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मणिपुर के रणबांकुरे रणजीत सिंह कश्यप को छत्तीसगढ़ ने दी अश्रुपूरित विदाई, शौर्य को शत-शत नमन
रायपुर: देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले छत्तीसगढ़ के वीर सपूत, राइफलमैन रणजीत सिंह कश्यप को आज उनके गृह राज्य ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। मणिपुर में कर्तव्य निभाते हुए शहीद हुए रणजीत को राजधानी रायपुर में पूरे राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया, जिसने हर आंख को नम कर दिया। इस हृदय विदारक क्षण में, सेना के उच्च अधिकारियों, राज्य प्रशासन और पुलिस बल के प्रमुखों ने रणजीत के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर, उनके अदम्य साहस और देश के प्रति समर्पण को सलाम किया।
एक सैनिक का अंतिम सफर: गौरव और गम का संगम
सुबह से ही रायपुर का वातावरण शोक और सम्मान की लहरों से घिरा हुआ था। जैसे ही शहीद रणजीत सिंह कश्यप का पार्थिव शरीर विशेष विमान से माना हवाई अड्डे पहुंचा, पूरा हवाई अड्डा परिसर 'रणजीत सिंह अमर रहें' और 'भारत माता की जय' के नारों से गूंज उठा। हजारों की संख्या में लोग अपने वीर को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़े थे। तिरंगे में लिपटे ताबूत को जब सैन्य वाहन में रखा गया, तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं। यह सिर्फ एक सैनिक का अंतिम सफर नहीं था, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के उस गौरव और गम का संगम था, जो अपने एक बेटे को खोने के बाद महसूस होता है।
गार्ड ऑफ ऑनर: सैन्य परंपरा का गरिमामय प्रदर्शन
रायपुर स्थित सेना मुख्यालय में आयोजित 'गार्ड ऑफ ऑनर' समारोह में, सैन्य टुकड़ी ने रणजीत को अंतिम सलामी दी। बंदूकें हवा में दागी गईं, जो उनके बलिदान की गूंज थीं। सैन्य बैंड ने शोक धुन बजाई, जिसने माहौल को और भी भावुक बना दिया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, राज्यपाल के प्रतिनिधि, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक और सेना की 32वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में रणजीत सिंह कश्यप के बलिदान को राष्ट्र के लिए एक अमूल्य धरोहर बताया।
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने इस मौके पर कहा, "राइफलमैन रणजीत सिंह कश्यप ने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनका साहस और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणा है। भारतीय सेना और पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है।"
कौन थे रणजीत सिंह कश्यप?
रणजीत सिंह कश्यप छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव के रहने वाले थे। बचपन से ही उनमें देश सेवा का जुनून था। उनके परिवार ने बताया कि रणजीत हमेशा से सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहते थे। कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने अपने सपने को साकार किया और भारतीय सेना के राइफलमैन के रूप में देश की सेवा में जुट गए। मणिपुर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में उन्होंने कई बार अपनी वीरता का परिचय दिया। उनके साथियों ने बताया कि रणजीत एक बहादुर, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ सैनिक थे, जो हमेशा अपने साथियों के लिए खड़े रहते थे।
उनके एक बचपन के दोस्त ने बताया, "रणजीत हमेशा कहते थे कि देश से बढ़कर कुछ नहीं। हमें गर्व है कि हमारा दोस्त देश के लिए शहीद हुआ।"
परिवार का दर्द और देश का सम्मान
रणजीत के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके माता-पिता और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। हालांकि, उनके चेहरे पर अपने बेटे के बलिदान का गर्व भी साफ झलक रहा था। राज्य सरकार और सेना ने परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। यह भी बताया गया है कि शहीद के नाम पर उनके गांव में एक स्मारक बनाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान को याद रख सकें।
मणिपुर में बढ़ती चुनौतियां और सैनिकों का बलिदान
मणिपुर में हाल के दिनों में सुरक्षा स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। उग्रवादी समूहों की बढ़ती गतिविधियां और सीमा पार से घुसपैठ सेना के लिए लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। इन दुर्गम और खतरनाक परिस्थितियों में हमारे जवान दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए संघर्षरत हैं। राइफलमैन रणजीत सिंह कश्यप का बलिदान हमें उन सभी सैनिकों के त्याग और समर्पण की याद दिलाता है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
एक प्रेरणादायक कहानी का अंत नहीं, एक नई शुरुआत
रणजीत सिंह कश्यप की कहानी सिर्फ एक दुःखद अंत नहीं है, बल्कि यह देश के हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का एक नया अध्याय है। उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और शांति यूं ही नहीं मिलती, इसके पीछे हमारे वीर जवानों का खून-पसीना और सर्वोच्च बलिदान होता है। छत्तीसगढ़ और पूरा देश आज अपने इस वीर सपूत को सलाम कर रहा है, जिसने अपनी जान देकर यह सुनिश्चित किया कि हम सब सुरक्षित रह सकें।
रणजीत सिंह कश्यप जैसे वीरों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाता। यह राष्ट्र को मजबूत करता है, एकता के सूत्र में बांधता है और आने वाली पीढ़ियों को देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत करता है। आज जब रणजीत को अंतिम विदाई दी गई, तो यह सिर्फ एक शरीर को मिट्टी को सौंपा जाना नहीं था, बल्कि यह एक अमर आत्मा को राष्ट्र की स्मृति में सदा के लिए स्थापित करना था।
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