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ओडिशा में एक आरटीआई कार्यकर्ता पर सूचना के अधिकार के "दुरुपयोग" के आरोप में एक साल का प्रतिबंध। राज्य सूचना आयोग ने लगाई 12 आवेदन की वार्षिक सीमा, बीपीएल कार्ड जांच के भी आदेश।

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ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध, 12 आवेदन की सीमा - सूचना अधिकार पर नई बहस
ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध, 12 आवेदन की सीमा - सूचना अधिकार पर नई बहस

भुवनेश्वर, ओडिशा: ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध, 12 आवेदन की सीमा - सूचना अधिकार पर नई बहस, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही का एक मजबूत स्तंभ माने जाने वाले सूचना का अधिकार (RTI) कानून अब एक नई बहस के केंद्र में आ गया है। ओडिशा राज्य सूचना आयोग ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पुरी जिले के एक आरटीआई आवेदक, चित्तरंजन सेठी पर एक साल के लिए नए आवेदन दाखिल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आयोग का आरोप है कि सेठी ने "अंधाधुंध" तरीके से और बार-बार एक ही विषय पर आवेदन कर इस महत्वपूर्ण कानून का दुरुपयोग किया है। यह फैसला न केवल सेठी के अधिकारों को प्रभावित करेगा, बल्कि देश भर में आरटीआई के दायरे और उसके 'सही' उपयोग को लेकर एक व्यापक चर्चा को भी जन्म देगा।

"अंधाधुंध आवेदन" का आरोप: क्या है पूरा मामला?

मामला पुरी जिले के सतपुरी गांव के निवासी चित्तरंजन सेठी से जुड़ा है, जिन्होंने कथित तौर पर मेइतीपुर ग्राम पंचायत और निमापाड़ा कार्यालय से आय-व्यय और विभिन्न विकास कार्यों का माहवार और सालाना ब्योरा मांगते हुए 61 आवेदन दायर किए थे। ओडिशा राज्य सूचना आयोग के आयुक्त सुशांत कुमार मोहंती ने स्पष्ट किया कि सेठी को इन आवेदनों का जवाब मिलने के बाद भी उन्होंने बार-बार उसी विषय पर नए आवेदन दाखिल किए। आयोग ने अपने आदेश में इसे "प्रक्रिया का दुरुपयोग" करार दिया, यह कहते हुए कि आवेदक को सूचना का अधिकार है, लेकिन वह कानून और प्रक्रिया का पालन करने के लिए भी बाध्य है।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

यह घटना उन चुनौतियों को रेखांकित करती है जिनका सामना सूचना आयोग और सार्वजनिक प्राधिकरणों को कभी-कभी उन मामलों में करना पड़ता है जहाँ आवेदकों द्वारा बार-बार या अत्यधिक जानकारी मांगने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल किया जाता है। एक तरफ जहां आरटीआई को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने का एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है, वहीं इसके "दुरुपयोग" को लेकर समय-समय पर चिंताएं भी व्यक्त की जाती रही हैं।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

बीपीएल कार्ड का उपयोग और शुल्क छूट का लाभ

इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि चित्तरंजन सेठी ने अपने बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड का उपयोग करके ये आवेदन दायर किए थे। आरटीआई कानून के तहत, सामान्य आवेदकों को प्रति आवेदन 10 रुपये का शुल्क देना होता है, लेकिन बीपीएल कार्ड धारकों को इस शुल्क से छूट मिलती है। आयोग का आरोप है कि सेठी ने इसी छूट का फायदा उठाकर "अंधाधुंध" आवेदन किए।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

इस आरोप ने अब पुरी के कलेक्टर का भी ध्यान खींचा है, जिन्होंने सेठी के बीपीएल कार्ड की वैधता की जांच के आदेश दिए हैं। यदि यह सिद्ध होता है कि सेठी ने गलत तरीके से बीपीएल कार्ड का लाभ उठाया या वास्तव में वह गरीबी रेखा से नीचे नहीं हैं, तो यह मामला और भी जटिल हो सकता है, और आरटीआई कानून के तहत शुल्क छूट के प्रावधानों के संभावित दुरुपयोग पर भी सवाल खड़े कर सकता है। यह दर्शाता है कि एक नेक इरादे से बनाया गया प्रावधान कैसे अनपेक्षित परिणाम दे सकता है।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

अभूतपूर्व निर्देश: 12 आरटीआई की सीमा और हलफनामा

सेठी पर एक साल का प्रतिबंध लगाने के अलावा, ओडिशा राज्य सूचना आयोग ने एक दूरगामी निर्देश भी जारी किया है। आयोग ने सभी आवेदकों के लिए एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम 12 आरटीआई आवेदन दाखिल करने की सीमा तय करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, हर आवेदन के साथ आवेदकों के लिए एक हलफनामा दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें उन्हें यह घोषित करना होगा कि उन्होंने उस वर्ष कितने आरटीआई आवेदन दाखिल किए हैं।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

यह कदम भारत में आरटीआई के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अब तक, आरटीआई आवेदन दाखिल करने की संख्या पर कोई स्पष्ट राष्ट्रव्यापी सीमा नहीं थी, हालांकि कई बार कुछ विभागों ने आंतरिक रूप से ऐसी सीमाओं का सुझाव दिया था। ओडिशा आयोग का यह निर्देश अब देश भर में इस बात पर बहस छेड़ सकता है कि क्या आरटीआई कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ऐसी सीमाओं की आवश्यकता है, या क्या यह नागरिकों के सूचना के अधिकार को कमजोर कर सकता है।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

समर्थकों का तर्क हो सकता है कि यह कदम सार्वजनिक प्राधिकरणों पर अनावश्यक बोझ को कम करेगा, जिससे वे वास्तविक और महत्वपूर्ण सूचना अनुरोधों पर अधिक कुशलता से ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। वहीं, आलोचकों का मानना है कि यह नागरिकों के निगरानी के अधिकार को सीमित करेगा और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेही से बचने का अवसर प्रदान कर सकता है। विशेष रूप से, जो लोग हाशिए पर हैं या भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं, उनके लिए यह प्रतिबंध एक बड़ी बाधा बन सकता है।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

पारदर्शिता बनाम 'परेशानी': एक नाजुक संतुलन

यह मामला पारदर्शिता और 'अत्यधिक' जानकारी के अनुरोधों से होने वाली कथित 'परेशानी' के बीच एक नाजुक संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। आरटीआई कानून को नागरिकों को सशक्त बनाने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि, किसी भी शक्तिशाली उपकरण की तरह, इसके दुरुपयोग की संभावना भी मौजूद है।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

यह जरूरी है कि आयोग और सरकारें आरटीआई के मूल उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ऐसे मामलों से निपटें। क्या 'बार-बार' आवेदन करना हमेशा 'दुरुपयोग' माना जाना चाहिए? कुछ मामलों में, एक ही विषय पर बार-बार जानकारी मांगने का उद्देश्य प्रारंभिक जवाबों में विसंगतियों को उजागर करना या पूरी जानकारी प्राप्त करना हो सकता है। यह विशेष रूप से तब सच हो सकता है जब सार्वजनिक अधिकारी जानबूझकर जानकारी छिपाते हैं या अधूरी जानकारी देते हैं।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

इस फैसले के निहितार्थों को ध्यान से समझना होगा। क्या इससे ईमानदार कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित किया जाएगा जो भ्रष्टाचार या कुप्रबंधन को उजागर करने के लिए आरटीआई का उपयोग करते हैं? क्या यह सरकारी अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ प्रतिशोध लेने का एक उपकरण देगा जो उन्हें असहज करने वाले प्रश्न पूछते हैं?ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

आरटीआई के भविष्य पर बहस

चित्तरंजन सेठी पर प्रतिबंध और 12 आवेदन की वार्षिक सीमा तय करने का ओडिशा राज्य सूचना आयोग का फैसला आरटीआई कानून के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह निश्चित रूप से देश भर के सूचना आयोगों, कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच आरटीआई के दायरे, उपयोग और संभावित 'दुरुपयोग' पर एक व्यापक बहस को प्रेरित करेगा।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

एक लोकतांत्रिक समाज में, सूचना तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी प्रतिबंध या सीमा को लगाते समय, यह अधिकार कमजोर न हो। पारदर्शिता को बढ़ावा देने और अनावश्यक बोझ से बचने के बीच संतुलन बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि ओडिशा का यह कदम आरटीआई कानून के कार्यान्वयन में एक नई मिसाल कायम करता है या यह न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है, जिससे नागरिकों के सूचना के अधिकार की रक्षा और उसके सही उपयोग को लेकर एक स्पष्ट दिशा मिल सके।ओडिशा RTI दुरुपयोग: एक साल का प्रतिबंध

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