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कब है शरद पूर्णिमा और क्या है इसका विशेष महत्व?
शरद पूर्णिमा 2025: अमृत वर्षा का महापर्व, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व! आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा इस वर्ष [तिथि डालें, जैसे 16 अक्टूबर] को है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें धरती पर अमृत बरसाती हैं। इस पवित्र रात को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा 2024: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
इस साल पूर्णिमा तिथि [शुरुआत की तारीख और समय] से शुरू होकर [समाप्ति की तारीख और समय] तक रहेगी। चंद्रोदय [चंद्रोदय का समय] पर होगा। खीर को चांदनी में रखने का सबसे शुभ मुहूर्त [खीर रखने का शुभ मुहूर्त] तक रहेगा।
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पूजा विधि:-
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इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विधिवत पूजा करें।
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चावल, दूध और मेवों से बनी खीर तैयार करें।
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रात में, जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई दे, तो खीर को एक खुले स्थान पर चांदनी में रखें।
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मध्यरात्रि के बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
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चांदनी में खीर रखने का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। खीर को चांदनी में रखने से वह इन गुणों को अवशोषित कर लेती है, जिससे इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, खुली हवा में रखी खीर को शांत और शीतल ऊर्जा मिलती है।
वृद्धि योग का अद्भुत संयोग: दोगुना फलदायी होगी पूजा
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर वृद्धि योग का भी शुभ संयोग बन रहा है, जो [वृद्धि योग की अवधि] तक रहेगा। वृद्धि योग में किए गए सभी शुभ कार्य और पूजा-पाठ दोगुना फलदायी होते हैं। यह योग पूजा-अर्चना और दान-पुण्य के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है।
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने का विशेष दिन
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन इनकी उपासना करने से धन-धान्य, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। कई मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
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