फरसगांव में राशन वितरण पर उठे सवाल: अगस्त माह का राशन न मिलने से आक्रोशित ग्रामीणों ने घेरा SDM कार्यालय, दुकान संचालक पर कार्रवाई की मांग
फरसगांव : छत्तीसगढ़ के फरसगांव ब्लॉक से जनवितरण प्रणाली (PDS) में बड़ी अनियमितता का मामला सामने आया है, जिसने खाद्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फरसगांव के ग्राम पंचायत आलोर के सैकड़ों राशन कार्ड धारकों को अगस्त माह का राशन नहीं मिला है, जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने बुधवार को बड़ी संख्या में SDM कार्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर संबंधित राशन दुकान संचालक पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिससे लगभग 520 परिवारों के भोजन पर संकट मंडरा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, आलोर ग्राम पंचायत के राशन दुकान के हितग्राहियों को अगस्त महीने का राशन नहीं मिला है। हर महीने की तरह इस महीने भी ग्रामीण अपनी राशन दुकान पर अनाज लेने पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। दुकान संचालक ने कथित तौर पर यह कहकर टाल दिया कि अगस्त माह का राशन अभी आया ही नहीं है। हालांकि, ग्रामीणों के आरोपों ने मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि आलोर ग्राम के सभी राशन कार्ड हितग्राहियों के कार्ड में राशन देना "अंकित" कर दिया गया है, जबकि वास्तव में उन्हें राशन का एक दाना भी नहीं मिला है। यह आरोप बेहद गंभीर है और अगर यह सच पाया जाता है, तो यह सीधा-सीधा धोखाधड़ी और जनवितरण प्रणाली का दुरुपयोग है। इसका मतलब यह होगा कि रिकॉर्ड में तो राशन वितरित दिखाया गया है, लेकिन असल में गरीब परिवारों तक उनका हक नहीं पहुंचा।
आक्रोशित ग्रामीणों का प्रदर्शन
राशन न मिलने और कथित तौर पर गलत जानकारी दिए जाने से ग्रामीण भारी आक्रोश में हैं। बुधवार को बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे SDM कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई। SDM की अनुपस्थिति में, ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार को अपना ज्ञापन सौंपा और उनसे दुकान संचालक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उन्हें ऐसी समस्या का सामना करना पड़ा है, लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है क्योंकि उनके कार्ड पर वितरण अंकित होने के बावजूद उन्हें राशन नहीं मिला।
आलोर ग्राम पंचायत में लगभग 520 राशन कार्ड धारक हैं, और इन सभी परिवारों का पेट राशन पर निर्भर करता है। ऐसे में एक पूरे महीने का राशन न मिलना इन परिवारों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर सकता है, खासकर जब वे पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हों।
प्रशासनिक जांच की मांग
नायब तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस धोखाधड़ी में जो भी दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्हें डर है कि यदि इस तरह की अनियमितताओं पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो भविष्य में भी उन्हें अपने हक के राशन से वंचित किया जा सकता है।
राशन वितरण प्रणाली, जिसे गरीबों और वंचितों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है, में इस तरह की धांधली न केवल सरकारी नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि उन लोगों के विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है जो इस पर निर्भर हैं।
आगे क्या होगा?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या रुख अपनाता है। क्या आरोपों की गहन जांच की जाएगी? क्या राशन दुकान संचालक के खिलाफ कार्रवाई होगी? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या आलोर ग्राम पंचायत के 520 राशन कार्ड धारकों को उनके अगस्त माह का बकाया राशन मिलेगा?
इस मामले में प्रशासन की त्वरित कार्रवाई न केवल ग्रामीणों के विश्वास को बहाल करेगी, बल्कि जनवितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक मिसाल भी कायम करेगी। यह घटना छत्तीसगढ़ सरकार के लिए भी एक चुनौती है कि वह अपनी खाद्य सुरक्षा योजनाओं की जमीनी हकीकत का जायजा ले और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी गरीब को उसके हक के राशन से वंचित न किया जाए।
स्थानीय मीडिया और नागरिक समाज संगठनों की भी इस मामले पर पैनी नजर है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन जल्द ही इस मामले पर कोई ठोस कदम उठाएगा, ताकि आलोर के ग्रामीणों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।