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अंबिकापुर — अंबिकापुर में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण एक सेवानिवृत्त प्रधान पाठक को अपनी पेंशन के इंतजार में जीवन यापन के लिए मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रधान पाठक, सुखलाल सिंह गोड़, ने आरोप लगाया है कि उन्हें पेंशन प्रकरण स्वीकृत कराने के लिए प्रखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय में 25,000 रुपये की मांग का सामना करना पड़ा।
ओड़गी विकासखंड के इंदरपुर निवासी सुखलाल सिंह गोड़ को वर्ष 1995 में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद पर नियुक्त किया गया था और वे खरहरी जोर के प्राथमिक शाला में पदस्थ थे। वर्ष 2018 में उन्हें सहायक शिक्षक से उसी शाला में प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत किया गया। नवंबर 2018 में सेवानिवृत्त होने पर, उन्हें एनपीएस कटौती से 3.70 लाख रुपये का तत्काल भुगतान प्राप्त हुआ।
सुखलाल सिंह ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्त राशि उनके बेटों ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए दबाव डालकर ले ली, जिसके बाद उनके बेटों ने उन्हें छोड़ दिया और उनकी पांच एकड़ पैतृक भूमि पर भी कब्जा कर लिया। बेटों ने उन्हें केवल 50 डिसमिल जमीन दी है, जिससे उनके और उनकी पत्नी के लिए पर्याप्त गुजारा नहीं हो पाता। इसके बाद से वह पिछले डेढ़ साल से मजदूरी कर रहे हैं।
सूरजपुर के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) अजय कुमार मिश्रा ने इस मामले को "कार्यालय की बड़ी लापरवाही" बताया। मिश्रा ने बीईओ को "कड़ी फटकार" लगाई है और सेवानिवृत्त प्रधान पाठक का पेंशन प्रकरण 10 दिनों के भीतर स्वीकृत करने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा, "पेंशन शासकीय कर्मचारी का अधिकार है, इसके लिए किसी को भी पैसे देने की जरूरत नहीं है।" बीईओ कार्यालय में ओड़गी विकासखंड में एक दर्जन से अधिक ऐसे पेंशन प्रकरण लंबित पड़े हैं।
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