मरवाही के वार्ड 13 में करोड़ों के नाली निर्माण पर भ्रष्टाचार का साया, स्थानीय निवासियों ने खोली पोल
मरवाही : विकास की राह पर अग्रसर होने का दावा करने वाली मरवाही नगर पंचायत के चंद्रशेखर आजाद वार्ड क्रमांक 13 में एक बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। आईटीआई कॉलेज तक प्रस्तावित नाली निर्माण कार्य में अनियमितताओं और घटिया सामग्री के उपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। नागरिकों का आरोप है कि लाखों रुपये के इस प्रोजेक्ट में अधिकारी और ठेकेदार की कथित मिलीभगत से जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, चंद्रशेखर आजाद वार्ड क्रमांक 13 में आईटीआई कॉलेज तक एक महत्वपूर्ण नाली का निर्माण किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जल निकासी की समस्या का समाधान करना और स्थानीय निवासियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। हालांकि, निर्माण कार्य शुरू होते ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी काम पूरा भी नहीं हुआ है और नालियां जगह-जगह से क्षतिग्रस्त दिख रही हैं। उनमें दरारें आ रही हैं और कई स्थानों पर निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
ठेकेदार की मनमानी और अधिकारी की कथित नाकामी
स्थानीय निवासियों ने इस पूरे प्रकरण के लिए मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) की 'नाकामी' और ठेकेदार की 'मनमानी' को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि CMO कार्यालय में अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, जिससे उनकी शिकायतें सुनी नहीं जातीं। इस प्रशासनिक लापरवाही का फायदा उठाकर ठेकेदार अपनी इच्छानुसार निर्माण कार्य कर रहा है, बिना किसी गुणवत्ता नियंत्रण या निरीक्षण के।
एक स्थानीय निवासी, रमेश साहू ने बताया, "हमने कई बार नगर पंचायत कार्यालय में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी कभी मिलते ही नहीं हैं। जब अधिकारी ही अपने कर्तव्य का पालन नहीं करेंगे, तो ठेकेदार तो मनमानी करेगा ही। यह हमारे शहर के विकास के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।"
घटिया सामग्री और निर्माण में लापरवाही के प्रमाण
आरोप है कि नाली निर्माण में निर्धारित मानकों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। सीमेंट की जगह रेत और कम गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका परिणाम यह है कि नालियां कमजोर बन रही हैं और उनके स्थायित्व पर प्रश्नचिह्न लग गया है। कुछ नागरिकों ने अपनी आंखों से देखा है कि निर्माण के दौरान सीमेंट और गिट्टी का अनुपात ठीक नहीं रखा जा रहा था, और पर्याप्त मात्रा में पानी का उपयोग भी नहीं किया जा रहा था, जो कंक्रीट की मजबूती के लिए आवश्यक होता है।
एक अन्य स्थानीय महिला, सुनीता देवी ने बताया, "नालियां बनने के कुछ ही दिन बाद टूटने लगी हैं। आप खुद आकर देख लीजिए, कई जगहों पर तो आधी अधूरी छोड़कर चले गए हैं। बारिश में यहां पानी भर जाएगा और बच्चों के लिए भी खतरा होगा।"
अधूरी नालियां: दुर्घटनाओं का न्योता और असुविधा
अधूरी नालियां न केवल जल निकासी में बाधा डालती हैं, बल्कि पैदल चलने वालों और वाहन चालकों के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। रात के समय, विशेषकर अंधेरे में, खुले या अधूरे नाले गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं। यह स्थिति स्थानीय निवासियों के लिए भारी असुविधा का कारण बन रही है, जिन्हें हर दिन इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जनता के पैसे का दुरुपयोग और उच्च स्तरीय जांच की मांग
इस पूरे मामले को जनता के पैसे का घोर दुरुपयोग माना जा रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली इन नालियों का अगर कुछ ही समय में क्षरण हो जाता है, तो यह सीधे तौर पर सार्वजनिक धन की बर्बादी है। स्थानीय नागरिकों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषियों - चाहे वे ठेकेदार हों या संबंधित अधिकारी - के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने स्थानीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों के नेताओं ने नगर पंचायत प्रशासन और संबंधित अधिकारियों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। यह मुद्दा आने वाले समय में नगर पंचायत चुनावों में भी एक महत्वपूर्ण बिंदु बन सकता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है और तत्काल समाधान की मांग की है।
आगे क्या?
स्थानीय नागरिकों की शिकायतों और उनके बढ़ते आक्रोश को देखते हुए, प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यह देखना बाकी है कि नगर पंचायत प्रशासन और जिला अधिकारी इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं। क्या कोई उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाएगी? क्या ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा? और क्या दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मरवाही की जनता बेसब्री से इंतजार कर रही है।
एक जिम्मेदार और संवेदनशील प्रशासन का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करे और सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित करे। मरवाही के वार्ड 13 का यह मामला एक वेक-अप कॉल है, जो दर्शाता है कि विकास परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण है। इस घटना से सबक लेकर, उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोका जा सकेगा और मरवाही वास्तव में विकास की सही राह पर आगे बढ़ेगा।