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रायपुर में अब उद्यानों का उपयोग सिर्फ शहरवासियों के लिए होगा, न कि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए। महापौर मीनल चौबे ने अधिकारियों से पूछा तीखा सवाल- "किस नियम से खुलवाते हैं गार्डन में दुकानें?" जानिये इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और इसका शहर पर क्या होगा असर।

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 रायपुर के उद्यानों का व्यावसायिकरण समाप्त: महापौर मीनल चौबे का ऐतिहासिक निर्णय, शहरवासियों को मिलेगा स्वच्छ वातावरण
 रायपुर के उद्यानों का व्यावसायिकरण समाप्त: महापौर मीनल चौबे का ऐतिहासिक निर्णय, शहरवासियों को मिलेगा स्वच्छ वातावरण

रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर अब अपनी हरियाली और शांति को व्यावसायिक अतिक्रमण से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। शहर की महापौर मीनल चौबे ने एक ऐतिहासिक बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उद्यानों का व्यवसायीकरण अब पूरी तरह से बंद होगा। यह निर्णय न केवल शहर के सौंदर्य को बचाएगा, बल्कि नागरिकों को भी स्वच्छ और शांत वातावरण प्रदान करेगा, जो उनका मूल अधिकार है।

पिछले कुछ समय से, शहर के कई प्रमुख उद्यानों में खान-पान और अन्य व्यावसायिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही थीं, जिससे इन सार्वजनिक स्थलों का मूल स्वरूप बिगड़ रहा था। इन गतिविधियों के कारण न केवल पार्कों की हरियाली प्रभावित हो रही थी, बल्कि शोरगुल और गंदगी ने भी इन स्थानों को मनोरंजन और विश्राम के बजाय एक व्यावसायिक केंद्र में बदल दिया था। इसी पृष्ठभूमि में, महापौर मीनल चौबे ने गुरुवार को नगर निगम पर्यावरण एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने सख्त लहजे में सवाल किए और भविष्य की दिशा तय कर दी।

महापौर का दो टूक सवाल: "किस नियम से खुलवाते हैं गार्डन में दुकानें?"

बैठक की शुरुआत ही महापौर मीनल चौबे के तीखे सवालों से हुई। उन्होंने अधिकारियों से सीधे पूछा कि "टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में उद्यानों में 5 प्रतिशत भूमि किस प्रयोजन के लिए छोड़ी जाती है?" उनका अगला सवाल और भी धारदार था, "क्या उद्यान में होटल और नाश्ता की दुकानें खोली जा सकती हैं, इसकी स्पष्ट जानकारी प्रस्तुत करें।" ये सवाल सिर्फ सवाल नहीं थे, बल्कि शहर के नागरिकों की भावनाओं और नियमों के पालन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण थे।

अधिकारियों से जवाब-तलब करते हुए महापौर ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब रायपुर में किसी भी उद्यान का व्यवसायीकरण नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "गार्डन केवल शहर के लोगों की सुविधा के लिए हैं। खानपान की दुकानें चलाने के लिए नहीं हैं।" यह बयान अपने आप में एक संदेश था कि जनहित के मामलों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

पूर्व महापौर के कार्यकाल में शुरू हुई 'परिपाटी' पर लगेगी लगाम

यह कोई नया विवाद नहीं है। दरअसल, शहर के उद्यानों में व्यावसायिक गतिविधियाँ पूर्व महापौर एजाज ढेबर के कार्यकाल में एक 'परिपाटी' के रूप में शुरू हुई थीं। उस समय यह तर्क दिया गया था कि इन व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय का उपयोग गार्डन के रखरखाव और देखरेख के लिए किया जाएगा। इसी तर्क के आधार पर, आधा दर्जन से अधिक उद्यानों के 25 प्रतिशत हिस्से में खान-पान की दुकानें खुलवा दी गईं। निगम मुख्यालय के सामने वाले उद्यान सहित कई प्रमुख पार्कों में टीन शेड की दुकानें बन गईं, जिससे इन स्थानों का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया। मरीन ड्राइव से लेकर कटोरा तालाब तक, कई स्थान 'चौपाटी' का रूप ले चुके थे, जहां शाम होते ही भीड़ और गंदगी का अंबार लग जाता था।

इस फैसले का तब भी लोगों ने काफी विरोध किया था, लेकिन तत्कालीन प्रशासन ने जनभावनाओं को दरकिनार करते हुए इस 'योजना' को आगे बढ़ाया। अब महापौर मीनल चौबे ने इस पुरानी परिपाटी पर पूर्ण विराम लगाने का निर्णय लेकर शहरवासियों को राहत की सांस दी है।

समीक्षा बैठक की प्रमुख बातें और आगे की रणनीति

समीक्षा बैठक में निगम पर्यावरण एवं उद्यानिकी विभाग अध्यक्ष भोला राम साहू, अपर आयुक्त विनोद पाण्डेय, अधीक्षण अभियंता संजय बागडे, उपायुक्त जसदेव सिंह बाबरा, कार्यपालन अभियंता गजाराम कंवर, सहायक अभियंता आशीष श्रीवास्तव, सोहन गुप्ता सहित सभी 10 जोनों के उद्यान विभाग के उप अभियंता मौजूद थे। महापौर ने शहर के सभी उद्यानों की जोनवार समीक्षा की और प्रत्येक उद्यान का संधारण और रखरखाव कार्य व्यवस्थित तरीके से कराने के निर्देश दिए।

यह सिर्फ व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने का मामला नहीं है, बल्कि उद्यानों की साफ-सफाई, हरियाली बढ़ाने और उन्हें और अधिक आकर्षक बनाने की भी योजना है। अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में कोई भी सार्वजनिक स्थल नियमों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग न किया जाए।

शहरवासियों की उम्मीदें और भविष्य की तस्वीर

महापौर मीनल चौबे के इस निर्णय से शहरवासियों में खुशी की लहर है। लंबे समय से वे इन उद्यानों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाने की मांग कर रहे थे। एक नागरिक ने बताया, "गार्डन में बच्चों के साथ घूमने जाते थे, लेकिन वहां भी खाने-पीने की दुकानों और शोरगुल से सुकून नहीं मिलता था। अब उम्मीद है कि हमारे बच्चों को खेलने और घूमने के लिए एक शांत और स्वच्छ जगह मिलेगी।"

यह निर्णय रायपुर को एक स्वच्छ, हरा-भरा और रहने योग्य शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उद्यानों का व्यवसायीकरण बंद होने से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी। यह अन्य शहरों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा, जहां सार्वजनिक स्थानों पर व्यावसायिक दबाव बढ़ रहा है।

अगले कुछ हफ्तों में, नगर निगम इन निर्देशों को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही शहर के सभी उद्यान अपने मूल गौरव को पुनः प्राप्त करेंगे और शहरवासियों को प्रकृति के करीब आने का एक शांत और सुंदर अवसर मिलेगा। यह महापौर मीनल चौबे के नेतृत्व में रायपुर के एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहां जनहित और नियमों का पालन सर्वोपरि होगा।

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