प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी, इंसुलिन रेजिस्टेंस को पहचानें और समय रहते रोकें, डायबिटीज से पहले आपका शरीर कई महत्वपूर्ण संकेत देता है, जिन्हें अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इनमें से एक है 'इंसुलिन रेजिस्टेंस', जिसे समय रहते पहचानना और उस पर नियंत्रण पाना बेहद ज़रूरी है।
1. डायबिटीज का धीरे-धीरे विकास
अक्सर लोग सोचते हैं कि डायबिटीज अचानक हो जाती है, लेकिन यह सच नहीं है। यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर में विकसित होती है। यदि शुरुआती छोटे-छोटे संकेतों को पहप्री-डायबिटीज: खतरे की घंटीचान लिया जाए, तो मधुमेह जैसी गंभीर समस्या से बचा जा सकता है। इन्हीं शुरुआती संकेतों को 'इंसुलिन रेजिस्टेंस' कहते हैं।प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी
2. इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है?
इंसुलिन हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हार्मोन है, जो पैंक्रियाज द्वारा बनाया जाता है। इसका मुख्य कार्य भोजन से प्राप्त शुगर (ग्लूकोज) को रक्त से कोशिकाओं तक पहुंचाना है, ताकि उन्हें ऊर्जा मिल सके।प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी
लेकिन, जब शरीर की मांसपेशियां, लिवर और फैट सेल्स इंसुलिन पर सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं करते, तो इस स्थिति को 'इंसुलिन रेजिस्टेंस' कहा जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है और पैंक्रियाज को अधिक इंसुलिन बनाना पड़ता है। धीरे-धीरे यही स्थिति प्रीडायबिटीज और फिर पूर्ण डायबिटीज में बदल सकती है।प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी
3. इंसुलिन रेजिस्टेंस के शुरुआती संकेत
इन लक्षणों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
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अचानक वजन बढ़ना: खासकर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव।
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लगातार थकान और कमजोरी: सामान्य गतिविधियों के बाद भी थका हुआ महसूस करना।
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त्वचा का काला पड़ना: गर्दन, बगल या पेट जैसी जगहों पर त्वचा का रंग गहरा होना (एकेन्थोसिस नाइग्रिकन्स)।
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छोटे मस्से या स्किन टैग्स का होना: त्वचा पर छोटे-छोटे उभार या मस्से।
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बार-बार भूख लगना और ज्यादा पेशाब आना: शुगर लेवल बढ़ने के सामान्य संकेत।
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ब्लड प्रेशर बढ़ना: उच्च रक्तचाप की समस्या।
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परिवार में डायबिटीज का इतिहास: यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो खतरा बढ़ जाता है।
4. इंसुलिन रेजिस्टेंस का पता कैसे लगाएं?
सही पहचान के लिए कुछ टेस्ट महत्वपूर्ण हैं:
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फास्टिंग ब्लड शुगर और HbA1c टेस्ट: रक्त शर्करा के स्तर और पिछले 3 महीने के औसत शुगर की जांच।
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HOMA Index: इंसुलिन और ग्लूकोज के स्तर के आधार पर इंसुलिन रेजिस्टेंस का आकलन।
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लिपिड प्रोफाइल: कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच।
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यूग्लाइसेमिक क्लैंप (Euglycemic Clamp): यह सबसे सटीक टेस्ट माना जाता है, हालांकि यह थोड़ा जटिल होता है।
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प्रोइंसुलिन लेवल टेस्ट: विशेष परिस्थितियों में किया जाता है।
5. इंसुलिन रेजिस्टेंस को कैसे नियंत्रित करें?
अच्छी खबर यह है कि जीवनशैली में बदलाव करके इंसुलिन रेजिस्टेंस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है:
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वजन कम करें: खासकर पेट के आसपास की चर्बी घटाना बहुत फायदेमंद होता है।
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नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट की वॉक, योग, हल्की रनिंग या कोई अन्य शारीरिक गतिविधि करें।
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स्वस्थ आहार लें:
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फल और हरी सब्जियां: फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर।
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होल ग्रेन्स: ब्राउन राइस, दलिया, बाजरा, रागी आदि।
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प्रोटीन से भरपूर फूड्स: अंडे, मछली, दालें, नट्स, पनीर आदि।
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प्रसंस्कृत भोजन, अत्यधिक चीनी और अस्वस्थ वसा से बचें।
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तनाव कम करें और पूरी नींद लें:
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रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लें।
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मेडिटेशन, योग, डीप ब्रीदिंग जैसी रिलैक्सेशन एक्टिविटीज बहुत मददगार होती हैं।
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नियमित चेक-अप: अपने डॉक्टर से नियमित रूप से सलाह लें और आवश्यक जांच करवाते रहें।
समय रहते इन संकेतों को पहचानना और अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना आपको डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बचा सकता है। स्वस्थ रहें, जागरूक रहें!प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी