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डिजिटल युग में धोखा: ई-चालान और शादी के कार्ड बन रहे लाखों की ठगी का नया हथियार
रायपुर : 21वीं सदी जहां सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति लाई है, वहीं इसके साथ एक गहरा अंधेरा भी आया है – साइबर अपराध का। अपराधी लगातार नए-नए तरीके इजाद कर आम जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं। पहले लॉटरी, नौकरी का झांसा और फेक कॉल, अब तो अपराधियों ने लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों और सामाजिक आयोजनों को भी अपने नापाक मंसूबों का हथियार बना लिया है। ई-चालान और डिजिटल शादी के निमंत्रण के जरिए लाखों रुपये की ठगी के ताजा मामलों ने पूरे देश में चिंता बढ़ा दी है, जिससे डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
नए पैंतरे, पुराना मकसद: आपकी गाढ़ी कमाई पर डाका
साइबर ठगों के तरकस में अब दो नए तीर शामिल हो गए हैं: नकली ई-चालान और फर्जी डिजिटल शादी के निमंत्रण। ये दोनों ही इतने सहज और आम लगते हैं कि सामान्य व्यक्ति के लिए इनमें छिपे खतरे को पहचान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
ट्राफिक पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वालों को डिजिटल चालान भेजना अब एक आम प्रक्रिया है। लोग अक्सर अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इन चालानों का भुगतान ऑनलाइन करना पसंद करते हैं। इसी का फायदा उठाकर ठग नकली चालान भेज रहे हैं। ये चालान हूबहू असली लगते हैं, लेकिन इनके साथ एक दुर्भावनापूर्ण लिंक या एपीके (APK) फाइल जुड़ी होती है। जैसे ही कोई व्यक्ति इस लिंक पर क्लिक करता है या एपीके फाइल डाउनलोड करता है, उसका मोबाइल फोन हैक हो जाता है। हैकर को फोन के डेटा, जिसमें बैंक खाते की जानकारी और ओटीपी भी शामिल है, तक पहुंच मिल जाती है, और पलक झपकते ही खाता खाली हो जाता है।
इसी तरह, शादी-ब्याह के मौसम में, समय बचाने के लिए लोग अक्सर डिजिटल निमंत्रण भेजना पसंद करते हैं। ठग इसी प्रवृत्ति का फायदा उठा रहे हैं। वे आकर्षक दिखने वाले शादी के कार्ड के नाम पर एक एपीके फाइल भेजते हैं। जैसे ही पीड़ित इस "ई-कार्ड" को खोलने की कोशिश करता है, उसका मोबाइल फोन हैक हो जाता है, और ठगों को उसके संवेदनशील डेटा तक पहुंच मिल जाती है।
रायपुर में सामने आए चौंकाने वाले मामले
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर इन दिनों इस नई तरह की ठगी का शिकार बन रही है। हाल ही में तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने पुलिस प्रशासन और आम जनता को हैरान कर दिया है:
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आरटीओ चालान से 4 लाख की चपत: गोगांव सूर्यानगर के छगन लाल साहू के पास 19 जुलाई को आरटीओ के नाम से 5000 रुपये का ई-चालान आया। जब उन्होंने इसे खोला, तो उनका मोबाइल फोन हैक हो गया। ठगों ने एपीके फाइल के माध्यम से उनके खाते से दो किस्तों में कुल 4 लाख रुपये उड़ा लिए।
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क्यूआर कोड का झांसा, खाता खाली: पुरानी बस्ती की एक युवती को 500 रुपये का ई-चालान मिला, जिसमें एक क्यूआर कोड दिया हुआ था। उसने उस कोड के जरिए जुर्माने का भुगतान कर दिया। लेकिन बाद में जब उसे फिर से चालान मिला और उसने ट्रैफिक पुलिस से संपर्क किया, तब उसे फर्जीवाड़े का पता चला। यह मामला क्यूआर कोड के माध्यम से होने वाली ठगी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
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शादी के निमंत्रण से 4.80 लाख का चूना: राजेंद्र नगर निवासी देवेंद्र सिंह, जो एक बीमा सलाहकार हैं, को व्हाट्सएप पर एक शादी का निमंत्रण मिला। जैसे ही उन्होंने ई-कार्ड खोलने का प्रयास किया, उनका मोबाइल फोन हैक हो गया और उनके खाते से अलग-अलग किस्तों में 4.80 लाख रुपये निकाल लिए गए। यह मामला इस बात पर जोर देता है कि ठग अब सामाजिक आयोजनों को भी निशाना बना रहे हैं।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि ठग कितने शातिर हो गए हैं और कैसे वे लोगों की भावनाओं और रोजमर्रा की जरूरतों का फायदा उठा रहे हैं।
ठगी का तकनीकी जाल: एपीके फाइल का खेल
इस ठगी के पीछे मुख्य रूप से एपीके (APK) फाइल का इस्तेमाल है। एपीके फाइलें एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए बनाए गए एप्लिकेशन इंस्टॉलेशन पैकेज होते हैं। ठग इन एपीके फाइलों को दुर्भावनापूर्ण कोड से लैस कर देते हैं। जब कोई व्यक्ति ऐसी फाइल को डाउनलोड करता है या किसी ऐसे लिंक पर क्लिक करता है जो सीधे एपीके फाइल को इंस्टॉल करता है, तो ठग को उसके फोन पर पूरा नियंत्रण मिल जाता है।
यह नियंत्रण इतना गहरा होता है कि ठग पीड़ित के फोन का पूरा डेटा, जिसमें संपर्क सूची, गैलरी, मैसेज और सबसे महत्वपूर्ण, बैंक खाते से जुड़ी जानकारी और वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भी शामिल है, तक पहुंच बना लेते हैं। एक बार जब ठग को ओटीपी मिल जाता है, तो वे आसानी से पीड़ित के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं, क्योंकि लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए ओटीपी ही अंतिम चरण होता है।
फर्जी डोमेन पहचानें: एक छोटी सी सावधानी, लाखों का बचाव
परिवहन विभाग ने इस धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को फर्जी ई-चालान डोमेन के बारे में चेतावनी दी है। असली वेबसाइट का URL हमेशा echallan.parivahan.gov.in होता है। इसके अलावा, कोई भी अन्य URL, जैसे echallan-parivahan.com, parivahan-gov.in, parivahanportal.net, mparivahan.co.in, या echallanindia.org फर्जी हो सकता है।
यह बेहद महत्वपूर्ण है कि किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उपयोगकर्ता URL को ध्यान से पढ़ें। एक छोटी सी वर्तनी की त्रुटि या एक अतिरिक्त हाइफन भी फर्जी वेबसाइट का संकेत हो सकता है।
प्रशासन की अपील और बचाव के उपाय
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, प्रशासन और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ लोगों से अत्यधिक सतर्क रहने की अपील कर रहे हैं।
त्वरित कार्रवाई के लिए:
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यदि आप किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, तो तुरंत राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
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इसके अलावा, आप https://www.cybercrime.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
ठगी से बचने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव:
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डोमेन की जांच करें: किसी भी ई-चालान या अन्य संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से पहले, URL के डोमेन को बहुत सावधानी से पढ़ें। केवल सरकारी और अधिकृत वेबसाइटों का ही उपयोग करें।
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URL सत्यापित करें: यदि आपको किसी URL पर संदेह है, तो उसे कॉपी करके गूगल पर सर्च करें। यह आपको असली और नकली वेबसाइट के बीच का अंतर समझने में मदद करेगा।
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सरकारी ऐप/साइट का उपयोग: जुर्माने का भुगतान हमेशा केवल सरकारी साइट (जैसे https://echallan.parivahan.gov.in) या अधिकृत सरकारी मोबाइल ऐप के माध्यम से ही करें।
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क्यूआर कोड और एपीके से बचें: अज्ञात स्रोतों से प्राप्त किसी भी क्यूआर कोड को स्कैन करने या एपीके फाइल को डाउनलोड करने से बचें। यदि कोई आपको एपीके फाइल भेजने का प्रयास करता है, तो तुरंत समझ लें कि यह एक संभावित खतरा है।
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डिलीट करें, अनइंस्टॉल नहीं: यदि आपने गलती से कोई एपीके फाइल डाउनलोड कर ली है, तो उसे 'अनइंस्टॉल' करने के बजाय सीधे 'डिलीट' करें। कुछ दुर्भावनापूर्ण ऐप्स अनइंस्टॉल प्रक्रिया के दौरान भी डेटा चुरा सकते हैं।
डिजिटल दुनिया ने हमारे जीवन को सरल बनाया है, लेकिन इसके साथ ही हमें साइबर खतरों के प्रति अधिक जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी को सुरक्षित रखना हर उपयोगकर्ता की जिम्मेदारी है। एक छोटी सी सावधानी आपको लाखों के नुकसान से बचा सकती है। याद रखें, डिजिटल सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि आज की आवश्यकता है।
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