान बचाई; बलरामपुर बांध त्रासदी में पांचवां शव बरामद

आरंग में महानदी के तेज बहाव में फंसे युवक का सफल रेस्क्यू ऑपरेशन, जबकि बलरामपुर के लुत्तीसढ़शा बांध टूटने से मरने वालों की संख्या पांच हुई। जानें इन भयावह घटनाओं का पूरा ब्यौरा।

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छत्तीसगढ़ में बारिश का कहर: महानदी में जिंदगी की जंग, बलरामपुर बांध त्रासदी में बढ़ा मौत का आंकड़ा

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ में मानसूनी बारिश का कहर जारी है, जिसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बुधवार देर शाम और गुरुवार को सामने आई दो बड़ी घटनाओं ने प्रदेश को झकझोर दिया है। जहां एक ओर आरंग में उफनती महानदी के बीच फंसे एक युवक को पुलिस और SDRF की टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर सुरक्षित बाहर निकाला, वहीं दूसरी ओर बलरामपुर जिले में लुत्तीसढ़शा जलाशय के टूटने से मरने वालों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है, जिसमें एक 6 वर्षीय मासूम भी शामिल है। ये घटनाएं प्रदेश में आपदा प्रबंधन और इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

महानदी का विकराल रूप और आरंग में सफल जीवन रक्षा

बुधवार देर शाम आरंग क्षेत्र के पारगांव में महानदी का रौद्र रूप देखने को मिला, जब नेशनल हाईवे-53 पर महानदी पुल के नीचे एक युवक नदी के तेज बहाव में फंस गया। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने महानदी का जलस्तर इतना बढ़ा दिया था कि नदी अपने पूरे उफान पर थी। पानी के तेज बहाव में फंसे युवक की खबर मिलते ही स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया।

तत्काल प्रभाव से आरंग थाना प्रभारी राजेश सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता और अंधेरे को देखते हुए उन्होंने तुरंत राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीम को भी बुलाया। पुलिस और SDRF की संयुक्त टीम ने मिलकर एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान चलाया। महानदी का प्रचंड बहाव और रात का अंधेरा बचाव कार्य को बेहद मुश्किल बना रहा था, लेकिन जवानों ने हार नहीं मानी।

कई घंटों की कड़ी मशक्कत और सूझबूझ भरी रणनीति के बाद, आखिरकार बचाव दल युवक तक पहुंचने में कामयाब रहा और उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों की भीड़ जमा थी, जो पल-पल की जानकारी ले रहे थे। युवक को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस और SDRF की त्वरित कार्रवाई और बहादुरी की जमकर सराहना की। फिलहाल, युवक पूरी तरह सुरक्षित है और उसे आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई गई है। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि हमारे सुरक्षाबल विषम परिस्थितियों में भी लोगों की जान बचाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।

बलरामपुर की भयावह त्रासदी: लुत्तीसढ़शा बांध का ढहना और मौत का सिलसिला

आरंग की राहत भरी खबर के ठीक विपरीत, बलरामपुर जिले से एक और दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। अत्यधिक जल भराव के कारण लुत्तीसढ़शा जलाशय के ढह जाने से उत्पन्न त्रासदी में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गुरुवार, 4 सितंबर को 6 वर्षीय एक बालक का शव बरामद होने के बाद, इस हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। यह पूरा मामला बलरामपुर जिले के तातापानी पुलिस चौकी क्षेत्र का है।

जानकारी के अनुसार, यह बांध 1981 में मिट्टी से बना था और अत्यधिक बारिश के कारण हुए जल भराव को सहन नहीं कर पाया। बांध टूटने के कारण पानी के तेज बहाव ने आस-पास के इलाकों में भारी तबाही मचाई है। बांध के पास बने तीन घर पूरी तरह से ढह गए।

हादसे की खबर मिलते ही बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था। रात के अंधेरे में चले तलाशी अभियान के दौरान बांध में डूबी दो महिलाओं के शव मिले थे, जिनकी पहचान सास और बहू के रूप में हुई। सुबह के रेस्क्यू ऑपरेशन में एक महिला और एक पुरुष का शव बरामद हुआ था। गुरुवार को मिले 6 वर्षीय बालक के शव के साथ, मरने वालों की संख्या अब पांच हो चुकी है।

इस त्रासदी में केवल मानवीय जीवन का ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि आर्थिक और पशुधन को भी भारी क्षति पहुंची है। लगभग 25 एकड़ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पानी के तेज बहाव में 9 मवेशियों और 55 बकरियों की भी मौत हो गई है।

SDRF की टीम अभी भी लापता हुए दो अन्य लोगों की तलाश में जुटी हुई है। घटनास्थल पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष धीरज सिंहदेव पहुंचे और उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। एसपी और कलेक्टर को भी घटना की सूचना दी गई है और वे भी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर और आपदा प्रबंधन पर सवाल

इन दोनों घटनाओं ने छत्तीसगढ़ में बारिश के मौसम में सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बलरामपुर में 1981 में बने मिट्टी के बांध का ढह जाना यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या पुराने बांधों और जलाशयों की समय-समय पर उचित मरम्मत और मजबूतीकरण किया जाता है या नहीं। वहीं, महानदी जैसे उफनते जलस्रोतों के पास लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए क्या पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब हमें अधिक तीव्र और अप्रत्याशित बारिश का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, हमें अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने, आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को अत्याधुनिक बनाने और लोगों को जागरूक करने की दिशा में और अधिक काम करने की आवश्यकता है। इन त्रासदियों से सबक लेकर भविष्य के लिए एक मजबूत और सुरक्षित छत्तीसगढ़ का निर्माण ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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