राजनांदगांव जेल में खूनी गैंगवार: कैदी युवराज राजपूत पर जानलेवा हमला, सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

राजनांदगांव जिला जेल में कैदियों के बीच गैंगवार में युवराज राजपूत पर धारदार हथियारों से हमला। जेल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल, परिजनों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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राजनांदगांव जेल में खूनी गैंगवार: बैरकों के अंदर कैदी पर जानलेवा हमला, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

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राजनांदगांव: जिले की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली जिला जेल में आज दोपहर उस वक्त हड़कंप मच गया, जब बैरकों के अंदर खूनी गैंगवार की खबर ने सबको स्तब्ध कर दिया। आपसी रंजिश और गुटबाजी में एक कैदी पर धारदार हथियारों से जानलेवा हमला किया गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इस घटना ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की जेलों में व्याप्त असुरक्षा और आपराधिक गुटों के बढ़ते दबदबे को उजागर कर दिया है।

हमले का खौफनाक मंजर:
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोपहर करीब 2 बजे राजनांदगांव जिला जेल के एक बैरक में युवराज राजपूत नामक कैदी पर 4 से 5 अन्य कैदियों ने अचानक हमला कर दिया। हमलावरों ने स्टील के गिलासों को धारदार हथियार बनाकर इस्तेमाल किया और युवराज पर ताबड़तोड़ वार किए। युवराज के चेहरे और पीठ पर कई गहरे घाव लगे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों और जेल सूत्रों के मुताबिक, हमला इतना भीषण था कि बैरक में मौजूद अन्य कैदियों में अफरा-तफरी मच गई। चीख-पुकार सुनकर जेल स्टाफ मौके पर पहुंचा और घायल युवराज को तत्काल प्राथमिक उपचार के लिए ले जाया गया। युवराज के चेहरे पर लगे घावों के कारण उनकी दृष्टि पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है, जबकि पीठ के घावों से काफी रक्तस्राव हुआ है।

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जेल के अंदर कैसे पहुंचे हथियार?
इस घटना ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद कैदियों के पास धारदार हथियार कैसे पहुंचे? यह स्पष्ट रूप से जेल प्रशासन की बड़ी चूक को दर्शाता है। आमतौर पर जेलों में कैदियों की तलाशी और बैरकों की नियमित जांच की जाती है, ताकि ऐसे किसी भी हथियार को अंदर पहुंचने से रोका जा सके। यह घटना दर्शाती है कि कहीं न कहीं निगरानी व्यवस्था में भारी खामी है, जिसका फायदा उठाकर अपराधी तत्व जेल के अंदर भी अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

पुरानी रंजिश और गुटबाजी का नतीजा:
पुलिस और जेल प्रशासन की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह हमला जेल के अंदर चल रही पुरानी रंजिश और आपराधिक गुटों की खींचतान का परिणाम है। राजनांदगांव जेल में विभिन्न आपराधिक गिरोहों से जुड़े कैदी बंद हैं, जिनके बीच अक्सर वर्चस्व की लड़ाई, जमीन विवाद या अन्य आपराधिक गतिविधियों को लेकर टकराव होता रहता है। युवराज राजपूत का संबंध भी एक स्थानीय आपराधिक गुट से बताया जा रहा है, जबकि हमलावर कैदी एक प्रतिद्वंद्वी गुट के सदस्य हैं। दोनों ही पक्षों के कैदी आदतन अपराधी हैं, जिनके खिलाफ पहले से ही हत्या, मारपीट, चोरी जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, जेल के अंदर नशीले पदार्थों की तस्करी और मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर भी गुटों के बीच झड़पें होती रहती हैं, जो धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लेती हैं।

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परिजनों का आक्रोश और कोतवाली में शिकायत:
हमले की खबर मिलते ही युवराज राजपूत के परिजन और उनके साथी कैदी तत्काल कोतवाली थाना पहुंचे। उन्होंने थाना प्रभारी को एक विस्तृत शिकायत सौंपी, जिसमें हमलावर कैदियों के नाम और हमले के तरीके का पूरा विवरण दिया गया। परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए हमलावरों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करने और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जेल के अंदर कैदी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो प्रशासन क्या कर रहा है? परिजनों के इस आक्रोश ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है। पुलिस ने परिजनों को निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जेल के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सके।

छत्तीसगढ़ की जेलों में बढ़ती हिंसा: एक चिंताजनक तस्वीर
यह कोई पहली घटना नहीं है जब छत्तीसगढ़ की जेलों से ऐसी हिंसक खबरें सामने आई हैं। हाल ही में रायपुर सेंट्रल जेल में भी एक कांग्रेस नेता पर ब्लेड से हमला किया गया था, जिसने राज्य की जेलों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों में स्टाफ की कमी, पर्याप्त निगरानी का अभाव और कैदियों के बीच प्रभावी मध्यस्थता व काउंसलिंग कार्यक्रमों की कमी इन हिंसक घटनाओं का मुख्य कारण है। जेल सुधारों के लिए राज्य सरकार द्वारा योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं उनकी जमीनी हकीकत पर सवाल उठाती हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और भविष्य की राह:
इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने तत्काल एक आंतरिक जांच समिति का गठन कर दिया है। जिला प्रशासन ने भी आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने के बाद दोषी पाए जाने वाले जेल अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने हमलावर कैदियों की पहचान कर ली है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। हालांकि, केवल कार्रवाई से बात नहीं बनेगी। यह समय है जब राज्य सरकार और जेल प्रशासन को जेलों में व्याप्त इस गंभीर समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस और दीर्घकालिक उपाय करने होंगे। इसमें जेल स्टाफ की संख्या बढ़ाना, कैदियों की नियमित और प्रभावी तलाशी सुनिश्चित करना, सीसीटीवी कैमरों की पर्याप्त व्यवस्था करना, और कैदियों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने के लिए काउंसलिंग जैसे कार्यक्रम चलाना शामिल है।


राजनांदगांव जेल में हुआ यह जानलेवा हमला न केवल एक कैदी की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था और जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। यह घटना दर्शाती है कि अपराधियों के लिए जेलें केवल अस्थायी ठिकाने बनकर रह गई हैं, जहां वे अपनी आपराधिक गतिविधियों को बेखौफ होकर जारी रख सकते हैं। इस घटना से जिले में दहशत का माहौल है और स्थानीय संगठनों ने जेल सुरक्षा मजबूत करने की मांग की है। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा, ताकि जेलें वास्तव में सुधार गृह बन सकें, न कि अपराध का एक नया अड्डा।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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